Friday, May 16, 2025
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Kailash Mansarovar: कैलाश मानसरोवर से जुड़े 5 रहस्य, वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है इनका सही जवाब

Kailash Mansarovar: कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। हिंदू धर्म के साथ ही कई अन्य धर्मों में भी इस स्थान का विशेष महत्व है। कैलाश पर्वत में कई तरह के रहस्य भी छुपे हुए हैं।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Apr 25, 2025 6:56 IST, Updated : Apr 25, 2025 6:56 IST
Kailash Mansarovar
Image Source : SOCIAL कैलाश मानसरोवर

Kailash Mansarovar: कैलाश मानसरोवर यात्रा साल 2025 में 30 जून से शुरू होने वाली है। बड़ी संख्या में भक्त शिव जी के निवास स्थान कैलाश की यात्रा पर इस साल जाएंगे। कैलाश न केवल हिंदू धर्म के लोगों के लिए पवित्र धार्मिक स्थान है, बल्कि बौद्ध, जैन और सिख धर्म के लोग भी इस स्थान को पवित्र मानते हैं। स्वर्ग का द्वार कहे जाने वाले कैलाश पर्वत में कई ऐसे रहस्य भी हैं जिनसे वैज्ञानिक भी अब तक पर्दा नहीं उठा पाए हैं। आज हम आपको इन्हीं रहस्यों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। 

पर्वतारोही भी नहीं कर पाए चढ़ाई

कैलाश पर्वत की ऊंचाई एवरेस्ट से कम है, फिर भी आज तक कोई भी कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया। इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश करने वाले लोगों का कहना है कि, पर्वत पर थोड़ी सी ऊंचाई पर जाने से ही शरीर में कई तरह के बदलाव आने लग जाते हैं। अलग-अलग देशों के सैकड़ों लोगों ने कैलाश पर चढ़ने की कोशिश की है लेकिन वो असफल ही रहे हैं। वैज्ञानिक इस बात का पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिरी क्यों कोई इस पर्वत पर नहीं चढ़ पाता, लेकिन कोई सटीक जवाब उनके पास नहीं है। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह शिव जी का स्थान है इसलिए यह अभेद्य है। वहीं हिंदू धर्म के साथ ही अन्य धर्म के लोग मानते हैं कि बिना आध्यात्मिक उन्नति के इस पर्वत पर चढ़ना संभव नहीं है। 

मानसरोवर और राक्षस ताल का रहस्य

कैलाश पर मानसरोवर और राक्षस ताल हैं। इन दोनों के लिए परिस्थितियां एक जैसी हैं, स्थान आसपास हैं लेकिन इसके बाद भी इनमें कई भिन्नताएं दिखती हैं। मानसरोवर ताल का पानी जहां मिठास लिए हुए है वहीं राक्षस ताल का पानी नमकीन होता है। एक ही स्थान पर होने के बावजूद भी इन दोनों तालों के पानी के गुण, रंग अलग-अलग हैं। ऐसा क्यों है इसका जवाब भी विज्ञान के पास अभी तक नहीं है। 

समय की गति

कैलाश पर्वत पर समय की गति में परिवर्तन की बात भी कही जाती है। कैलाश की यात्रा करने वाले लोगों ने अपने अनुभव से बताया है कि इस यहां पहुंचते ही समय की गति तेज हो जाती हैं। घड़ियां तेज चलने लगती है। यहां लोग भ्रम की स्थिति में चले जाते हैं। इसलिए कैलाश को टाइम वॉर्प जोन भी कहा जाता है। 

पर्वत का आकार

कैलाश पर्वत का आकार भी अन्य पर्वत से अलग है। जब इसे ऊपर से देखा जाता है तो ये स्वास्तिक के आकार का प्रतीत होता है। हिंदू धर्म में स्वास्तिक को शुभ चिह्न माना जाता है। इस तरह की आकृति दुनिया के किसी और पर्वत पर नहीं है। ये भी लोगों और वैज्ञानिकों के कौतुहल का विषय है। 

दर्पण जैसी दीवारें

कैलाश पर्वत की दक्षिण दिशा की और चिकनी और एकदम सीधी दीवार जैसी संरचना देखने को मिलती है। यह एक विशाल दर्पण की तर प्रतीत होती है। इस संरचना को देखकर वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित होते हैं। हालांकि, उनके पास इस बात का जवाब नहीं है कि यह संरचना बनी कैसे है। 

 

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