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YouTube पर दिखाए जाने वाले कॉन्टेंट पर कोर्ट सख्त, बताया समाज के लिए 'खतरा'

YouTube चैनल पर दिखाए जाने वाले कॉन्टेंट को लेकर मद्रास हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि कुछ यूट्यूब चैनल अपने फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए भद्दे कॉन्टेंट अपलोड करते हैं। सरकार को इस पर लगाम लगाना चाहिए।

Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Published : May 10, 2024 07:00 am IST, Updated : May 10, 2024 07:01 am IST
YouTube- India TV Hindi
Image Source : FILE YouTube

YouTube चैनल पर दिखाए जाने वाले कॉन्टेंट को लेकर मद्रास हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने गुरूवार 9 मई को मौखिक रूप से कहा कि कुछ यूट्यूब चैनल अपने सब्सक्राइबर्स बढ़ाने के लिए अपमानजनक कॉन्टेंट पेश कर रहे हैं, जो समाज के लिए 'खतरा' बन रहे हैं। अब समय आ गया है कि सरकार उन पर लगाम लगाए। मद्रास हाई कोर्ट के जज जस्टिस के. कुमारेश बाबू की पीठ ने Redpix यूट्यूब चैनल के जी. फेलरिस गेराल्ड द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक तौर पर यह टिप्पणी की है।

क्या है मामला?

बता दें रेडपिक्स यूट्यूब चैनल के जी. फेलिक्स और साथी यूट्यूबर सवुक्कू शंकर पर तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम 1988, भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। कोयंबटूर साइबर क्राइम सेल ने याचिकाकर्ता के इंटरव्यू के बाद गेराल्ड और शंकर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

इन दोनों यूट्यूबर पर महिला पुलिस कर्मियों के खिलाफ अपमानजनक बयान देने की वजह से मुकदमा दायर किया गया और कहा गया कि इससे पुलिस बल का मनोबल गिरा था। पिछले 4 मई को साइबर सेल ने शंकर को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल हाई कोर्ट ने जी. फेलिक्स और शंकर की जमानत याचिका पर सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाल दिया है।

फॉलोअर्स बढ़ाना मुख्य मकसद

इन दिनों YouTube, Instagram, Threads, X, Facebook, Snapchat जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कॉन्टेंट क्रिएटर्स अपने फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए आपत्तिजनक वीडियो और फोटो डाल रहे हैं। आपको भी इन सोशल मीडिया को स्क्रॉल करते हुए इन कॉन्टेंट से दो-चार होना पड़ा होगा। हालांकि, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कहती है कि उनके पास इस तरह के कॉन्टेंट को फिल्टर करने के लिए टूल हैं, लेकिन फिर भी कई सोशल चैनल पर इस तरह के आपत्तिजनक और अश्लील कॉन्टेंट अपलोड किए जा रहे हैं।

मद्रास हाई कोर्ट की टिप्पणी सरकार के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए भी है, ताकि इस तरह के कॉन्टेंट पर लगाम लगाए जाने के लिए और बेहतर टूल लाया जा सके। यूजर्स को भी इस तरह के कॉन्टेंट को रिपोर्ट करना चाहिए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक कॉन्टेंट को रिपोर्ट करने का विकल्प मौजूद रहता है, ताकि इन्हें हटाया जा सके। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए नए आईटी एक्ट 2021 के तहत कंप्लायेंस रिपोर्ट जारी करने का प्रावधान है, जिसमें वो किसी चैनल और अकाउंट पर बैन लगाए जाने और कार्रवाई करने का डेटा शेयर करते हैं।

 

 

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