UAE Banned Indian Wheat Export: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं के संकट के बीच भारत ने 13 मई को अपना गेहूं निर्यात करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में कुछ शर्तों के साथ इन निर्णय को शिथिल किया था। यूएई ने संकट के बीच भारत से गेहूं मांगा था, तो भारत ने उसे यह खेप भेजी थी।
Wheat Crisis: भारत को गेहूं के सबसे बड़े खरीदार इंडोनेशिया और बांग्लादेश समेत 5 देशों से गेहूं के लिए आवेदन मिले हैं। इनके अलावा ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और यमन जैसे खाड़ी देशों ने भी भारत से गेहूं मांगा है।
Wheat Crisis: गेहूं को लेकर पूरी दुनिया मे रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के कारण संकट है। दरअसल, इस युद्ध के कारण दुनियाभर में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। कई देशों में गेहूं की भारी कमी हुई है।
संबंधित निर्यातक आईटीसी लिमिटेड ने दावा किया है कि 56877 टन की निर्यात खेप को सभी जरूरी मंजूरियां प्राप्त थीं। यह गेहूं भारत की आईटीसी ने जेनेवा की कंपनी को बेचा था, जिससे तुर्की ने खरीद की है।
भारत सरकार के गेहूं के एक्सपोर्ट (निर्यात) पर रोक लगाने के बाद विदेशी बाजारों में गेहूं की कीमतें 60% तक बढ़ चुकी हैं।
फरवरी में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से वैश्विक स्तर पर गेहूं की किल्लत पैदा हुई थी। यूक्रेन और रूस दुनिया भर में 12 प्रतिशत गेहूं की सप्लाई करते हैं।
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच छिडे़ युद्ध के चलते वैश्विक बाजार में मध्य प्रदेश की शरबती एवं कठिया (ड्यूरम) जैसी मशहूर गेहूं किस्मों की मांग में जबर्दस्त इजाफा हुआ है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2021-22 के दौरान गेहूं का कुल उत्पादन रिकॉर्ड 111.32 मिलियन टन होने का अनुमान है। वहीं, दूसरी ओर रूस-यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई से गेहूं की मांग विदेशों में बढ़ गई है।
UN महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि 45 अफ्रीकी और कम विकासशील देश अपने गेहूं का कम से कम एक तिहाई हिस्सा यूक्रेन और रूस से मंगाते हैं।
भारतीय किसानों को उनकी फसल की अधिक कीमत दिलाने में मददगार होगी। यानी किसानों के लिए यह युद्ध कमाई बढ़ाने के मौके लेकर आया है।
धान (गैर-बासमती), गेहूं, सोयाबीन, कच्चे पाम तेल और मूंग के लिए नए अनुबंधों की शुरूआत पर नियामक ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उसने चालू विपणन वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अब तक कुल 85,581 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड 433.32 लाख टन गेहूं की खरीद की है।
हरियाणा सरकार ने रबी सत्र 2021-22 के दौरान राज्य की 396 मंडियों या खरीद केंद्रों से एक अप्रैल से 15 मई तक करीब 85 लाख टन गेहूं की खरीद की है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने चालू सीजन में 53.80 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदकर गेहूं खरीद का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 2018-2019 में गेहूं की खरीद में यह अब तक का सर्वाधिक 52.92 लाख मीट्रिक टन है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने चालू सीजन में 53.80 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदकर गेहूं खरीद का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
केंद्र ने बुधवार को कहा कि उसने अप्रैल में शुरू हुए मौजूदा विपणन वर्ष में अब तक रिकॉर्ड 418.47 लाख टन गेहूं खरीदा है जिसपर 82,648 करोड़ रुपए खर्च हुये हैं।
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सरकार की ओर से होने वाली धान और गेहूं की खरीद अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इस स्थिति के चलते सरकार चालू विपणन वर्ष के लिये तय लक्ष्य को आराम से हासिल कर लेगी।
गेहूं की खरीद 27 मई तक 400.45 लाख टन की हो चुकी है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 353.09 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी।
बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में 98 प्रतिशत तक कटाई पूरी हुई है। वहीं उत्तर प्रदेश में यह 84 प्रतिशत पूरी हुई है।
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