![Yogi Adityanath, Yogi Adityanath Ram Navami, Gorakhnath Temple- India TV Hindi](https://resize.indiatv.in/resize/newbucket/1200_675/2024/04/yogi-adityanath-5-1713350436.webp)
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने वासंतिक नवरात्र की नवमी तिथि पर गोरक्षपीठ की परंपरा के अनुसार कन्या पूजन किया। मुख्यमंत्री योगी ने परंपरा का निर्वहन करते हुए बटुक पूजन भी किया। सीएम योगी ने सबसे पहले छोटी-छोटी कन्याओं के पांव धोये। इसके बाद उन्होंने गोरखनाथ मंदिर के नव भोजनालय में आयोजित कन्या पूजन कार्यक्रम में नौ दुर्गा स्वरूपा कन्याओं का विधि-विधान से पूजन किया। सीएम योगी ने कन्याओं के माथे पर रोली, चंदन और अक्षत का तिलक लगाया।
सीएम योगी ने पखारे कन्याओं के पांव
सीएम योगी ने इस पर्व पर कन्याओं के पांव पखारे, चुनरी ओढ़ाई और आरती उतारते हुए भोजन कराया। उसके बाद दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लिया। पूजन के बाद इन कन्याओं को मंदिर की रसोई में पकाया गया ताजा भोजन प्रसाद सीएम योगी ने अपने हाथों से परोसा। कन्याओं के अतिरिक्त बड़ी संख्या में पहुंचे बटुकों को भी श्रद्धापूर्वक भोजन कराकर उपहार और दक्षिणा दी गई। योगी आदित्यनाथ ने श्रीरामनवमी के महापर्व पर विधि-विधान से भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया। इस अवसर पर मंदिर परिसर प्रभु श्रीराम के भजनों से गुंजायमान रहा।
कन्या पूजन के बाद पहुंचे राम दरबार
बता दें कि वासंतिक नवरात्र की नवमी तिथि पर गोरखनाथ मंदिर में कन्या पूजन का अनुष्ठान पूर्ण करने के बाद मुख्यमंत्री योगी मंदिर परिसर स्थित राम दरबार पहुंचे। दोपहर के 12 बजते ही उन्होंने पालने में विराजमान प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप के विग्रह की वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना की। प्रभु विग्रह को तिलक लगाने और माल्यार्पण करने के बाद आरती उतारी। पूजन का अनुष्ठान पूर्ण करने के साथ सीएम योगी ने बाल स्वरूप भगवान को पालने में झुलाया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी ने भगवान श्रीराम से लोकमंगल की प्रार्थना की।
अयोध्या में रामलला का ‘सूर्य तिलक’
बता दें कि रामनवमी के अवसर पर बुधवार को अयोध्या में रामलला का 'सूर्य तिलक' दर्पण और लेंस से युक्त एक विस्तृत तंत्र के माध्यम से किया गया। इस तंत्र के जरिए सूर्य की किरणें राम की मूर्ति के माथे पर पहुंचीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी को उद्घाटन किए गए नए मंदिर में राम मूर्ति की प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामनवमी है।