Sunday, May 12, 2024
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ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वे होगा या नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट आज सुना सकता है फैसला

ज्ञानवापी मामले में एएसआई सर्वे को लेकर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आनेवाला है। इससे पहले 27 जुलाई को सुनवाई पूरी करने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

Niraj Kumar Edited By: Niraj Kumar
Updated on: August 03, 2023 8:38 IST
ज्ञानवापी परिसर- India TV Hindi
Image Source : पीटीआई ज्ञानवापी परिसर

प्रयागराज:  वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट अपना फैसला सुना सकता है। इससे पहले 27 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की जिरह सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था और अगले आदेश तक ASI सर्वे पर रोक बरकरार रखा था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिकर दिवाकर ने अंजुमन इंजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई की थी। 

सर्वे से ढांचे को नुकसान नहीं-एएसआई

हाईकोर्ट में दो दिनों तक इस मामले पर जिरह चली। सभी पक्षों ने अपनी-अपनी बात रखी थी। एक पक्ष जहां एएसआई सर्वे पर जोर दे रहा था वहीं दूसरा पक्ष एएसआई सर्वे का विरोध कर रहा था। इस दौरान कोर्ट में एएसआई के अधिकारी भी मौजूद थे। एएसआई के अधिकारियों का कहना था कि सर्वे से ढांचे को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा।

वाराणसी जिला कोर्ट ने दी थी एएसआई सर्वे की मंजूरी 

गौरतलब है कि वाराणसी जिला कोर्ट ने एएसआई सर्वे की मंजूरी दी थी। काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक जांच का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने एएसआई को 4 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। लेकिन इस मामले में अंजुमन इंजामिया मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में अपील की और एएसआई सर्वे पर रोक लगाने की मांग की। इसी मामले में आज फैसला आनेवाला है।

क्या है ज्ञानवापी का विवाद?

ज्ञानवापी का ताजा विवाद मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की रोज पूजा के अधिकार की मांग के बाद खड़ा हुआ। ये मूर्तियां ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं। इस विवाद की शुरुआत 18 अगस्त 2021 को हुई थी, जब 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजन और दर्शन की मांग को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था। दरअसल, पहले इस परिसर में साल में केवल 2 बार परंपरा के मुताबिक पूजा की जाती थी, लेकिन फिर इन महिलाओं ने मांग की, कि अन्य देवी देवताओं की पूजा में बाधा नहीं आनी चाहिए। 

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