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लखनऊ की टीले वाली मस्जिद के नीचे लक्ष्मण मंदिर? अब अदालत करेगी सुनवाई

साल 2013 में लखनऊ की सेशन कोर्ट में भगवान शेषनागेश तिलेश्वर महादेव विराजमान की तरफ से याचिका दाखिल कर कहा गया था कि लखनऊ की टीले वाली मस्ज़िद असल में लक्ष्मण टीला है और उन्हें यहां का मालिकाना हक और पूजा का अधिकार दिया जाए।

Reported By : Ruchi Kumar Edited By : Swayam Prakash Published on: February 09, 2023 22:15 IST
लखनऊ की टीले वाली मस्जिद- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO लखनऊ की टीले वाली मस्जिद

लखनऊ: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की कृष्णजन्मभूमि के बाद अब लखनऊ की टीले वाली मस्ज़िद का मामला भी कोर्ट पहुंच गया है। लखनऊ की टीले वाली मस्जिद को लेकर जो दावा ठोका गया था, अब लखनऊ की सेशन कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी। आज कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की उस एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया जिसमें टीले वाली मस्ज़िद की तरफ से कहा गया था कि ये मामला सुनने लायक नहीं है।

मस्जिद के नीचे लक्ष्मण मंदिर का दावा

दरअसल,  साल 2013 में लखनऊ की सेशन कोर्ट में भगवान शेषनागेश तिलेश्वर महादेव विराजमान की तरफ से याचिका दाखिल कर कहा गया था कि लखनऊ की टीले वाली मस्ज़िद असल में लक्ष्मण टीला है और उन्हें यहां का मालिकाना हक और पूजा का अधिकार दिया जाए। इस याचिका में कहा गया कि है कि यहां लक्ष्मण टीला और मन्दिर था लेकिन औरंगज़ेब के कहने पर इसे तोड़ दिया गया और यहां टीले वाली मस्ज़िद बना दी गई।  

ज्ञानवापी पर जारी है विवाद
उधर, टीले वाली मस्ज़िद के इमाम ने कोर्ट में अर्जी दी थी कि साल 1991 के प्लेसेस आफ वरशिप एक्ट के तहत ये मामला नहीं सुना जा सकता। लेकिन आज कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की ये अर्जी खारिज कर दी। वहीं दूसरी ओर वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की कृष्णजन्मभूमि के मामले पहले ही कोर्ट में लंबित हैं। ज्ञानवापी की याचिका में मुसलमानों का ज्ञानवापी परिसर में प्रवेश वर्जित करने, परिसर को हिंदुओं को सौपने के साथ ही परिसर में मिले कथित शिवलिंग की नियमित पूजा-अर्चना करने के अधिकार की मांग की थी। 

मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि विवाद भी कोर्ट में
वहीं मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि को लेकर भी विवाद जारी है। मथुरा की सिविल कोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह की विवादित जमीन का सर्वे कराने का आदेश दिया है। मथुरा का ये विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है। 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया था। इस समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की बात हुई थी। हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया ढांचा बताता है और इस जमीन पर भी दावा किया है।

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