Tuesday, March 19, 2024
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दुबई: बरसने को तैयार नहीं थे बादल, यूं दिया 'इलेक्ट्रिक शॉक' कि झमाझम हुई बारिश

दुबई में झुलसा देने वाली गर्मी जब 50 डिग्री के पार पहुंची तो वैज्ञानिकों ने बादलों को ड्रोन की मदद से इलेक्ट्रिक शॉक देकर झमाझम बारिश करवा दी।

India TV Viral Desk Edited by: India TV Viral Desk
Published on: July 22, 2021 17:49 IST
artificial rain- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/OFFICIALUAEWEATHER artificial rain
यूं तो सारी दुनिया में इस समय जमकर गर्मी पड़ रही है लेकिन रेगिस्तानी इलाकों वाले संयुक्त अरब अमीरात का बुरा हाल है। यहां पारा 50 डिग्री तक पहुंच गया है औऱ लोग बारिश को तरस रहे हैं। लेकिन बादल बरसने का नाम नहीं ले रहे थे। ऐसे में दुबई में बादलों को बिजली का झटका देकर कृत्रिम बरसात करवाई गई तो लोगों के चेहरे खिल उठे। 
 
दरअसल भयंकर गर्मी के चलते दुबई जलने लगा तो यहां के मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के साथ मिलकर ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करके आर्टिफिशयल बारिश करवाई गई। वैज्ञानिकों ने ड्रोन तकनीक की मदद से दुबई के ऊपर तैर रहे बादलों को इलेक्ट्रिक शॉक दिया जिससे बादलों में घर्षण पैदा हुआ और कई इलाकों में झमाझम बारिश होने लगी। 
 
 
इसके बाद मौसम विभाग ने बाकायदा इसका वीडियो जारी करके इसकी जानकारी भी दी। तब जाकर लोगों को समझ आया कि जिस बारिश का आनन्द वो ले रहे थे वो आर्टिफिशयल यानी जानबूझकर करवाई गई बारिश थी। इस तकनीक से सूखे की मार झेल रहे इलाकों में बारिश करवाई जाती है जिसका फायदा खेती और पेड़ पौधों को मिलता है साथ ही तापमान में भी गिरावट आती है।
 
दुबई में ये नकली बारिश रविवार को करवाई गई। इसके लिए दो ड्रोन इस्तेमाल किए गए। एक ड्रोन बादलों को इलेक्ट्रिक रूप से चार्ज करता है जबकि दूसरा ड्रोन बादल से निकलने वाली पानी की बूंदों को जोड़ने का काम करता है।
 
हालांकि इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए करीब 145 मिलियन डॉलर खर्च किए गए लेकिन दुबई जैसे शहर में लोगों के खिले हुए चेहरे बता रहे थे कि उन्होंने क्या पा लिया है। तेल के मामले में काफी अमीर कहे जाने वाले संयुक्त अरब अमीरात को दुनिया के दस सबसे सूखे यानी खुश्क देशों में गिना जाता है। यहां रेगिस्तान में प्रचंड गर्मी पड़ती है।
 
यूएई काफी 2017 से इस प्रोजेक्ट पर जिसे क्लाउड सीडिंग का नाम दिया गया है, काम कर रहा था क्योंकि उसे लगता था कि केवल बारिश के पारंपरिक तरीकों और प्राकृतिक सोर्स के भरोसे बैठे रहे तो देश में गर्मी का बुरा हाल हो जाएगा।
 
हालांकि ये तकनीक सफल साबित हुई है लेकिन अभी ये ट्रायल फेज में है और इस पर और काम हो रहा है। परीक्षण के तौर पर वैज्ञानिक पिछले कुछ महीनों में लगभग 200 बार बारिश करवा चुके हैं।  

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