
बगदाद: अरब लीग का वार्षिक शिखर सम्मेलन शनिवार को बगदाद में आरंभ हो गया है, जिसमें मध्य पूर्व के क्षेत्रीय नेता एक बार फिर से गाजा युद्ध जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के लिए एकत्र हुए हैं। सम्मेलन में इस बात की संभावना है कि हालिया इजरायल-हमास संघर्ष और गाजा में मानवीय संकट पर गंभीर विचार-विमर्श हो। यह सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है, जब गाजा में पिछले 48 घंटों में इजरायली सेना ने कम से कम 108 फिलिस्तीनियों को मौत के घाट उतार दिया है।
गाजा के पुनर्निर्माण पर फिर चर्चा संभव
इससे पहले मार्च में काहिरा में आयोजित आपातकालीन अरब शिखर सम्मेलन में, नेताओं ने यह स्पष्ट किया था कि वे गाजा पट्टी में बिना किसी जबरन विस्थापन के पुनर्निर्माण की योजना का समर्थन करते हैं। गाजा की लगभग 20 लाख आबादी के विस्थापन की आशंका को लेकर कई देशों ने आपत्ति जताई थी। जनवरी में इजरायल द्वारा हमास के साथ हुए युद्धविराम को तोड़ने के बाद से क्षेत्र में तनाव और हिंसा बढ़ गई है। बीते हफ्तों में गाजा में इजरायली हवाई हमलों की तीव्रता और घातकता में भारी इजाफा हुआ है।
नेतन्याहू ने कहा-हमास पर हमले होंगे और तेज
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बयान दिया है कि वे हमास को पूरी तरह से "नष्ट" करने के लिए बल प्रयोग को और तेज़ करेंगे। नेतन्याहू का कहना है कि वह पूरी तरह से हमास आतंकवादियों का खात्मा करने के बाद ही अपने कदम पीछे खींचेंगे।
ट्रंप की अचानक यात्रा और नई चर्चाओं को हवा
इस शिखर सम्मेलन से ठीक पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की क्षेत्रीय यात्रा ने सम्मेलन के स्वर को प्रभावित किया। हालांकि उम्मीद की जा रही थी कि ट्रंप गाजा युद्धविराम पर कोई नई पहल लाएंगे, लेकिन ऐसा कोई समझौता नहीं हो पाया। हालांकि ट्रंप ने सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से मुलाकात कर सीरिया पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने का आश्वासन देकर सुर्खियां जरूर बटोरीं। यह बैठक इसलिए भी विवादों में रही। क्योंकि अल-शरा, जिन्हें पहले अबू मोहम्मद अल-गोलानी के नाम से जाना जाता था, 2003 में इराक में अमेरिकी आक्रमण के बाद अल-कायदा के विद्रोहियों से जा मिले थे। अल-शरा पर आज भी इराक में आतंकवाद के आरोप हैं और उनकी गिरफ्तारी के लिए वॉरंट जारी है।
क्षेत्रीय संतुलन और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति
बगदाद में चल रहे इस सम्मेलन में भाग लेने वाले कई देशों के लिए यह मंच गाजा के हालात, इजरायल की सैन्य नीति और अमेरिका की भूमिका पर एकजुट रुख अपनाने का अवसर है। माना जा रहा है कि सम्मेलन में मानवीय सहायता, शांति प्रक्रिया, और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त रणनीति जैसे मसलों पर भी प्रस्ताव पारित किए जा सकते हैं। (एपी)