Thursday, April 18, 2024
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पाकिस्तान ने 'जबरन धर्मातरण' पर अमेरिकी रिपोर्ट को 'निराधार' व 'पक्षपातपूर्ण' करार दिया

रिपोर्ट में कहा गया है, "वर्ष के दौरान, चरमपंथी समूह और खुद को समाज का ठेकेदार समझने वाले लोग धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव और हमले करते रहे, जिनमें हिंदू, ईसाई, सिख, अहमदी और शिया मुस्लिम शामिल हैं।" रिपोर्ट के निष्कर्षो से पता चला है कि पाकिस्तान सरकार इन समूहों को पर्याप्त सुरक्षा देने में विफल रही है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 29, 2019 16:34 IST
(Representational Image)- India TV Hindi
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इस्लामाबाद | पाकिस्तान ने देश में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की हालिया अमेरिकी रिपोर्ट खारिज कर दी है और इसे 'निराधार' व 'पक्षपातपूर्ण' करार दिया है। अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग संबंधी अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति 2018 में 'आम तौर पर नकारात्मक प्रवृत्ति' में रही। 

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रिपोर्ट में कहा गया है, "वर्ष के दौरान, चरमपंथी समूह और खुद को समाज का ठेकेदार समझने वाले लोग धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव और हमले करते रहे, जिनमें हिंदू, ईसाई, सिख, अहमदी और शिया मुस्लिम शामिल हैं।" रिपोर्ट के निष्कर्षो से पता चला है कि पाकिस्तान सरकार इन समूहों को पर्याप्त सुरक्षा देने में विफल रही है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि देश के सख्त ईश निंदा कानूनों को अपमानजनक रूप से थोपे जाने के नतीजतन गैर-मुस्लिमों, शिया मुसलमानों और अहमदियों के अधिकारों का दमन जारी है। हिंदू विवाह अधिनियम के पारित होने के बावजूद, जो हिंदू परिवार कानून को मान्यता देता है, गैर-मुसलमानों का जबरन धर्मातरण जारी है। 

इन विशेष रूप से गंभीर उल्लंघनों के आधार पर, यूएससीआईआरएफ 2019 में फिर से पाता है कि अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (आईआरएफए) के तहत पाकिस्तान को 'कंट्री ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न' या सीपीसी के रूप में नामित किया जाना चाहिए। अमेरिकी आयोग ने सिफारिश की है। हालांकि, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, "पाकिस्तान पर रिपोर्ट का भाग असंतुलित और पक्षपाती बयानों का एक संग्रह है। सिद्धांत के अनुसार, पाकिस्तान संप्रभु देशों के आंतरिक मामलों पर टिप्पणियों का समर्थन करने वाली ऐसी राष्ट्रीय रिपोटरें का समर्थन नहीं करता है। पाकिस्तान इन बातों को अस्वीकार करता है।" बयान में आगे कहा गया कि पाकिस्तान का मानना है कि सभी देश धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए बाध्य हैं और राष्ट्रीय कानूनों और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार अपने नागरिकों की सुरक्षा करना उनका कर्तव्य है।

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