Friday, April 19, 2024
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पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बोलना बड़े पत्रकार को पड़ गया भारी? हुआ से सलूक

दरअसल हामिद मीर ने पत्रकार असद तूर के खिलाफ अज्ञात हमलावर द्वारा की गए हमले की निंदा की थी और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ टिप्पणी की थी। पत्रकार असद तूर को पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया सेवा का कड़ा आलोचक माना जाता है। उनपर इस्लामाबाद में अज्ञात हमलवारों देवार उनके अपार्टमेंट में हमला किया गया था।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 01, 2021 9:14 IST
Pakistani Journalist taken off air for speaking against Pakistan Army and ISI पाकिस्तानी सेना के खिल- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/YOUSAFZAI698 & OFFICIALDGISPR पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बोलना बड़े पत्रकार को पड़ गया भारी? हुआ से सलूक

इस्लामाबाद. पाकिस्तान की सत्ता में कोई भी पार्टी हो लेकिन वहां असली राज हमेशा पाकिस्तानी सेना का होता है। आतंकवाद की समर्थक पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बोलना किसी भी पाकिस्तानी के लिए काफी खतरनाक साबित होता है। अब पाकिस्तान के बड़े पत्रकारों में शुमार किए जाने वाले हामिद मीर को पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बोलने का मोल चुकाना पड़ा है। हामिद मीर, जो पाकिस्तान के लिए जिओ टीवी के लिए काम करते हैं, उन्हें अनिश्चित काल के लिए उनका शो करने से रोक दिया गया है। इसकी वजह से पाकिस्तानी सेना के खिलाफ की गई टिप्पणी।

दरअसल हामिद मीर ने पत्रकार असद तूर के खिलाफ अज्ञात हमलावर द्वारा की गए हमले की निंदा की थी और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ टिप्पणी की थी। पत्रकार असद तूर को पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया सेवा का कड़ा आलोचक माना जाता है। उनपर इस्लामाबाद में अज्ञात हमलवारों देवार उनके अपार्टमेंट में हमला किया गया था।

पत्रकार हामिद मीर करीब दो दशकों से जिओ टीवी पर 'कैपिटल टॉक' नाम से शो करते हैं। उन्होंने सोमवार को कहा कि वो इस प्रतिबंध की आशंका थी। मीर ने ट्विटर पर लिखा, "मेरे लिए कुछ भी नया नहीं है। मुझे पहले दो बार प्रतिबंधित किया गया था। दो बार नौकरी गंवाई। मेरी हत्या के प्रयास किए गए, लेकिन संविधान में दिए गए अधिकारों के तहत आवाज उठाने से नहीं रोक सके। इस बार मैं किसी भी परिणाम के लिए तैयार हूं और किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हूं क्योंकि वे (सेना और आईएसआई के संदर्भ में) मेरे परिवार को धमकी दे रहे हैं।"

जिओ मैनेजमेंट के अनुसार, पत्रकार हामिद अभी जंग ग्रुप का हिस्सा रहेंगे लेकिन उन्हें छुट्टी पर भेजा गया है और वो अनिश्चितकाल के लिए टीवी पर नहीं दिखाई देंगे।

पाकिस्तान में हुए इस घटनाक्रम को लेकर मीडियाकर्मियों में गुस्सा है और कई पत्रकार हामिद मीर के समर्थन में आगे आए हैं। वरिष्ठ पत्रकार अबसार आलम जिन्हें पिछले महीने अज्ञात हमलावरों ने इस्लामाबाद में उनके घर के पास पेट में गोली मार दी थी, उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि किसी के भी परिवार को धमकी देना शर्मनाक है। अगर किसी को हामिद मीर के खिलाफ शिकायत है तो वह असंवैधानिक और फासीवादी कृत्यों का सहारा लेने के बजाय कानूनी रास्ते पर चले।

आलम के साथी पत्रकारों ने हमले के लिए सेना की खुफिया एजेंसी को जिम्मेदार ठहराया था।

पत्रकार अस्मा शिराज़ी ने ट्वीट कर कहा कि अगर हामिद मीर को ऑफ एयर कर दिया जाता है या कार्यक्रम करने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है, तो अधिक उंगलियां शक्तिशाली प्रतिष्ठान और सरकार की ओर उठेंगी। एक अन्य पत्रकार मुनिजे जहांगीर ने कहा कि हामिद मीर पर प्रतिबंध उन लोगों पर एक तमाचा है जो पाकिस्तान में स्वतंत्र मीडिया होने का दावा करते हैं। मीर निस्संदेह पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय टीवी एंकर हैं और उन्हें पत्रकारों पर हमलों के खिलाफ बोलने के लिए दंडित किया जा रहा है।

आपको बता दें कि ये पूरा घटनाक्रम पिछले हफ्ते शुरू हुआ जब पाकिस्तानी पत्रकार और ब्लॉगर असद अली तूर पर इस्लामाबाद में उनके अपार्टमेंट के अंदर अज्ञात हमलावरों ने हमला किया। बाद में अक बयान में पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने दावा किया कि अतीत में कुछ पत्रकारों ने सेना और आईएसआई को केवल राजनीतिक शरण और विदेशों में political asylum प्राप्त करने के लिए दोषी ठहराया था।

शुक्रवार को चौधरी के दावे के विरोध में इस्लामाबाद प्रेस क्लब के बाद एक प्रदर्शन किया गया। जिसमें हामिद मीर ने फवाद चौधरी के दावे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा, "मुझ पर हमला हुआ लेकिन मैं अभी भी पाकिस्तान में हूं। मतिउल्लाह जान पर एक बार हमला हुआ था लेकिन वह भी पाकिस्तान में हैं। अबसार आलम भी पाकिस्तान में मौजूद हैं।" मीर ने पाकिस्तानी हुकूमत से सवाल करते हुए पूछा, "मैं मंत्री से पूछना चाहता हूं कि जनरल मुशर्रफ जैसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी विदेश में क्यों रह रहे हैं? मंत्री इस बात का जवाब नहीं दे पाएंगे कि मुशर्रफ के विदेश प्रवास का फंडिंग कौन कर रहा है या अधिकांश शीर्ष खुफिया अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद पाकिस्तान के बाहर आकर्षक नौकरियां क्यों मिलती हैं।"

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