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भारत के साथ संबंधों को लेकर पीएम मोदी की टिप्पणी पर चीन ने दिया रिएक्शन, कहा 'दोनों देशों ने एक-दूसरे से सीखा'

पीएम मोदी ने अपने पॉडकास्ट में कहा कि पड़ोसियों के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं लेकिन वो मतभेद के बजाय संवाद को प्राथमिकता देते हैं। इस बीच पॉडकास्ट में चीन को लेकर पीएम मोदी जो कुछ कहा उसे लेकर भी बीजिंग ने प्रतिक्रिया दी है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Mar 17, 2025 17:26 IST, Updated : Mar 17, 2025 18:20 IST
पीएम मोदी (L) शी जिनपिंग (R)
Image Source : AP पीएम मोदी (L) शी जिनपिंग (R)

बीजिंग: चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत-चीन संबंधों पर ‘सकारात्मक’ टिप्पणी की सोमवार को सराहना की, जिसमें उन्होंने मतभेद के बजाय संवाद को तरजीह दी है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने यहां एक प्रेसवार्ता में अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणियों पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि चीन ने, चीन-भारत संबंधों पर प्रधानमंत्री मोदी के हालिया सकारात्मक टिप्पणी पर ध्यान दिया है और इसकी सराहना करता है। 

'चीन-भारत एक-दूसरे की सफलताओं को समझते हैं'

माओ ने कहा कि अक्टूबर में रूस के कजान में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सफल बैठक ने द्विपक्षीय संबंधों के सुधार और विकास के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने महत्वपूर्ण आम सहमतियों पर गंभीरतापूर्वक अमल किया है, आदान-प्रदान को मजबूत किया है और सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूं कि 2000 से अधिक वर्षों के आपसी संबंधों के इतिहास में दोनों देशों ने मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान बनाए रखा है" और दोनों देशों ने सभ्यतागत उपलब्धियों और मानव प्रगति में योगदान देते हुए एक-दूसरे से सीखा है। उन्होंने कहा कि दो सबसे बड़े विकासशील देशों के रूप में, चीन और भारत ने अपने विकास और पुनरोद्धार में तेजी लाने के कार्य को साझा किया है तथा एक-दूसरे की सफलताओं को समझते हैं और उनका समर्थन करते हैं।

'चीन संबंधों को आगे बढ़ाएगा'

माओ ने कहा कि यह 2.8 अरब से अधिक लोगों के मौलिक हितों की पूर्ति करता है, क्षेत्रीय देशों की साझा आकांक्षाओं की पूर्ति करता है, तथा ‘ग्लोबल साउथ’ के मजबूत होने तथा विश्व शांति के लिए अनुकूल होने की ऐतिहासिक प्रवृत्ति का अनुसरण करता है। उन्होंने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बयान को दोहराते हुए कहा कि दोनों देशों को ऐसा साझेदार बनना चाहिए जो एक-दूसरे की सफलता में योगदान दें और ‘हाथी’ (भारत) और ‘ड्रैगन’ (चीन) का तालमेल बिठाकर साथ चलना ही दोनों देशों के संबंधों के लिए ‘‘एकमात्र सही विकल्प’’ है। उन्होंने कहा कि चीन दोनों नेताओं के बीच महत्वपूर्ण आम सहमति को लागू करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं। माओ ने कहा कि चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ को एक अवसर के रूप में लेगा और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और सुदृढ़ विकास के पथ पर आगे बढ़ाएगा।

'मतभेद विवाद में ना बदल जाएं'

पीएम मोदी ने अपने पॉडकास्ट में कहा कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 2020 में हुई झड़पों से उत्पन्न तनाव को कम करने के लिए राष्ट्रपति शी के साथ उनकी हालिया बातचीत के बाद भारत-चीन सीमा पर सामान्य स्थिति लौट आई है। विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों के बीच संबंधों के प्रति आशावादी रुख अपनाते हुए मोदी ने कहा कि पड़ोसियों के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं तथा उन्होंने उनके बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया, जब दोनों सभ्यताएं एक-दूसरे से सीखती थीं तथा उनके बीच बहुत कम संघर्ष होता था। उन्होंने कहा कि उनके प्रयासों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उनके मतभेद विवाद में ना बदल जाएं और मतभेद के बजाय संवाद को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने एक समय वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया था। उन्होंने कहा, "हमारा सहयोग ना केवल (पारस्परिक रूप से) लाभकारी है, बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक भी है।" (भाषा) 

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