Saturday, May 11, 2024
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Djibouti: अफ्रीका के जरिए भारत को घेरने के तैयारी में चीन, जिबूती सैन्य अड्डा से कर रहा है यह प्लान

Djibouti: चीन ने अफ्रीका के जिबूती में अपने नौसैनिक अड्डे का संचालन शुरू कर दिया है। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि जिबूती में चीन के नौसैनिक अड्डे पर अब हमेशा कोई न कोई युद्धपोत तैनात किए रहता है। मैक्सार की तस्वीरें इस नौसैनिक अड्डे पर तैनात चीन के युझाओ श्रेणी के लैंडिंग जहाज को दिखाती हैं।

India TV News Desk Edited By: India TV News Desk
Updated on: August 19, 2022 18:47 IST
Djibouti naval base- India TV Hindi
Image Source : PTI/AP Djibouti naval base

Highlights

  • जिबूती दुनिया के सबसे बड़े समुद्री व्यापार मार्ग के किनारे स्थित एक देश है
  • स्वेज नहर से गुजरने वाले सभी व्यापारिक जहाज जिबूती के पास से गुजरते हैं
  • चीन ने म्यांमार में यंगून पोर्ट को भी लीज पर लिया है

Djibouti: चीन ने अफ्रीका के जिबूती में अपने नौसैनिक अड्डे का संचालन शुरू कर दिया है। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि जिबूती में चीन के नौसैनिक अड्डे पर अब हमेशा कोई न कोई युद्धपोत तैनात किए रहता है। मैक्सार की तस्वीरें इस नौसैनिक अड्डे पर तैनात चीन के युझाओ श्रेणी के लैंडिंग जहाज को दिखाती हैं। यह बंदरगाह पर एक एप्रन के पास स्थित 320 मीटर लंबे बर्थिंग क्षेत्र के साथ डॉक किया गया है। इसी साल मार्च में पहली बार चीनी नौसेना का एक और युद्धपोत भी जिबूती पहुंचा था। जिबूती में चीन का नौसैनिक अड्डा कई वर्षों से मौजूद है लेकिन मार्च 2022 से पहले यहां कोई युद्धपोत तैनात नहीं किया गया था। आपको बता दें कि अदन की खाड़ी(Gulf of Aden) के पास स्थित जिबूती एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग पर बसा है। चीन यहां अपनी नौसैनिक मौजूदगी दर्ज कराकर रणनीतिक बढ़त हासिल करने की तैयारी में है। एशिया में चीन के लिए सबसे बड़ा खतरा भारत से है। इसी कारण से चीन ने भारत को घेरने के लिए हिंद महासागर में अपना एक्शन प्लान तैयार कर रहा है। 

चीन का है यह विदेशी सैन्य अड्डा

जिबूती में चीनी नौसेना बेस स्टेशन ड्रैगन का ये पहला विदेशी सैन्य अड्डा है। इस अड्डे को बनाने में 590 मिलियन डॉलर लगी है। चीन ने 2016 में जिबूती में अपना सैन्य अड्डे का निर्माण शुरू किया था। जिबूती दुनिया के नक्शे पर काफी महत्वपूर्ण जगह पर है। ये देश अदन की खाड़ी और लाल सागर को डिवाइड करता है। इसके अलावा स्वेज नहर पर भी अपनी पहुंच बनाता है। ऐसे में चीन चाहता है कि हिंद महासागर के हर हिस्से में उसकी पकड़ मजबुत हो ताकि वह दुनिया के समुद्री व्यापार को अपने कब्जे में कर सकें। आपको बता दें कि चीन हर तरफ से भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला कर रहा है। श्रीलंका के हंबनटोटा में चीन का जासूसी जहाज युआन वांग 6 मौजूद है। वहीं पाकिस्तान में चीनी सैनिकों को तैनात करने की तैयारी की जा रही है। चीन ने म्यांमार में यंगून पोर्ट को भी लीज पर लिया है। इसके अलावा चीन ने सैन्य इस्तेमाल के लिए कर्ज के बदले कंबोडिया में एक बंदरगाह भी हासिल कर लिया है। इस बंदरगाह से चीन भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर नजर रख सकता है। इतना ही नहीं अमेरिकी रक्षा विभाग की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन अफ्रीका समेत 13 देशों को अपने सैन्य अड्डे के तौर पर देख रहा है. इन देशों में अंगोला, केन्या, सेशेल्स, तंजानिया और यूएई भी शामिल हैं। चीन छोटे मध्य अफ्रीकी देश इक्वेटोरियल गिनी में अटलांटिक महासागर के तट पर अपनी पहली स्थायी सैन्य उपस्थिति स्थापित करने के लिए तैयार है।

जिबूती सैन्य अड्डे को किले में कर दिया है तब्दील 
दुनिया भर के देशों की नौसेनाओं पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ HI Sutton ने गुप्त तटों में बताया है कि जिबूती में चीनी नौसैनिक अड्डा बहुत मजबूती से बनाया गया है। इसमें सुरक्षा के कई उपाय भी किए गए हैं। यह बाहर से किसी मध्यकालीन किले जैसा दिखता है। इससे साफ है कि चीन ने जिबूती में अपने नौसैनिक अड्डे को सीधे हमले का सामना करने के लिए डिजाइन किया है। जिबूती में नौसेना बेस बिल्डिंग बहुत पहले तैयार की गई थी, लेकिन इसने किसी भी युद्धपोत की तैनाती से परहेज किया है। हालाँकि, हाल के दिनों में युद्धपोतों की उपस्थिति से पता चलता है कि यह हिंद महासागर में अपनी नीति में काफी आक्रामक है।

चीन ने कर्ज तले जिबूती को दबाया
जिबूती दुनिया के सबसे बड़े समुद्री व्यापार मार्ग के किनारे स्थित एक देश है। स्वेज नहर से गुजरने वाले सभी व्यापारिक जहाज जिबूती के पास से गुजरते हैं। ऐसे में चीन ने भी जिबूती में अपनी मौजूदगी मजबूत करने के लिए भारी निवेश किया है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत चीन ने जिबूती को भारी मात्रा में कर्ज दिया है। इसमें रेलवे लाइन, कंटेनर डिपो, सड़कों और भवनों के निर्माण जैसी कई परियोजनाएं भी शामिल हैं। यही कारण है कि जिबूती में चीन की मौजूदगी ने पश्चिमी देशों के कान खड़े कर दिए हैं।

इस देशों का है सैन्य अड्डा 
अमेरिका, फ्रांस और स्पेन भी जिबूती में अपने सैन्य अड्डे बनाए हुए हैं। अमेरिकी सेना की यूएस-अफ्रीका कमांड का मुख्यालय कैंप लेमोनियर में है। यह अफ्रीका में एकमात्र स्थायी अमेरिकी सैन्य अड्डा है। जापान, इटली और स्पेन ने भी जिबूती में अपने सैन्य अड्डे स्थापित किए हैं। सऊदी अरब अपना बेस बनाने की सोच रहा है. फ्रांस की उपस्थिति 1894 से पहले की है क्योंकि वर्तमान जिबूती को कभी फ्रेंच सोमालीलैंड कहा जाता था, जो 1977 तक एक फ्रांसीसी उपनिवेश था।

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