
इजरायल और ईरान के बीच लगातार हो रहे हमले के चलते इलाके में तनाव काफी बढ़ गया है। इस बीच सोमवार को ईरान के प्रमुख सैन्य और खुफिया ठिकानों पर एक बार फिर से इजरायल ने हमले किए गए हैं। इजरायल डिफेंस फोर्सेज (IDF) के मुताबिक, इन हमलों में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और देश के आंतरिक सुरक्षा बलों के कमांड और कंट्रोल सेंटर शामिल थे। आईडीएफ ने ईरान में जिन जगहों पर हमला किया, उसके बारे में जानकारी भी दी है।
इजरायल ने ईरान के इन ठिकानों पर किया हमला-
- आईआरजीसी और आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों के कमांड सेंटर और रणनीतिक ठिकाने
- बसीज मुख्यालय- आईआरजीसी के अर्धसैनिक विंग के लिए एक केंद्रीय आधार, जिसका काम इस्लामी कानून और नागरिक निगरानी को लागू करना है।
- अल्बोरज़ कॉर्प- तेहरान में सैन्य अभियानों और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार।
- थार-अल्लाह कमांड सेंटर- तेहरान को कथित आंतरिक या बाहरी खतरों से बचाने वाला एक प्रमुख नोड।
- सैय्यद अल-शुहादा कॉर्प- नागरिक अशांति को दबाने और मातृभूमि के हितों की रक्षा करने का आरोप।
- आंतरिक सुरक्षा बलों का सामान्य खुफिया निदेशालय- सुरक्षा ढांचे के भीतर निगरानी, आंतरिक निगरानी और मीडिया नियंत्रण की देखरेख करता है।
इजरायल ने परमाणु कार्यक्रम नहीं बढ़ने देने का लिया संकल्प
यह हवाई हमला इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने की नई प्रतिबद्धता के बीच किया गया है, जिसे वह अस्तित्व के लिए खतरा मानता है। इजरायली अधिकारियों ने कहा है कि परमाणु हथियार बनाने के ईरान के "गुप्त प्रयासों" को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है और इसके लिए पहले से ही कार्रवाई करना आवश्यक है।
इजरायल ने लंबे समय से "परमाणु अस्पष्टता" की नीति अपनाई है, न तो अपने परमाणु शस्त्रागार की पुष्टि की है और न ही उसे नकारा है। हालांकि, व्यापक रूप से यह माना जाता है कि यह मध्य पूर्व में एकमात्र परमाणु-सशस्त्र राष्ट्र है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस जानबूझकर की गई अस्पष्टता ने क्षेत्रीय हथियारों की दौड़ को शुरू किए बिना या अंतरराष्ट्रीय जांच को भड़काए बिना विरोधियों को रोकने में मदद की है।
ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका का हमला
बता दें कि इस अभियान में शामिल होते हुए अमेरिकी सेना ने रविवार को ईरान में तीन परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया। हालांकि न तो इजरायल और न ही अमेरिका ने समन्वित हमलों के विवरण की पुष्टि की है, लेकिन लक्ष्यों के पैमाने और प्रकृति से पता चलता है कि ईरान के परमाणु और सुरक्षा बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के लिए एक संयुक्त रणनीतिक अभियान चलाया जा रहा है, इससे पहले कि यह चालू हो जाए या पूरी तरह से हथियारबंद हो जाए।