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UNSC में पाकिस्तान को लगा झटका, आतंकवाद से जुड़ी चार समितियों की मांग रहा था अध्यक्षता, मिली केवल एक

पाकिस्तान की मांगों के कारण यूएनएससी में आम सहमति नहीं बन पाई, जिससे यूएन समितियों के आवंटन की प्रक्रिया में लगभग पांच महीने की देरी हुई।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Jun 08, 2025 9:31 IST, Updated : Jun 08, 2025 10:27 IST
Shahbaz Sharif
Image Source : FILE शहबाज शरीफ, पाक पीएम

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तान की चाल कामयाब नहीं हो सकी और उसे एक झटका लगा है।  यूएनएससीके अस्थायी सदस्य के रूप में पाकिस्तान की चार आतंकवाद संबंधी समितियों के नेतृत्व की मांग को परिषद के अन्य सदस्यों ने खारिज कर दिया है। 

किन चार समितियों को अध्यक्षता मांग रहा था पाकिस्तान?

आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि पाकिस्तान को केवल 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता से ही काम चलाना पड़ा। पाकिस्तान ने 1267 प्रतिबंध समिति; 1540 (अप्रसार) प्रतिबंध समिति; 1988 तालिबान समिति; और 1373 आतंकवाद निरोधक समिति (सीटीसी) की अध्यक्षता की मांग की थी। तालिबान समिति के अलावा, उसे सीटीसी की उपाध्यक्षता की भी अनुमति दी गई है। 

पाक के रवैये से नाखुश दिखे अन्य सदस्य

पाकिस्तान की मांगों के कारण यूएनएससी में आम सहमति नहीं बन पाई, जिससे यूएन समितियों के आवंटन की प्रक्रिया में लगभग पांच महीने की देरी हुई। एक अधिकारी ने कहा, "आवंटन जनवरी 2025 तक हो जाना चाहिए था।"  पाकिस्तान के रवैये से अन्य सदस्य खुश नहीं थे। 

अड़ियल रवैये के चलते 5 महीने की देरी

एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान की मांगों ने संयुक्त राष्ट्र समितियों के आवंटन की प्रक्रिया में लगभग पांच महीने की देरी की है, उन्होंने कहा: "आम सहमति की कमी और पाकिस्तान की अनुचित मांगों ने जून 2025 तक आम सहमति को रोक दिया।अन्य परिषद सदस्य पाकिस्तान की मांगों और उसके रवैये से खुश नहीं थे।"

एक आधिकारिक सूत्र ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्य देश अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जानबूझकर इन कमेटियों की अध्यक्षता नहीं चाहते थे क्योंकि इन पदों की वास्तविक शक्ति सीमित होती है और निर्णय केवल सर्वसम्मति से ही लिए जा सकते हैं।

भारत भी कर चुका है अध्यक्षता

बता दें कि भारत पहले भी 2022 में इस समितियों की अध्यक्षता कर चुका है। वर्ष 2011-12 में भी यह पद उसके पास था। ऐसे में पाकिस्तान की तुलना में भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साख और भूमिका कहीं ज्यादा प्रभावशाली रही है। सूत्रों के मुताबिक तालिबान समिति में भारत को रूस और गुयाना जैसे मित्र देशों का समर्थन मिलेगा। इससे भारत के हितों को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। पाकिस्तान के पास 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता और 1373 काउंटर टेररिज्म कमेटी की औपचारिक उपाध्यक्षता मिली है। एक अधिकारी ने बताया कि कहा, "पाकिस्तान को बहुत शोर मचाने के बाद भी उम्मीद से काफी कम मिला। उसकी स्थिति और विश्वसनीयता का यही वास्तविक प्रतिबिंब है।"

 

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