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तालिबान शासन में क्या हो चुका है अफगानिस्तान का हाल, जानकर हैरान रह जाएंगे आप

तालिबानी शासन में महिलाओं और लड़कियों के साथ बेहद बुरा बर्ताव हो रहा है। तालिबान ने महिला मामलों के मंत्रालय को भी भंग कर दिया है। अल्पसंख्यक जातीय और धार्मिक समूहों की हालत भी यहां अच्छी नहीं है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Aug 15, 2025 06:01 pm IST, Updated : Aug 15, 2025 06:01 pm IST
Taliban rule in Afghanistan- India TV Hindi
Image Source : AP Taliban rule in Afghanistan

मेलबर्न: अफगानिस्तान का लोकतांत्रिक गणराज्य 15 अगस्त, 2021 को ध्वस्त हो गया था जब अमेरिका और नाटो के सभी सैनिक देश छोड़कर गए थे। तालिबान की फिर सत्ता में वापसी हुई और अफगान लोगों का भविष्य अनिश्चितता में घिर गया। संतुलित शासन और समावेशिता के वादों के बावजूद चार साल बाद तालिबान ने एक दमनकारी शासन स्थापित कर लिया है, जिसने कानून, न्याय और नागरिक अधिकारों की संस्थाओं को निर्ममता से कुचल दिया गया है। जैसे-जैसे तालिबान शासन ने अपनी पकड़ मजबूत की है, अंतरराष्ट्रीय ध्यान इस देश की तरफ कम होता गया है। यूक्रेन, गाजा और अन्य जगहों पर संकट वैश्विक एजेंडे पर हावी हो गए हैं, जिससे अफगानिस्तान सुर्खियों से बाहर हो गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ा तालिबान इस समस्या को समाप्त करने और वैधता हासिल करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय वास्तविक दबाव डालने की इच्छाशक्ति दिखा सकेगा? 

महिलाओं का है बुरा हाल

सत्ता में वापस आने के बाद, तालिबान ने देश के 2004 के संविधान को त्याग दिया, जिससे पारदर्शी कानून के बिना शासन किया जा रहा है। तालिबान नेता मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदजादा, कंधार स्थित अपने ठिकाने से मनमाने आदेशों से शासन चला रहे हैं। महिलाओं और लड़कियों पर तालिबान का दमन इतना गंभीर है कि मानवाधिकार समूह अब इसे ‘लैंगिक रंगभेद’ कहते हैं और इस बात पर जोर देते हैं कि इसे एक नया अंतरराष्ट्रीय अपराध घोषित किया जाना चाहिए। इन आदेशों ने महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया है, उन्हें प्राथमिक विद्यालय (धार्मिक शिक्षा को छोड़कर) के बाद की शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोक दिया गया है। महिलाएं बिना महरम या पुरुष अभिभावक के सार्वजनिक स्थानों पर स्वतंत्र रूप से नहीं घूम सकती हैं। 

Taliban rule in Afghanistan

Image Source : AP
Taliban rule in Afghanistan

नागरिकों की अभिव्यक्ति पर लग चुका है अंकुश

तालिबान ने महिला मामलों के मंत्रालय को भी भंग कर दिया और उसकी जगह दूसरा मंत्रालय स्थापित कर दिया है। दमन के एक प्रमुख साधन के रूप में, यह मंत्रालय नियमित छापेमारी और गिरफ्तारियों तथा सार्वजनिक स्थलों की निगरानी के माध्यम से संस्थागत लैंगिक भेदभाव को मजबूत करता है। तालिबान शासन के कारण अल्पसंख्यक जातीय और धार्मिक समूहों जैसे हजारा, शिया, सिख और ईसाइयों का बहिष्कार और उत्पीड़न भी हुआ है। तालिबान के प्रतिरोध के केंद्र बिंदु पंजशीर प्रांत में मानवाधिकार समूहों ने स्थानीय आबादी पर तालिबान के गंभीर दमन का दस्तावेजीकरण किया है, जिसमें सामूहिक गिरफ्तारी, यातना और हत्याएं शामिल हैं। व्यापक रूप से, तालिबान ने देश में नागरिकों की अभिव्यक्ति पर अंकुश लगा दिया है। 

रूस ने दी मान्यता, चीन ने संबंधों को किया गहरा

तालिबान शासन में हालात ऐसे हैं कि पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिंसा और मनमानी गिरफ्तारियों के जरिए चुप करा दिया गया है। हालांकि, अधिकतर देश तालिबान को देश की औपचारिक और वैध सरकार के रूप में मान्यता नहीं देते हैं, फिर भी कुछ क्षेत्रीय देशों ने इसके अंतरराष्ट्रीय अलगाव को कम करने का आह्वान किया है। पिछले महीने, रूस तालिबान को मान्यता देने वाला पहला देश बना। चीन भी इस समूह के साथ अपने आर्थिक और राजनयिक संबंधों को गहरा कर रहा है। भारत के विदेश मंत्री ने हाल ही में अपने तालिबान समकक्ष से मुलाकात की थी जिसके बाद तालिबान ने नई दिल्ली को एक ‘महत्वपूर्ण क्षेत्रीय साझेदार’ बताया था। (द कन्वरसेशन) 

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