
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद और पाकिस्तान पर यूरोप को जमकर सुनाया। जयशंकर ने यूरोप की आलोचना करते हुए कहा कि यूरोप पाकिस्तान में सैन्य शासन को लंबे समय से समर्थन देता आया है, जबकि सीमा पार से आक्रमण और लोकतांत्रिक अस्थिरता का रिकॉर्ड रहा है। विदेश मंत्री ने जर्मन समाचार आउटलेट पोलिटिकेन में इंटरव्यू के दौरान यह बात कही।
हम 80 साल से आतंकवाद झेल रहे हैं
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि 1947 में हमारी आजादी के बाद से ही पाकिस्तान ने कश्मीर में हमारी सीमाओं का उल्लंघन किया है। उसके बाद से आठ दशकों (80 साल) में हमने क्या देखा है? जयशंकर ने कहा कि आप लोग तो अब जागे हैं हम 80 साल से आतंकवाद और पाकिस्तान की हरकतों को झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र को जितना कमजोर पश्चिमी देशों ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया है।
जयशंकर ने कहा कि भारत ने सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान की भूमिका को लगातार उजागर किया है और लंबे समय से यह कहा है कि इस्लामाबाद की सत्ता संरचना पर सेना का प्रभुत्व है, जो आतंकवादी समूहों को कश्मीर घाटी, अफगानिस्तान समेत पूरे उपमहाद्वीप में सपोर्ट करता रहा है।
पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता
पाकिस्तान को 2004 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी (MNNA) नामित किया गया था। एक ऐसा दर्जा जिसने उसे कुछ सैन्य और वित्तीय सहायता प्रदान की। आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व वाले युद्ध को सभी ने उचित ठहराया गया था, लेकिन भारत और अन्य जगहों पर आलोचकों ने बार-बार सवाल उठाया है कि आतंकवादी नेटवर्क को पनाह देने के आरोपी देश पर इस तरह भरोसा कैसे किया जा सकता है।
यूरोप की यात्रा पर हैं विदेश मंत्री
बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी की अपनी तीन देशों की यात्रा के अंतिम पड़ाव के तहत बर्लिन में हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया कि मैंने आज बर्लिन में चांसलर फ्रेडरिक मर्ज से मिलकर गौरवान्वित महसूस किया। उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शुभकामनाएं दीं। हम रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने के लिए उनकी सरकार के साथ काम करने के लिए तत्पर हैं। भारत आतंकवाद की चुनौती का डटकर मुकाबला कर रहा है, ऐसे में उसके प्रति जर्मनी की एकजुटता की मैं सराहना करता हूं।