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डोनाल्‍ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे पहले कर सकते हैं भारत और चीन का दौरा, समझें इसके मायने

अमेरिका अपने नए राष्ट्रपति का स्वागत करने के लिए तैयार है। डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे हैं। शपथ ग्रहण से पहले ट्रंप भारत और चीन को लेकर अपना रुख साफ कर चुके हैं। तो चलिए इसके पीछे की स्टोरी समझते हैं।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Jan 20, 2025 12:33 IST, Updated : Jan 20, 2025 12:42 IST
पीएम नरेंद्र मोदी (L) डोनाल्ड ट्रंप (M) शी जिनपिंग (R)
Image Source : FILE पीएम नरेंद्र मोदी (L) डोनाल्ड ट्रंप (M) शी जिनपिंग (R)

Donald Trump Oath Ceremony: अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह भव्य होने वाला है। इस बीच ट्रंप ने राष्‍ट्रपति पद की शपथ से पहले अपने इरादे भी साफ कर दिए हैं। ट्रंप ने साफ संकेत दिए हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान विदेश नीति किस दिशा में जाएगा। जिस तरह के संकेत मिले हैं उससे जाहिर होता है कि ट्रंप एशिया पर फोकस कर रहे हैं।

भरत और चीन का दौरा करना चाहते हैं ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप की टीम का कहना है कि राष्‍ट्रपति बनने के बाद वह सबसे पहले भारत और चीन का दौरा करना चाहते हैं। ट्रंप की भारत और चीन की शुरुआती यात्राओं की योजना यह साफ दर्शाती है कि उनकी विदेश नीति के एजेंडे में इन दोनों देशों का प्रमुख स्थान रहने वाला है। भारत और चीन विश्‍व के सबसे बड़े बाजार हैं और इन बाजारों तक पहुंच आसान बनाने के लिए ट्रंप खासतौर पर एशिया के इन दोनों बड़े देशों की तरफ देख रहे हैं।

चीन को लेकर बदला ट्रंप का रुख

डोनाल्ड ट्रंप बीजिंग के साथ संबंधों को सुधारने के लिए चीन की यात्रा पर जाना चाहते हैं, इसके अलावा उन्होंने भारत की संभावित यात्रा को लेकर भी सलाहकारों से चर्चा की है। इतना ही नहीं ट्रंप ने फोन पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात की है। ट्रंप ने शी के साथ हुई चर्चा को शानदार बताया था। हालांकि, देखने वाली बात यह भी है कि ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की चेतावनी भी दी थी। अब ट्रंप का बदलता रुख साफ संदेश दे रहा है कि वह चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्ते हीं चाहते हैं। 

क्यों ट्रंप को दोस्तों की जरूरत है?

इतना ही नहीं, ट्रंप ने भारत की संभावित यात्रा के बारे में भी अपने सलाहकारों से बात की है। यूरोप, नाटो और पड़ोसियों कनाडा और मैक्सिको को छोड़कर भारत और चीन को तवज्‍जो देना एक बड़ा वैश्विक संदेश भी है। साफ है कि चीन और भारत से संबंधों के जरिए  अमेरिकी व्‍यापार को गति मिल सकती है। ट्रंप बड़े बिजनेसमैन भी हैं लिहाजा वो बेहतर तरीके से जानते हैं कि व्‍यापार के बिना अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि ट्रंप की नज भारत चीन पर है। 

यह भी जानें

गौर करने वाली बात यह भी है कि डोनाल्‍ड ट्रंप ने शपथ ग्रहण से पहले ही समस्‍याओं को हल करने के लिए काम करना शुरू कर दिया है। कीमतों में कमी लाने जैसे घरेलू मुद्दों पर भी ट्रंप गंभीरता से विचार कर रहे हैं। यह शपथ ग्रहण के लिए 100 खास मेहमानों की लिस्‍ट से भी जाहिर होता है। इन मेहमानों में मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी सहित कई देशों के बड़े उद्योगपति शामिल हैं। विदेश नीति के मोर्चे पर ट्रंप सरकार जिस तरह से आगे बढ़ रही है, वो उन्‍हें पिछली सरकारों की नीतियों से अलग करती है। 

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