Saturday, April 27, 2024
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जयशंकर ने कहा-East-West के ध्रुवीकरण और North-South के विभाजन के बीच G-20 अध्यक्षता थी चुनौतीपूर्ण, मगर भारत ने कर दिखाया

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा न्यूयॉर्क में कहा कि भारत ने ऐसे वक्त में जी-20 की अध्यक्षता संभाली जब East-West का ध्रुवीकरण और North-South का विभाजन तेज है। ऐसे वक्त में G-20 की अध्यक्षता चुनौतीपूर्ण थी। मगर भारत ने कर दिखाया। भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बनने में कामयाब रहा।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: September 24, 2023 18:15 IST
एस जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री।- India TV Hindi
Image Source : AP एस जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता ‘‘चुनौतीपूर्ण’’ थी क्योंकि यह ‘‘बहुत तेजी’’ से हो रहे पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण और ‘‘बहुत गहरे’’ उत्तर-दक्षिण विभाजन के बीच हुई। इसके बावजूद भारत ने कर दिखाया। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के इतर शनिवार को यहां ‘ग्लोबल साउथ के लिए भारत-संयुक्त राष्ट्र : विकास के लिए योगदान’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘हम नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के कुछ हफ्तों बाद मिले हैं, जो ‘एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब, एक भविष्य’ की थीम पर आयोजित हुआ था। यह चुनौतीपूर्ण शिखर सम्मेलन था। इसकी अध्यक्षता वास्तव में चुनौतीपूर्ण थी।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘यह चुनौतीपूर्ण था क्योंकि हम बहुत तेज पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण के साथ ही बहुत गहरे उत्तर-दक्षिण विभाजन का सामना कर रहे थे। लेकिन हमें जी20 के अध्यक्ष के रूप में यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत दृढ़ विश्वास था कि यह संगठन, जिससे दुनिया को इतनी सारी उम्मीदें हैं, वह वैश्विक वृद्धि और विकास के अपने मूल एजेंडे पर लौट सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि जी20 के नयी दिल्ली शिखर सम्मेलन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए इसकी विकासात्मक संभावनाओं पर विचार करने के वास्ते कई मायनों में नींव रखी। जयशंकर ने इस पर जोर दिया कि जब भारत के पास उसकी जी20 अध्यक्षता के कुछ और महीने बचे हैं तो ‘‘जी20 अध्यक्षता से पहले और निश्चित तौर पर उसके बाद, हम काफी हद तक एक साझेदार, योगदानकर्ता, सहयोगी रहेंगे ताकि दूसरों को इस पर प्रेरित कर सकें कि विकासात्मक चुनौतियों से कैसे निपटें।

अफ्रीकी संघ को सदस्यता मिलना महत्वपूर्ण

जयशंकर ने कहा कि जब दक्षिण-दक्षिण सहयोग की बात आती है तो ‘‘हमने बात पर अमल करने का प्रयास किया है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि जी20 के सबसे महत्वपूर्ण नतीजों में से एक अफ्रीकी संघ को मिली इस समूह की सदस्यता है। जयशंकर ने कहा कि यह उचित है कि भारत ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ बुलाकर जी20 की अपनी अध्यक्षता शुरू की जो ऐसी कवायद थी, जिसमें दक्षिण के 125 देश शामिल हुए। उन्होंने कहा कि इस कवायद से भारत को यह स्पष्ट हुआ कि ‘‘ग्लोबल साउथ’’ बुनियादी ढांचा संबंधी असमानताओं और ऐतिहासिक बोझ के परिणाम झेलने के अलावा अर्थव्यवस्था के सीमित होने के असर, कोविड-19 के विनाशकारी परिणाामों और तनाव एवं विवादों से भी जूझ रहा है। ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल उन विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए किया जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं।

जी-20 ने ग्लोबल साउथ की तत्काल आवश्यकताओं पर दिया जोर

जयशंकर ने कहा, ‘‘अत: इसकी जिम्मेदारी खासतौर पर हमारे ऊपर थी कि जी20 के अपने सभी सदस्यों के साथ मिलकर हम जी20 का ध्यान ग्लोबल साउथ की तत्काल और आवश्यक जरूरतों पर ध्यान फिर से केंद्रित कर पाए।’’ संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कार्यक्रम में कहा कि भारत की जी20 की अध्यक्षता अफ्रीकी संघ को इस समूह में शामिल कर मील का पत्थर साबित हुई जो ग्लोबल साउथ के बीच एकजुटता और सहयोग का एक मजबूत प्रतीक है। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर, महासभा की पहली महिला अध्यक्ष रहीं विजयलक्ष्मी पंडित के पदचिह्नों पर चलना मेरे लिए गर्व की बात है जिन्हें भारत ने गर्व से संयुक्त राष्ट्र की जिम्मेदारी सौंपी थी।’’ फ्रांसिस ने कहा, ‘‘भारत के हाल के चंद्र मिशन, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की घटना ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी की ताकत और यह भी दिखाया है कि जब इन तक सभी देशों की पहुंच होती है तो क्या हासिल किया जा सकता है।’  (भाषा)

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