Thursday, May 02, 2024
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US report on Russia-Ukraine war: दुनिया के निरंकुश देशों के साथ मिल रूस कर रहा ये काम, अमेरिका-ब्रिटेन की खुफिया रिपोर्ट से सनसनी

US report on Russia Ukraine war: क्या रूस निरंकुश देशों के साथ मिलकर अमेरिका और पश्चिम के खिलाफ कोई बड़ी साजिश रच चुका है, क्या रूस अपने खतरनाक इरादों से पश्चिम को बर्बाद कर देना चाहता है, क्या रूस को अब वो हथियार मिल गया है, जिससे अमेरिका और पश्चिम का नामो-निशान मिट जाएगा?.

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra
Published on: September 17, 2022 16:43 IST
US Report on Russia- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV US Report on Russia

Highlights

  • उत्तर कोरिया के साथ खतरनाक साजिश कर रहा रूस
  • रूस के साथ चीन भी गठजोड़ में शामिल
  • हथियारों के लिए उत्तर कोरिया और ईरान का रुख कर रहा रूस

US report on Russia Ukraine war: क्या रूस निरंकुश देशों के साथ मिलकर अमेरिका और पश्चिम के खिलाफ कोई बड़ी साजिश रच चुका है, क्या रूस अपने खतरनाक इरादों से पश्चिम को बर्बाद कर देना चाहता है, क्या रूस को अब वो हथियार मिल गया है, जिससे अमेरिका और पश्चिम का नामो-निशान मिट जाएगा?..... अमेरिका और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों ने रूस पर कुछ ऐसा ही चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस रिपोर्ट के बाद पूरी दुनिया में तहलका मच गया है। आइए अब आपको बताते हैं कि रूस ऐसा क्या करने वाला है, जिससे कि अमेरिका और ब्रिटेन ने पश्चिमी देशों को सावधान रहने की चेतावनी दे डाली है।

उत्तर कोरिया के साथ खतरनाक साजिश कर रहा रूस

अमेरिका की एक हालिया खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि रूस, उत्तर कोरिया से सोवियत काल के ‘‘लाखों’’ हथियार खरीदने की योजना बना रहा है। ब्रिटेन के रक्षा खुफिया तंत्र ने भी इसकी पुष्टि की है कि रूस पहले ही यूक्रेन में ईरान द्वारा निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन के बीच बीते 15 अगस्त को उत्तर कोरिया के मुक्ति दिवस का जश्न मनाने के लिए हुए कूटनीतिक संवाद के बाद ये खुलासे किए गए हैं। दोनों नेताओं ने नए सामरिक और रणनीतिक सहयोग का प्रस्ताव दिया है तथा उनके बीच मित्रता की परंपरा पर जोर दिया है। कुछ दिन पहले ही पुतिन ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाकात की थी और साथ ही ईरान में एक प्रमुख व्यापार प्रतिनिधिमंडल भेजने का वादा किया था।

रूस के साथ चीन भी गठजोड़ में शामिल
उन्होंने ईरान को शंघाई सहयोग संगठन का पूर्णकालिक सदस्य बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करने का भी वादा किया था। इस राजनीतिक और सुरक्षा गठबंधन में रूस, चीन, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान शामिल हैं। यूक्रेन पर हमला करने के बाद से रूस पश्चिमी देशों से अलग-थलग हो गया है, जिसके बाद वह निरंकुश देशों खासतौर से उत्तर कोरिया और ईरान के साथ अपने सहयोग को सुधारने पर जोर दे रहा है। इस गठजोड़ में चीन भी शामिल हो सकता है तथा इससे आने वाले वर्षों में पश्चिमी देशों के सामने एक असल खतरा पैदा हो सकता है। मॉस्को के शीतयुद्ध के दौरान प्योंगयांग के साथ करीबी कूटनीतिक संबंध रहे हैं और सोवियत संघ, उत्तर कोरिया के सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदारों में से एक रहा है। यह रिश्ता 1991 में नाटकीय रूप से तब बदल गया था जब सोवियत संघ का विघटन हो गया था।

वर्ष 2000 से पुतिन ने उत्तर कोरिया के साथ की संबंधों की नई शुरुआत
रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस कम्युनिस्ट देश नहीं रहा और उसका ध्यान पश्चिमी लोकतंत्रों के साथ सकारात्मक संबंध बनाने पर केंद्रित हो गया। उसने वैचारिक संबंधों के बजाय आर्थिक संबंधों को तरजीह दी और अमेरिका तथा दक्षिण कोरिया से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कीं। इससे प्योंगयांग के साथ उसके रिश्ते खराब हो गए तथा उत्तर कोरिया ने चीन के साथ करीबी संबंध बनाने पर ध्यान केंद्रित कर दिया। जब पुतिन 2000 में सत्ता में आए तो उत्तर कोरिया के साथ रूस के कूटनीतिक संबंधों को नए सिरे से शुरू करने की कोशिशें कीं। किम जोंग-उन के पिता किम जोंग-इल तो कुछ मौके पर रूस भी गए। हालांकि, विदेश नीति के लिए रूस के गहन व्यावहारिक रुख से इस रिश्ते में खटास पड़ गयी। पश्चिमी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए क्रेमलिन लगातार प्योंगयांग के परमाणु कार्यक्रम की निंदा करता रहा।

यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस को मिला उत्तर कोरिया से संबंध सुधारने का मौका
बहरहाल, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से उसके आर्थिक और राजनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ने के बाद उसे दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने का मौका मिला है। सोवियत संघ के विघटन के बाद उत्तर कोरिया व्यापार और ऊर्जा के लिहाज से काफी हद तक बीजिंग पर निर्भर हो गया है। लेकिन यह रिश्ता भी राजनीतिक तनाव से मुक्त नहीं है। कोरियाई प्रायद्वीप में चीन का मुख्य उद्देश्य उत्तर कोरिया के निरंकुश सरकार को गिरने से बचाना तथा दक्षिण कोरिया के साथ उसके पुन:एकीकरण को रोकना है। यह चीन को स्वीकार्य नहीं होगा क्योंकि उसे डर है कि कोरियाई देशों के एकजुट होने से क्षेत्र में अमेरिका की भागीदारी बढ़ेगी। चीन और उत्तर कोरिया के बीच रिश्तों में यही एक वजह है कि किम जोंग उन मॉस्को से नजदीकी बढ़ाना चाहते हैं। एक और वजह यह है कि रूस से करीबी रिश्ते रखने पर उसे सस्ती दर पर ऊर्जा मिल सकती है और वह अपना तकनीकी, वैज्ञानिक एवं वाणिज्यिक सहयोग बढ़ा सकता है।

हथियारों के लिए उत्तर कोरिया और ईरान का रुख कर रहा रूस
कुछ टिप्पणीकारों का कहना है कि उत्तर कोरिया के प्रति रूस का झुकाव एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने दावा किया कि हथियारों के लिए रूस के अनुरोध का मतलब है कि क्रेमलिन के खिलाफ सैन्य और आर्थिक प्रतिबंध काम कर रहे हैं। अन्य देशों से हथियार न खरीद पाने के कारण पुतिन उत्तर कोरिया तथा ईरान का रुख कर रहे हैं जिनके शस्त्रों को अविश्वसनीय माना जाता है। यह सच है कि दुनिया के सबसे खतरनाक निरंकुश देशों के बीच करीबी संबंध पश्चिमी के लिए सख्त चेतावनी है। उत्तर कोरिया तथा ईरान में रूस के हित स्वार्थी हो सकते हैं लेकिन इससे यह संकेत भी मिलता है कि मॉस्को पश्चिमी देशों के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए रखने को लेकर चिंतित नहीं है तथा वह शंघाई सहयोग संगठन को नाटो के प्रतिद्वंद्वी के तौर पर खड़ा कर सकता है।

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