Thursday, April 25, 2024
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Bihar New: निकाय चुनाव पर हाई कोर्ट के फैसले के बाद JDU-BJP आमने-सामने, कही ये बातें

Bihar News: जेडीयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार में चल रहे नगर निकायों के चुनाव में अतिपिछड़ा आरक्षण को रद्द करने एवं तत्काल चुनाव रोकने का हाई कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: October 04, 2022 18:06 IST
Bihar CM Nitish Kumar- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Bihar CM Nitish Kumar

Highlights

  • 'ऐसा निर्णय केंद्र सरकार और बीजेपी की गहरी साजिश का परिणाम है'
  • 'केंद्र सरकार और बीजेपी की इस साजिश के खिलाफ जदयू आंदोलन करेगा'
  • 'पूरा बिहार इस बात को पहचान गया है कि नीतीश कुमार आरक्षण के विरोधी हैं'

Bihar News: पटना हाई कोर्ट ने बिहार में होने वाले नगर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण पर रोक लगा दी है। इसके बाद से ही बिहार की सियासत गरमा गई है। सत्तारूढ़ जेडीयू जहां केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है, वहीं बीजेपी इसे लेकर राज्य सरकार को कोस रही है।

पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने नगर निकाय चुनाव में आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य में अधिसूचित कर चुनाव कराने का आदेश दिया है। खंडपीठ ने साथ ही यह भी कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग चाहे तो वह मतदान की तारीख को आगे बढ़ा सकता है।

तत्काल चुनाव रोकने का HC का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण-  कुशवाहा

जेडीयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार में चल रहे नगर निकायों के चुनाव में अतिपिछड़ा आरक्षण को रद्द करने एवं तत्काल चुनाव रोकने का हाई कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा निर्णय केंद्र सरकार और  बीजेपी की गहरी साजिश का परिणाम है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र की सरकार ने समय पर जातीय जनगणना करावाकर आवश्यक संवैधानिक औपचारिकताएं पूरी कर ली होती, तो आज ऐसी स्थिति नहीं आती। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और बीजेपी की इस साजिश के खिलाफ जदयू आंदोलन करेगा। शीघ्र ही पार्टी कार्यक्रम की घोषणा करेगी।

 नीतीश कुमार आरक्षण के विरोधी हैं- संजय जायसवाल

उधर, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि आज पूरा बिहार इस बात को पहचान गया है कि नीतीश कुमार आरक्षण के विरोधी हैं। आज तक पिछड़ों और अति पिछड़ों को जो भी आरक्षण मिला है वह बीजेपी के साथ रहने के कारण नीतीश कुमार ने मजबूरी में दिया था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद सभी नगर निगम और नगर परिषद क्षेत्रों का आरक्षण का रोस्टर बना रहे थे, लेकिन तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार ने जानबूझकर आरक्षण का रोस्टर बनाए बिना ही नगर निकाय के चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करा दिए, जिससे कि सभी बिहार की सीटें विवाद में पड़ जाएं।

'CM बताएं कि बिना तैयारी के चुनाव प्रक्रिया क्यों शुरू किया गया'

वहीं, बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जानबूझकर पिछड़ा, अति पिछड़ा को धोखा दिया। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि नीतीश कुमार बताएं कि आयोग गठन करने की जिम्मेदारी किसकी थी। उन्होंने सवाल करते हुए यह भी कहा कि मुख्यमंत्री बताएं कि बिना तैयारी के चुनाव प्रक्रिया क्यों शुरू किया गया।

हाई कोर्ट ने निकाय चुनाव में अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर लगाई रोक 

गौरतलब है कि पटना हाई कोर्ट ने आज निकाय चुनाव में अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर रोक लगाने के दौरान कहा कि बिहार सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने पिछड़ों को आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। हाई कोर्ट ने कहा है कि बिहार का राज्य निर्वाचन आयोग अपने संवैधानिकत जिम्मेदारी का पालन करने में विफल रहा। पटना हाई कोर्ट ने निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर दायर याचिका पर 29 सितंबर को सुनवाई पूरी कर ली थी। आज हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और एस. कुमार की बेंच ने अपना फैसला दे दिया। 

कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा है कि उसने सुप्रीम कोर्ट की ओर से पिछड़ों के आरक्षण के लिए तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी नहीं की। स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में फैसला सुनाया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती। सुप्रीम कोर्ट ने जो ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला बताया था उसमें उस राज्य में ओबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने को कहा था।

 

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