Thursday, April 25, 2024
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विशेषज्ञों ने बताया, दिल्ली में कैसे काम करेंगे प्लाज्मा बैंक, कौन कर सकता है दान

एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि प्लाज्मा दान करने वालों के लिए कड़े मानदंड हैं और वास्तविक प्रक्रिया शुरू होने से पहले उनकी काउंसिलिंग तथा स्क्रीनिंग की जाती है और इस तरह से हर प्लाज्मा दाता को दो से ढाई घंटे लगते हैं।

Bhasha Written by: Bhasha
Updated on: July 02, 2020 22:46 IST
Delhi CM Arvind Kejriwal- India TV Hindi
Image Source : PTI Delhi CM Arvind Kejriwal

नई दिल्ली. दिल्ली सरकार ने कोविड-19 रोगियों के लिए देश के पहले प्लाज्मा बैंक की शुरुआत बृहस्पतिवार को की और इसी को लेकर विशेषज्ञों ने प्लाज्मा दान के संबंध में प्रोटोकॉल और स्क्रीनिंग के दिशानिर्देशों पर रोशनी डाली है। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली सरकार के यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) के परिसर में प्लाज्मा बैंक स्थापित किया गया है जो सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक खुला रहेगा। संस्थान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आईएलबीएस का दौरा कर प्लाज्मा बैंक सुविधा का जायजा लिया और प्लाज्मा दाताओं से बात की। पहले दिन संस्थान में बाहर से अनेक रोगी प्लाज्मा दान करने के लिए पहुंचे, वहीं आईएलबीएस के उन कर्मचारियों ने भी प्लाज्मा दान किया जो हाल ही में कोविड-19 से सही हुए हैं। सूत्रों ने बताया कि आज तक आईएलबीएस के करीब 90 कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित मिले हैं।

एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि प्लाज्मा दान करने वालों के लिए कड़े मानदंड हैं और वास्तविक प्रक्रिया शुरू होने से पहले उनकी काउंसिलिंग तथा स्क्रीनिंग की जाती है और इस तरह से हर प्लाज्मा दाता को दो से ढाई घंटे लगते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम टीटीआई जांच करते हैं। प्लाज्मा दान करने वालों को एचआईवी, हेपेटाइटिस बी या सी, सिफलिस आदि रोग नहीं होने चाहिए। उन्हें मधुमेह, उच्च रक्तचाप या किडनी संबंधी समस्याएं भी नहीं होनी चाहिए।’’

कोविड-19 से स्वस्थ हो चुके लोगों में इस बीमारी से लड़ सकने वाले एंटीबॉडी विकसित हो जाते हैं जिन्हें प्लाज्मा के जरिये किसी अन्य रोगी के उपचार के दौरान उसके शरीर में डाला जाता है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि 18 से 60 साल के लोग प्लाज्मा दान कर सकते हैं जो कोविड-19 से पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं और जिनमें 14 दिन तक कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। हालांकि उन्हें अन्य दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा। प्रोटोकॉल के अनुसार 50 किलोग्राम से कम वजन वाले लोग, कैंसर से ठीक हो चुके लोगों के साथ ही गुर्दे, हृदय, फेफड़े या यकृत रोगी प्लाज्मा दान नहीं कर सकते। 

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