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National Broadcasting Day 2024: आज के दिन ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय प्रसारण दिवस? जानें इसके पीछे की पूरी कहानी

National Broadcasting Day 2024: हर वर्ष 23 जुलाई के दिन को भारत में राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस खास दिन को आज ही के दिन क्यों मनाया जाता है? इस प्रश्न के जवाब समेत इसके पीछे के पूरे इतिहास को आइए इस खबर के जरिए जानते हैं।

Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Published : Jul 23, 2024 9:34 IST, Updated : Jul 23, 2024 9:34 IST
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस 2024- India TV Hindi
Image Source : FILE राष्ट्रीय प्रसारण दिवस 2024

National Broadcasting Day 2024: देश में हर साल आज ही के दिन यानी  23 जुलाई को राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह खास दिन देश में संगठित रेडियो प्रसारण के जन्म की याद दिलाता है, जिसे 1927 में भारतीय प्रसारण कंपनी (IBC) की स्थापना के रूप में जाना जाता है। यह दिन भारत के विकास, शैक्षिक पहुंच और सांस्कृतिक संरक्षण में प्रसारण द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है।

भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत

भारत में प्रसारण का इतिहास 20वीं सदी की शुरुआत से ही है। 23 जुलाई, 1927 को इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी (IBC) ने बॉम्बे स्टेशन से पहला आधिकारिक रेडियो प्रसारण किया। इस ऐतिहासिक घटना ने भारत में रेडियो प्रसारण के जन्म को चिह्नित किया, जिसने समाचार, संगीत और मनोरंजन के लिए एक प्लेटफॉर्म दिया। यही कारण है कि आज के दिन ही नेशनल ब्रॉडकास्टिंग डे मनाते हैं। 

इसके बाद 1930 में भारतीय प्रसारण सेवा (आईएसबीएस) का गठन किया गया, जिसका नाम 1936 में बदलकर ऑल इंडिया रेडियो (AIR) रखा गया। 

रेडियो का विस्तार और प्रभाव

स्वतंत्रता के बाद, ऑल इंडिया रेडियो राष्ट्र निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बन गया। विभिन्न क्षेत्रीय स्टेशनों के शुभारंभ के साथ, AIR ने देश भर में अपनी पहुंच का विस्तार किया। नेटवर्क ने भारत की भाषाई विविधता को ध्यान में रखते हुए कई भाषाओं में प्रसारण किया। शैक्षिक कार्यक्रम, कृषि सलाह, स्वास्थ्य जागरूकता और मनोरंजन प्रसारण सामग्री का अभिन्न अंग बन गए।

इसके सबसे प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में से एक "विविध भारती" था, जिसे 1957 में लॉन्च किया गया था। इस प्रोग्राम ने म्यूजिक, नाटक और लोकप्रिय संस्कृति को आम जनता तक पहुंचाया। कार्यक्रम की लोकप्रियता ने सांस्कृतिक और भाषाई विविधता वाले देश में एक एकीकृत माध्यम के रूप में रेडियो की शक्ति को रेखांकित किया।

आजादी से पहले और बाद का महत्व 

दशकों से, रेडियो सबसे पुराने, सबसे लोकप्रिय और सबसे व्यापक रूप से उपभोग किए जाने वाले समाचार माध्यमों में से एक बना हुआ है। हर दौर में रेडियो प्रसारण का अपना अलग महत्व रहा है। आजादी से पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद रेडियो और कांग्रेस रेडियो ने भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ जगाने में मदद की। वहीं आजादी के बाद स्वतंत्र भारत के निर्माण के लिए रेडियो प्रसारण ने मील के पत्थर का काम किया। ब्रॉडकास्टिंग, प्राकृतिक आपदाओं के समय सूचना देने में भी अहम भूमिका निभाता है। 

डिजिटल युग में प्रसारण

21वीं सदी ने डिजिटल युग की शुरुआत की, जिसने प्रसारण प्रतिमान को मौलिक रूप से बदल दिया। डिजिटल इंडिया जैसी सरकारी पहलों ने डिजिटल क्रांति को और तेज कर दिया है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ है कि दूरदराज के इलाकों में भी डिजिटल प्रसारण सेवाओं तक पहुंच हो। स्मार्टफोन और किफायती इंटरनेट के प्रसार ने सामग्री के उपभोग को लोकतांत्रिक बना दिया है, जिससे यह अधिक समावेशी और इंटरैक्टिव बन गया है।

रेडियो और टेलीविजन ने न केवल भारत की विविध आबादी का मनोरंजन और जानकारी दी है, बल्कि उन्हें एकजुट और शिक्षित भी किया है।

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