
पंजाबी सिंगर बी प्राक इन दिनों बॉलीवुड में जबरदस्त छाए हुए हैं। उनके एक के बाद एक हिट गानों ने उन्हें म्यूजिक इंडस्ट्री में एक खास मुकाम दिलाया है और उनकी फैन फॉलोइंग लगातार बढ़ती जा रही है। बी प्राक अक्सर राइटर जानी के साथ काम करते हैं और दोनों की जोड़ी को दर्शकों का भरपूर प्यार मिलता है। इतनी सफलता के बावजूद बी प्राक बेहद जमीन से जुड़े इंसान हैं। उन्हें अक्सर वृंदावन में कृष्ण भक्ति में लीन देखा जाता है। हालांकि उनका जीवन हमेशा इतना आसान नहीं रहा। उन्होंने मुश्किल भरे दिन देखे। उन्होंने जान से ज्याद प्यारे अपने नवजात बच्चे को खो दिया। सिंगर ने दर्द भरी कहानी खुद बयां की और बताया कि बेटे को दफना कर जब घर लौटे तो पत्नी का कैसा हाल था।
पहले चाचा फिर पिता की हुई मौत
हाल ही में उन्होंने एक पॉडकास्ट में एंकर शुभांकर मिश्रा के साथ बातचीत के दौरान अपने जीवन के सबसे कठिन दौर के बारे में खुलकर बात की। बी प्राक ने बताया कि किस तरह आध्यात्मिकता की ओर उनका रुझान बढ़ा और कैसे उन्होंने व्यक्तिगत नुकसान से खुद को संभाला। उन्होंने 2021 की बात करते हुए बताया कि उस साल पहले उनके चाचा का और फिर कुछ महीनों बाद उनके पिता का निधन हो गया। यह सब सहन कर पाना उनके लिए बेहद मुश्किल था, लेकिन असली झटका उन्हें 2022 में लगा जब उन्होंने अपने नवजात बेटे को जन्म के तीन दिन बाद ही खो दिया। इस दर्दनाक अनुभव को साझा करते हुए बी प्राक भावुक हो गए।
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पैदा होते ही बेटे की गई जान
बी प्राक ने बताया कि उस वक्त उनकी सबसे बड़ी चिंता अपनी पत्नी मीरा को इस बात की जानकारी देना था। उन्होंने कहा, 'मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मीरा को कैसे बताऊं। मैं बस कहता रहा कि डॉक्टर देख रहे हैं, टेंशन मत लो। मैंने उसे यही कहा कि बच्चा एनआईसीयू में है क्योंकि अगर सच बता देता तो वह ये झटका नहीं झेल पाती।' उन्होंने अपने बेटे के अंतिम संस्कार की घड़ी को भी याद किया और बताया कि वह पल उनके लिए कितना भारी था। उन्होंने पत्नी के साथ बीता दुखद लम्हा भी शेयर किया।
बिखर गई थीं बी प्राक की पत्नी
उन्होंने भावुक होते हुए कहा, 'इतना छोटा बच्चा और इतना भारी… ये मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दुख था। जब मैं अस्पताल से लौटकर आया और मीरा नीचे आई, तो उसने मुझसे कहा, ‘दफना आए न तू… मुझे दिखा तो देते।’ आज तक वह इस बात से नाराज है कि मैंने उसे हमारा बच्चा नहीं दिखाया। लेकिन मुझे डर था कि अगर उसे दिखा देता, तो वह टूट जाती।" बी प्राक की यह आपबीती उनके जीवन के संघर्षों और भावनात्मक मजबूती को दर्शाती है, जिसने उन्हें आज इस मुकाम तक पहुंचाया है।