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Shiv Shastri Balboa Twitter Review: जानिए कैसी है अनुपम खेर और नीना गुप्ता की फिल्म? रजत शर्मा की एंट्री ने मचाई हलचल

Shiv Shastri Balboa Twitter Review: अनुपम खेर और नीना गुप्ता की फिल्म 'शिव शास्त्री बलबोआ' आज सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है। लोग इस फिल्म को लेकर काफी चर्चा कर रहे हैं। क्योंकि ये बॉलीवुड के ट्रेंड से हटकर एक कहानी है।

Joyeeta Mitra Joyeeta Mitra
Updated on: February 10, 2023 14:05 IST
Shiv Shastri Balboa Review
Photo: INDIA TV Shiv Shastri Balboa Review
  • फिल्म रिव्यू: शिव शास्त्री बलबोआ
  • स्टार रेटिंग: 4 / 5
  • पर्दे पर: Feb 10, 2023
  • डायरेक्टर: अजयन वेणुगोपालन
  • शैली: कॉमेडी, मोटिवेशनल

Shiv Shastri Balboa Twitter Review: बॉलीवुड में अब तक कहानियों में युवाओं की कहानियां दिखाई जाती रही हैं। लेकिन अब बॉलीवुड की ट्रेंड बदल रहा है, इस बदलते ट्रेंड में कुछ उम्रदराज लोगों की कहानियों ने लोगों का दिल जीता है। नीना गुप्ता और अनुपम खेर ऐसे ही कलाकारों में से हैं जिन्होंने इस बदलते ट्रेंड में एक और मैडल जोड़ दिया है। आज दोनों की फिल्म  'शिव शास्त्री बलबोआ' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म में अनुपम खेर और नीना गुप्ता ने लीड किरदार निभाए हैं और अनुपम खेर ने अपने दमदार रोल से युवा अभिनेताओं के भी छक्के छुड़ा दिए हैं। फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है। इस फिल्म में इंडिया टीवी के चेयरमैन व एडिटर इन चीफ रजत शर्मा की एंट्री ने भी लोगों के बीच खलबली मचा दी है। 

एडिटर इन चीफ रजत शर्मा की एंट्री

फिल्म में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आता है जब इंडिया टीवी के चेयरमैन व एडिटर इन चीफ रजत शर्मा सिनेमा स्क्रीन पर नजर आते हैं। वह फिल्म में शिव शास्त्री बलबोआ (अनुपम खेर) का इंटरव्यू करते दिख रहे हैं। जो बताते हैं कि कैसे शिव शास्त्री बलबोआ जैसे बॉक्सिंग कोच ने देश को बड़े-बड़े बॉक्सर दिए हैं। फिल्म में इस इंटरव्यू के दौरान रजत शर्मा की दी गई सलाह पर ही इस कहानी की शुरुआत होती है। 

कैसी है फिल्म की कहानी 

फिल्म 'शिव शास्त्री बलबोआ' एक ऐसी कहानी है जो जिंदगी को एक बार फिर से टटोलती है यानी री-डिस्कवर करती है तब जब जिंदगी में सब कुछ खो जाता है और फिर वही से एक नए सफर की शुरुआत होती है। फिल्म में शिव शास्त्री बल बुआ का यह डायलॉग सब कुछ कहता है... "आज से पहले मैं सिर्फ जिंदा था अब मैं जिंदगी जीने लगा हूं"। 

फिल्म की शुरुआत शिव शास्त्रीय बलमुआ का बॉक्सिंग प्रेम दर्शाता है। शिव शास्त्री रॉकी के बहुत बड़े फैन हैं और इसलिए रॉकी बल्बोए के नाम पर उन्हें प्यार से शिव शास्त्री बलबोआ कहा जाता है। उनकी दीवानगी की हद की वजह से उन्हें मौका मिलता है अपने पसंदीदा वरिष्ठ पत्रकार, इंडिया टीवी के चेयरमैन और editor-in-chief रजत शर्मा के शो पर एक साक्षात्कार का। उनके सुझाव पर 'रॉकी ​​स्टेप्स' पर एक वीडियो शूट करने के लिए और फिलाडेल्फिया जाने के लिए शिव शास्त्री अमेरिका को रवाना हो जाते हैं। वहां शिव शास्त्री अपने बेटे के पास जाते हैं और वहां उनकी मुलाकात एक बुजुर्ग महिला ऐलसा (नीना गुप्ता) से हो जाती है। जो विदेश में एक बुरी परिस्थिति की शिकार हैं और उन्हें भारत लौटना है और अपने परिवार से मिलना है। दोनों बुजुर्ग हैं, दोनों के बीच एक इनोसेंट दोस्ती का रिश्ता बन जाता है और ऐलसा की मदद करते हुए वह अपनी भी जिंदगी और इच्छाओं को एक नई उड़ान देते हैं।

कैसी है सबकी परफॉर्मेंस

फिल्म के लेखक और निर्देशक अजयन वेणुगोपालन हैं, जिन्होंने दिल को छू लेने वाली इस कहानी को एक हल्के-फुल्के अंदाज में पेश किया है। फिल्म के बहुत से ऐसे ही डायलॉग है जो आपको इंस्पायरर भी करेंगे और बहुत से ऐसे डायलॉग हैं जो आपको हसाएंगे भी। यह फिल्म बिल्कुल भाषण बाजी न करते हुए हल्के-फुल्के अंदाज में जीवन के सबक देते हैं। 

- नीना गुप्ता के करियर की दूसरी पारी की यह जबरदस्त शुरुआत है और वह हर एक सीन में दर्शकों का ध्यान आकर्षित करती है।

- फनी मैन के रूप में शारिब हाशमी को एक बड़ा किरदार मिला है जिसे वह बेहतरीन अंदाज में जीते हैं और दर्शकों को मनोरंजन करते हैं।
-  जुगल हंसराज बहुत वक्त के बाद नजर आए हैं और स्क्रीन पर उनकी उपस्थिति शानदार है, और उनके बेटों की भूमिका निभाने वाले दो लड़के प्यारे हैं और दर्शकों को प्रभावित करते हैं।
-  शिव शास्त्री बाल्बोआ के रूप में अनुपम खेर वह प्रभाव छोड़ते हैं जिसके लिए वह जाने जाते हैं। एक्टिंग के तो वह पावर हाउस हैं ही साथ ही साथ स्क्रिप्ट की अच्छी समझ भी रखते हैं शायद यही वजह है कि शिव शास्त्री को उन्होंने कलाकार के तौर पर ही नहीं बल्कि निर्माता के तौर पर भी स्वीकार किया है।

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अंत में कहा जाए तो फिल्म सभी लोगों के दिलों को छू जाएगी। क्योंकि जब समाज उम्र बढ़ने पर खुद को समेट लेने की सलाह देता है वहीं शिव शास्त्री बताते हैं कि रिटायर होने का मतलब नौकरी से रिटायर होना है ना कि जिंदगी से। इसलिए जिंदगी में कोई भी कदम उठाते समय उम्र को न नहीं बल्कि अपने दिल की आवाज को सुनना चाहिए। 

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