Tuesday, April 30, 2024
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Explainer: चांद पर डीप स्लीप मोड से कैसे जागेंगे विक्रम और प्रज्ञान? यहां समझें पूरी प्रक्रिया

चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में अब सूर्योदय हो गया है। ऐसे में इसरो की ओर से 22 सितंबर को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से संपर्क करने की कोशिश की जाएगी। अगर ऐसा हो जाता है तो चांद से इसरो को और अधिक डेटा मिल सकता है।

Subhash Kumar Written By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Updated on: September 22, 2023 14:55 IST
चंद्रयान-3- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV चंद्रयान-3

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाले विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को फिर से मिशन के काम के लिए एक्टिवेट करने की तैयारी चल रही है। लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर फिलहाल अपने मिशन को सफलता से अंजाम देकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद हैं। इसरो ने 3-4 सितंबर को चंद्रमा पर रात शुरू होने के कारण दोनों उपकरणों को स्लीप मोड में डाल दिया था। लेकिन क्या विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर दोबारा से काम कर पाएंगे? क्या इसरो इसे एक्टिवेट कर पाएगा? क्या होगी इसकी पूरी प्रोसेस? आइए समझते हैं...

अभी कैसे हैं विक्रम और प्रज्ञान?

23 अगस्त को चांद पर लैंड करने के बाद से चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर फिलहाल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ही मौजूद हैं। दोनों ही उपकरणों ने बिना किसी रुकावट अपनी खोज को पूरा किया था और सभी डेटा को पृथ्वी पर ट्रांसफर किया था। करीब 13 दिनों तक रिसर्च करने के बाद इसरो ने विक्रम और प्रज्ञान को चांद पर डीप स्लीप मोड में डाल दिया था। हालांकि, विक्रम लैंडर के रिसीवर को ऑन ही रखा गया था ताकि इससे धरती से दोबारा संपर्क स्थापित किया जा सके।

Chandrayaan 3

Image Source : INDIA TV
चंद्रयान-3

क्यों रखा गया था स्लीप मोड में?
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में डालने का कारण चंद्रमा पर होने वाली रात है। चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ऐसे समय में लैंड कराया गया था जब वहां सूरज की रौशनी पड़ रही थी। बता दें कि चंद्रमा के एक हिस्से में जब 14 दिनों तक सूरज की रौशनी पड़ती है तो दूसरे हिस्से में 14 दिनों के लिए अंधेरा छा जाता है। अंधेरे वाले हिस्से में तापमान गिरकर -150 से 200 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। ऐसे तापमान में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर काम नहीं कर सकता। रोवर-लैंडर सूर्य की रोशनी में पावर जनरेट कर सकता है लेकिन अंधेरे में नहीं। 

चंद्रयान-3

Image Source : INDIA TV
चंद्रयान-3

क्या एक्टिवेट हो पाएंगे विक्रम व प्रज्ञान?
इसरो ने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में डालने से पहले दोनों की बैटरी को फुल चार्ज पर छोड़ा था। हालांकि, तापमान गिरने के बाद बैटरी धीरे-धीरे कम हो गई होगी। हालांकि, आपको ये भी याद होगा कि स्लीप मोड में डालने से पहले इसरो ने विक्रम लैंडर की एक और सॉफ्ट लैंडिग करवा कर उसकी जगह बदली थी। इसके बाद लैंडर के सारे पेलोड्स बंद कर के रिसीवर ऑन रखा गया था ताकि उसे बेंगलुरु से दोबारा कमांड दिया जा सके। ऐसे में विक्रम व प्रज्ञान को ऐसी जगह पर रखा गया था जहां सूरज उगने के बाद उसके सोलर पैनल पर धूप पड़े और उसकी बैटरी चार्ज हो जाए। अगर बैटरी चार्ज हो जाती है तो इसरो इन्हें दोबारा एक्टिवेट कर के मिशन पर लगा सकता है और ये धरती पर और भी कई जानकारी भेज सकता है। 

चंद्रयान-3

Image Source : INDIA TV
चंद्रयान-3

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के दोबारा एक्टिवेट होने के सवाल पर इसरो के पूर्व चेयरमैन जी माधवन नायर ने कहा है कि विक्रम व प्रज्ञान करीब 2 हफ्तों से स्लीप मोड में हैं। ये कुछ ऐसा है कि किसी चीज को फ्रीजर से निकाला जाए और यूज करने की कोशिश की जाए। उन्होंने बताया कि चांद पर तापमान -150 डिग्री सेल्सियस से भी कम होगा। उस तापमान पर बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरण कैसे बचे रहते हैं, यह वास्तव में चिंता का विषय है। नायर ने कहा कि बेशक धरती पर ऐसे परीक्षण किए गए थे ताकि इन्हें दोबारा से एक्टिवेट किया जा सके। सोलर हीट उपकरणों और बैटरी चार्जरों को गर्म कर सकता है। अगर ये दोनों काम सफलतापूर्वक हो जाते हैं तो काफी चांस है कि सिस्टम को दोबारा से ऑपरेशनल किया जा सकता है। एक बार ये विक्रम और प्रज्ञान ऑपरेशनल हो जाए तो संभव है कि हम अगले 14 दिनों में कुछ और दूरी तय कर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास से अन्य डेटा एकत्रित कर सकते हैं। 

के सिवन।

Image Source : PTI
के सिवन।

के सीवन ने भी दिया बयान
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के सिवन ने भी विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के बारे में बात की है। उन्होंने कहा कि हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा। विक्रम और प्रज्ञान एक लूनर रात्रि से गुजरे हैं और अब लूनर दिन शुरू हुआ है। इसलिए इन्हें एक्टिवेट करने की कोशिश की जाएगी। अगर सभी सिस्टम काम कर रहे होंगे तो सब सही होगा। ये कोई अंत नहीं है, और भी बहुत कुछ नया विज्ञान आएगा। सिवन ने कहा कि अभी भी चंद्रयान-1 का डेटा बहुत सारी खोजें लेकर आया है। इसलिए मुझे उम्मीद है कि बहुत कुछ नया आएगा। वैज्ञानिक प्रयास करते रहेंगे। इसलिए, यह कहानी का अंत नहीं है। 

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