Explainer: भारत के साथ टैरिफ पर चल रहे तनाव के बीच अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान को AIM-120 एडवांस्ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (AMRAAM) की आपूर्ति को मंजूरी दी है, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नया बल मिला है। वहीं भारत-अमेरिका के रिश्तों में इससे और कड़वाहट बढ़ गई है। खबरों के अनुसार रेथियॉन कंपनी के साथ 2.5 अरब डॉलर के सौदे में पाकिस्तान को AIM-120 के C8 और D3 वेरिएंट्स मिलेंगे, जिनकी डिलीवरी मई 2030 तक पूरी होगी। यह सौदा पाकिस्तान की वायुसेना को मजबूत करने के साथ-साथ खासकर भारत के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। इस्लामाबाद इसे रणनीतिक बढ़त के रूप में देख रहा है। आइए, AIM-120 की ताकत और पाकिस्तान की रणनीति को विस्तार से समझते हैं।
AIM-120 AMRAAM की तकनीकी विशेषताएं
- AIM-120 AMRAAM एक ‘फायर एंड फॉरगेट’ मिसाइल है, जो अमेरिकी वायुसेना की उन्नत एयर-टू-एयर हथियार प्रणाली है। 1991 में पहली बार तैनात इस मिसाइल में सक्रिय रडार गाइडेंस सिस्टम है, जो इसे हर मौसम में, दिन-रात प्रभावी बनाता है।
- इसका वजन करीब 154 किलोग्राम (340 पाउंड) है। यह सॉलिड-फ्यूल रॉकेट मोटर से संचालित होती है, जो लगभग 4,900 किमी/घंटा की गति प्रदान करता है।
- इसकी रेंज बेसिक वेरिएंट में 50-100 किलोमीटर है, जबकि नवीनतम AIM-120D वेरिएंट 160 किलोमीटर तक मार कर सकता है। यह ‘लुक-डाउन, शूट-डाउन’ क्षमता रखती है, यानी यह निचले स्तर पर उड़ने वाले दुश्मन विमानों को भी नष्ट कर सकती है। इसका एक्टिव रडार लक्ष्य को स्वतंत्र रूप से ट्रैक करता है और GPS-असिस्टेड गाइडेंस व डेटा लिंक इसे जैमिंग से सुरक्षित बनाते हैं।
- यह मिसाइल एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम है, जिससे यह डॉगफाइट और बीयॉन्ड-विजुअल-रेंज (BVR) युद्ध में बहुमुखी है।
- 4,900 से अधिक टेस्ट फायरिंग्स और 13 से ज्यादा वास्तविक युद्धों में सफलता के साथ यह मिसाइल अपनी विश्वसनीयता साबित कर चुकी है। हेड-ऑन हमलों में इसका हिट रेट 90% से अधिक है, जो इसे हवाई वर्चस्व के लिए घातक बनाता है।
पाकिस्तान की अन्य ताकतवर मिसाइलें
पाकिस्तान की मिसाइल शक्ति में हाल के वर्षों में तेजी से वृद्धि हुई है। ब्यौरा इस प्रकार है-
1. गॅजर-3: यह एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 2,500 किलोमीटर तक की दूरी तक हमला कर सकती है। यह पाकिस्तान की प्रमुख बैलिस्टिक मिसाइलों में से एक है और इस मिसाइल को खासतौर पर भारत जैसे देशों के खिलाफ तैयार किया गया है।
2. शाहीन-3 : यह पाकिस्तान की सबसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी रेंज 2,750 किलोमीटर तक है। यह मिसाइल रणनीतिक परमाणु हमलों के लिए सक्षम है और पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के लिए एक अहम हिस्सा है।
3. रहान-2: यह एक एयर-लॉन्च क्रूज मिसाइल है, जिसे लड़ाकू विमानों से लॉन्च किया जा सकता है। इसकी रेंज 600 किलोमीटर तक है और यह सतह से सतह तक हमला करने की क्षमता रखती है। यह पाकिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक शक्ति का प्रतीक है।
4. बाबर क्रूज मिसाइल : बाबर मिसाइल एक लघु दूरी की क्रूज मिसाइल है जो 700 किलोमीटर तक की दूरी पर हमला कर सकती है। यह मिसाइल पाकिस्तान की शस्त्रागार में एक और महत्वपूर्ण रणनीतिक मिसाइल है, जो विभिन्न युद्धक परिस्थितियों में प्रभावी रूप से इस्तेमाल की जा सकती है।
क्या है अमेरिका की भू-राजनीतिक रणनीति
यह सौदा ट्रंप प्रशासन के पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से मुलाकात के बाद सामने आया है, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग का संकेत है। यह अनुबंध नाटो, ताइवान और इजरायल जैसे सहयोगियों के साथ बड़े सौदे का हिस्सा है। पाकिस्तान को शामिल करना दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है। वहीं दूसरी तरफ ट्रंप की कोशिश इसके जरिये भारत पर ट्रेड डील पर दबाव बनाने की कोशिश भी है। AIM-120 मिसाइलें पाकिस्तान के F-16 विमानों के साथ पूरी तरह संगत हैं, जिससे इस्लामाबाद की पुरानी F-16 फ्लीट आधुनिक हो जाएगी।
मुनीर और शहबाज की चाल
अमेरिकी अपने स्वार्थ में भारत के साथ जितना अधिक तनाव बढ़ा रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर वाशिंगटन से उतना ही अधिक चिपकते जा रहे हैं। शहबाज और मुनीर भारत और अमेरिका के बीच इस तनाव को पूरा फायदा उठाने में जुटे हैं। ऑपरेशन सिंदूर में भारत से बुरी तरह पिटने के बाद अब पाकिस्तान अमेरिका के बदले रवैये का रणनीतिक लाभ लेने की जीतोड़ कोशिश में है। इसके तहत पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) अपनी F-16 स्क्वाड्रनों को उन्नत करने पर केंद्रित है। AIM-120 की आपूर्ति से PAF को BVR युद्ध में बढ़त मिलेगी, जो भारतीय सुखोई-30 एमकेआई और राफेल जैसे विमानों के खिलाफ प्रभावी होगी।
पाकिस्तान को अमेरिकी रक्षा सहयोग से बढ़ेगा दक्षिण एशिया में तनाव
अमेरिकी द्वारा पाकिस्तान के ऐसे रक्षा सहयोगों से भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ सकता है। अमेरिकी से मिलने वाली इन मिसाइलों को पाकिस्तान अपने JF-17 थंडर जैसे स्वदेशी विमानों के साथ एकीकृत करने की योजना बना रहा है, जिससे उसकी रक्षा प्रणाली और मजबूत हो सके। यह सौदा चीन से खरीदे गए J-10 विमानों के साथ संतुलन बनाएगा, लेकिन अमेरिकी हथियारों पर निर्भरता बढ़ाएगा। क्षेत्रीय स्तर पर, यह भारत के ‘नो-फ्लाई जोन’ जैसे कदमों को रोकने का हथियार बनेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे दक्षिण एशिया में हथियारों की होड़ बढ़ सकती है, लेकिन पाकिस्तान इसे अपनी रक्षा क्षमता का विस्तार मानता है।