
Explainer: बलूचिस्तान पाकिस्तान से लगा हुआ एक अलग प्रांत है, जो खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानता। मगर पाकिस्तान ने 1947 में जबरन इसका विलय करवा दिया था। तब से वह बलूचिस्तान पर अपना अधिकार जताता है। पाक वहां की संपत्ति का खुद भी दोहन कर रहा है और चीन को भी खनन का अधिकार सौंप दिया है। इससे बलूचिस्तान के निवासी चीन और पाकिस्तान दोनों से खफा रहते हैं। बलूचिस्तान का मानना है कि यदि पाकिस्तान और चीन उसका दोहन करना बंद कर दें और दखलंदाजी न करें तो वह अमीर बलूचिस्तान बन सकता है। बलूचों का कहना है कि पाकिस्तान और चीन ने उसकी अमूल्य संपदाओं का दोहन करके बलूचिस्तान की हालत खस्ता कर रखी है। इसलिए यहां के लोग पाकिस्तान और चीन से आजादी चाहते हैं। बलूचिस्तान और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से संघर्ष होता चला आ रहा है। 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश के विलय के बाद बलूचिस्तान के आंदोलन ने और तेजी पकड़ ली थी।
25 साल पहले बनाई अपनी आर्मी
बलूचिस्तान के लोगों ने खुद को मजबूत करने के लिए करीब 25 साल पहले सन 2000 में अपनी सशस्त्र सेना तैयार की। इसके 6000 हजार से ज्यादा हाईटेक हथियारों से लैस अपने लड़ाके हैं। इसे बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी (बीएलए) कहते हैं। यह बलूचिस्तान का सबसे बड़ा आर्म्ड ग्रुप कहा जाता है। हालांकि पाकिस्तान सरकार ने 2006 से ही उस पर बैन लगा रखा है। मगर बीएलए लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी है।
चीन-पाकिस्तान को क्यों दुश्मन मानता है बीएलए
पाकिस्तान और चीन ने बीलएल के पास एक बंदरगाह भी बना रखा है। इसका नाम ग्वादर है। यह रणनीतिक लिहाज से पाकिस्तान के लिए अहम बंदरगाह है, जिसका अधिकार इसने चीन को भी दे रखा है। चीन इसी बंदरगाह के माध्यम से बलूचिस्तान की अकूत संपत्तियों को दोहन कर ले जा रहा है। इसलिए बलूचिस्तान अक्सर ग्वादर बंदरगाह पर भी हमले करता रहता है। चीन की तमाम कंपनियां बलूचिस्तान में खनन कर रही हैं। इसके बदले में पाकिस्तान चीन से मोटी रकम लेता है। मगर बलूचिस्तान को फूटी कौड़ी तक नहीं मिलती। ऐसे में बलूचिस्तानी इस बात से खफा हैं कि उनके खनिजों का दोहन कर पाकिस्तान अपनी जेब भर रहा है और चीन भी मालामाल हो रहा है, जबकि इन संपदाओं पर जिन बलूचों का हक है, वह लगातार गरीब होते जा रहे हैं। ऐसे में बलूचिस्तान की दुश्मनी पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ हो गई है।
ट्रेन हाईजैक के पीछे वजह
बलूचिस्तान संगठन मुख्य रूप से दक्षिणी अफगानिस्तान में रहकर अपने ऑपरेशन को अंजाम देता है। वह बलूचिस्तान समेत पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में आतंकी हमले करता रहता है। बीएलए का मुख्य मकसद बलूचिस्तान को पाकिस्तान से आजाद कराना है। साथ ही चीनी कंपनियों को बलूचिस्तान से बाहर भेजना है। बलूच चाहते हैं कि उनकी संपदाओं से पाकिस्तान और चीन अपना हक छोड़ दें। इसलिए बीएलए ने ट्रेन हाईजैक कर पाकिस्तान सरकार और चीन पर दबाव बनाने की कोशिश की। पाक और चीन के लिए बीएलए का कहना है कि बलूचिस्तान से निकल जाओ, नहीं तो मारे जाओगे।