
टेक्नोलॉजी कंपनियों ने हाल ही में दूरसंचार मंत्रालय से 6GHz WiFi बैंड वाले स्पेक्ट्रम की जल्द नीलमी की गुहार लगाई है। टेक कंपनियों का कहना है कि इस लेटेस्ट वाई-फाई बैंड की लाइसेंस प्रक्रिया में हो रही देरी की वजह से कंपनियों को हर साल करीब 12.7 लाख करोड़ का नुकसान हो रहा है। इंडस्ट्री बॉडी ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (BIF) ने पिछले दिनों 11 अप्रैल को टेलीकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया को इससे संबंधित पत्र भी लिखा है। अपने पत्र में BIF ने कहा कि नई टेक्नोलॉजी वाले गैजेट्स जैसे कि Meta Ray Ban स्मार्ट ग्लास, Sony PS5, AR/VR हेडसेट में बेहतर डिजिटल एक्सपीरियंस के लिए यह स्पेक्ट्रम बैंड बेहद जरूरी है।
BIF में मेटा, गूगल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, सिसको समेत साथ-साथ सैटेलाइट कंपनियों OneWeb, Tata Nalco, Hughes शामिल हैं। अपने पत्र में BIF ने लिखा है कि इस समय 84 से ज्यादा देशों में 6GHz स्पेक्ट्रम बैंड सबसे लिए उपलब्ध करा दिया गया है। भारत इस मामले में पीछे रहा है। इस समय कई स्मार्टफोन और डिवाइस Wi-Fi 6E/7 को सपोर्ट करते हैं। AR/VR जैसे स्मार्ट डिवाइस भारत में अंडर यूटिलाइज्ड हैं क्योंकि यहां 6GHz स्पेक्ट्रम बैंड उपलब्ध नहीं है।
क्यों पड़ी 6GHz बैंड की जरूरत?
इस समय भारत में कंज्यूम किए जाने वाला 80% डेटा 3.5GHz बैंड के जरिए एक्सेस किया जाता है। यूजर्स को इनमें सिग्नल स्ट्रेंथ की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में 6GHz पर आधारित Wi-Fi 6E/7 स्पेक्ट्रम के जरिए स्टेबल कनेक्टिविटी मिल सकती है और यह काफी कॉस्ट इफेक्टिव भी होगा। इससे पहले जनवरी में भी टेक कंपनियों ने 6GHz स्पेक्ट्रम बैंड को लेकर सरकार से गुहार लगाई थी।
सरकार ने टेक कंपनियों द्वारा बिना लाइसेंस के उपयोग के लिए उपलब्ध कराने के बजाय दूरसंचार कंपनियों को 6GHz स्पेक्ट्रम की नीलामी करने का निर्णय लिया था। हालांकि, बिना लाइसेंस वाले स्पेक्ट्रम को बिना नीलामी के आवंटित किया जा सकता है। सरकार के फैसले के तुरंत बाद फरवरी में वैश्विक मोबाइल नेटवर्क मानक निकाय जीएसएमए ने दूरसंचार विभाग से अगली स्पेक्ट्रम नीलामी में 6GHz फ्रिक्वेंसी को शामिल करने का रिक्वेस्ट किया था।
BIF ने सरकार से कहा है कि कम से कम 660MHz बैंड को तत्काल ओपन कर देना चाहिए ताकि 320Hz वाले दो चैनल्स को एक साथ इस्तेमाल किया जा सके। अपने पत्र में BIF ने कहा कि इस समय 6GHz का इकोसिस्टम पूरी तरह से तैयार है बस केवल पॉलिसी में क्लियरिटी की देरी है।
क्या है 6GHz WiFi बैंड?
6GHz भी अन्य स्पेक्ट्रम बैंड एक रेडियो वेव है, जिसकी मदद से डिवाइस OTA यानी ओवर-द-एयर डेटा एक्सचेंज किया जा सकता है। इस समय भारत में Wi-Fi के लिए 2.4GHz और 5GHz बैंड का ही इस्तेमाल किया जाता है। भारत में बेचे जाने वाले Wi-Fi राउटर इन्हीं दोनों बैंड पर काम करते हैं। 2.4GHz हो या 5GHz हो या फिर 6GHz इन स्पेक्ट्रम बैंड के बीच का सबसे बड़े अंतर का पता इनमें दिए गए नंबर से चलता है।
रेडियो वेव एक स्पेसिफिक फ्रिक्वेंसी रेंज में ट्रांसमिट होती हैं, जिसे RF स्पेक्ट्रम कहा जाता है। इन फ्रिक्वेंसी बैंड्स और उनके चैनल्स को Wi-Fi, TV, रेडियो और एयर ट्रैफिक कंट्रोल में इस्तेमाल करने के लिए सरकार द्वारा रेगुलेट किया जाता है। 2.4GHz, 5GHz और 6GHz RF फ्रिक्वेंसी बैंड हैं, जो अनलाइसेंस वायरलेस इस्तेमाल के लिए हैं। 1Hz का मतलब है एक सेकेंड में एक रिपिटिशन हो रहा है। वहीं, 1GHz का मतलब है कि एक सेकेंड में 1 बिलियन रिपिटिशन हो रहा है।
2.4GHz वाई-फाई स्पेक्ट्रम की रेंज 70MHz है, जिस पर 20MHz चैनल वाले डिवाइस काम करते हैं। 5GHz वाई-फाई बैंड 500MHz रेंज को कवर कर सकता है, जिसमें 6 चैनल्स मौजूद हैं। इसमें 80MHz चैनल में तेजी से इंटरनेट एक्सेस किया जा सकता है। 6GHz स्पेक्ट्रम बैंड 1200MHz रेंज मिलता है। इसमें 7 बड़े 160MHz वाले चैनल का सपोर्ट मिलता है।
स्पीड की बात करें तो 6GHz बैंड में 2Gbps तक की स्पीड से इंटरनेट एक्सेस किया जा सकता है। वहीं मौजूदा 5GHz वाले बैंड में 1Gbps की स्पीड से इंटरनेट एक्सेस किया जा सकेगा। यही नहीं, 6GHz वाले स्पेक्ट्रम बैंड का कवरेज एरिया काफी ज्यादा होता है। इसकी वजह से डिवाइस में कनेक्टिविटी बरकरार रहती है। खास तौर पर स्ट्रीमिंग और गेमिंग के दौरान यूजर्स को नेटवर्क डिसकनेक्शन का सामना नहीं करना पड़ता है।
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