
अहमदाबाद: मंगलवार को गुजरात में डिक्लेयर हुए स्थानीय चुनावों के परिणामों में भाजपा ने एक बार फिर साबित कर दिया कि गुजरात में उसके मुकाबले कोई नहीं टिक सकता। लेकिन सोशल मीडिया पर ये नैरेटिव बनाने की कोशिश की गयी कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में मिली करारी हार के बावजूद इन चुनावों में गुजरात में भाजपा के सामने कड़ा चैलेन्ज पेश किया है।
जबकि हकीकत ये है कि इन स्थानीय चुनावों में भाजपा को चैलेन्ज देना तो दूर, आम आदमी पार्टी कांग्रेस तक का मुकाबला नहीं कर पायी और देवभूमि द्वारका जिले के सलाया नगरपालिका में कांग्रेस से चुनाव हार गई। 16 फरवरी को राज्य में हुए सामान्य और उपचुनावों में एक मात्र सलाया ही वो नगरपालिका रही जहां आम आदमी डबल डिजिट में पहुंच पाई। अब जरा 28 सीटों वाली सलाया का गणित भी समझ लीजिये। सलाया की कुल आबादी की 90% से ज्यादा मुस्लिम है। भाजपा ने यहां महज 12 उम्मीदवार ही मैदान में उतारे थे। ऐसी चर्चा रही है कि बीजेपी यहां चुनाव लड़ना ही नहीं चाहती थी क्योंकि, पिछले 2 सालों में राज्य सरकार द्वारा द्वारका जिले में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माणों के डिमोलिशन के चलते सलाया में उसे वोट मिलने की उम्मीद ना के बराबर थी।
पिछले दिनों द्वारका के कई निर्जन टापुओं पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई। इन अवैध दरगाहों का आर्थिक संचालन भी सलाया से ही होता था। बीजेपी सिर्फ नाम के लिए यहां लड़ रही थी। असली मुकाबला तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में ही था। मुसलमानों ने एक बार आम आदमी पार्टी को गच्चा दे दिया और 28 में से 15 सीटें कांग्रेस को जितवा दी। आम आदमी पार्टी को 13 से ही संतोष करना पड़ा। दिलचस्प बात यह है कि यही ट्रेंड 2024 लोकसभा चुनावों में भरुच की सीट पर भी देखने को मिला था जब वहां के मुसलमानों ने NOTA में करीब 25000 वोट डाल दिए पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को वोट करने उतनी संख्या में नहीं निकले जिसकी उम्मीद थी। जबकि तब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे थे।
AAP ने 500 से ज्यादा उम्मीदवार उतारे, जीते कितने?
ये तो थी सलाया की कहानी जिसमें कांग्रेस से मिली शिकस्त की चर्चा आम आदमी पार्टी ना ही करना बेहतर समझेगी। चलिए एक नज़र पूरी पिक्चर पर भी डाल लें जिसमें आम आदमी पार्टी के कम-बैक की बात हो रही है। नगरपालिका चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 500 से ज्यादा उम्मीदवार उतारे और जीते कितने, महज 27 और कुल वोट मिले 4.28%
2022 के विधानसभा चुनावों में जिस पार्टी को करीब 13% वोट मिले उसकी ये हालत है। 13% तो ओवरआल नंबर है पर यदि जिन नगरपालिकाओं और जूनागढ़ नगर निगम तथा जितने भी उप चुनाव हुए सिर्फ उन इलाकों के विधानसभा की वोटिंग का अलग से विश्लेषण करेंगे तो 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिले वोटों का प्रतिशत 13% से ज्यादा ही निकलेगा। तो फिर काहे का कम-बैक !!!
इससे अच्छी स्थिति में तो कांग्रेस रही क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनावों में 78 सीटें जितने के बाद जब 2018 में इन्हीं इलाकों में स्थानीय चुनाव हुए तब भी कांग्रेस की स्थिति इन परिणामों से ख़राब थी। जबकि 2022 के चुनावों में कांग्रेस ने सिर्फ 17 सीटें जीती थीं उसमें से भी कई MLA पार्टी छोड़ के बीजेपी में चले गए थे। खैर कांग्रेस फ़िलहाल इसी बात से संतुष्ट है की गुजरात में बीजेपी के साथ मुख्य मुकाबला अब भी कांग्रेस का ही है।
बता दें कि गुजरात में सत्तारूढ़ बीजेपी ने मंगलवार को नगर निकाय चुनावों में सूपड़ा साफ कर दिया। पार्टी ने जूनागढ़ महानगरपालिका (JMC) के साथ-साथ 68 में से 60 नगर पालिकाओं और सभी तीन तालुका पंचायतों में जीत हासिल की जहां 16 फरवरी को मतदान हुआ था। भाजपा ने राज्य की कम से कम 15 नगरपालिकाओं की सत्ता कांग्रेस के हाथों से छीन ली। कांग्रेस सिर्फ एक नगरपालिका में जीत हासिल कर पाई, जबकि क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी ने दो नगरपालिकाओं में जीत दर्ज कर बेहतर प्रदर्शन किया।