
ओवरियन कैंसर महिलाओं में होने वाली एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है। लाइफस्टाइल और खानपान के अलावा कई हार्मोनल बदलाव इसके रिस्क फैक्टर में शामिल हैं। मासिक धर्म, मीनोपॉज और पीसीओएस ऐसे ही कुछ अहम बदलाव हैं। आर्टेमिस हॉस्पिटल्स में स्थित डॉ।अमिता नैथानी, सीनियर कंसल्टेंट - गायनी ऑन्कोलॉजी बता रही हैं कि महिलाओं के शरीर में होने वाले किन बदलाव की वजह से ओवरियन कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है।
मासिक धर्म में होते हैं कई बदलाव
मासिक धर्म महिलाओं के प्रजनन चक्र का अहम हिस्सा है। इस दौरान, महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के लेवल में बदलाव होता है, जिनका ओवरी पर असर पड़ता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि मासिक धर्म के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलाव ओवरियन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। विशेष रूप से जिन महिलाओं में बहुत जल्दी मासिक धर्म शुरू हो जाता है या मीनोपॉज बहुत देरी से होता है, उनमें ओवरियन कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। माना जाता है कि लंबे समय तक एस्ट्रोजन के संपर्क में रहने से ओवरियन सेल्स यानी कोशिकाओं में बदलाव हो सकता है, जो कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है।
मीनोपॉज से भी है संबंध
मीनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो महिलाओं के प्रजनन चक्र के अंत का प्रतीक है। मीनोपॉज के बाद मासिक धर्म रुक जाता है। इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में कमी आती है, जिससे ओवरी के फंक्शन पर असर पड़ता है। आमतौर पर मीनोपॉज के शुरुआती लक्षण 45 साल की उम्र से दिखने लगते हैं। 50 साल की उम्र तक मासिक धर्म पूरी तरह रुक जाता है। अगर मीनोपॉज बहुत देर से हो तो ओवरियन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
कुछ अन्य कारणों पर भी नजर रखना जरूरी
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हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी): मीनोपॉज के लक्षणों को कम करने के लिए कुछ महिलाएं एचआरटी यानी हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराती हैं। अगर लंबे समय तक एचआरटी का उपयोग किया जाए तो ओवरियन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस): पीसीओएस भी महिलाओं में होने वाला एक हार्मोनल डिसऑर्डर है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में ओवरियन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
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एंडोमेट्रियोसिस: एंडोमेट्रियोसिस में यूटरस यानी गर्भाशय की परत के टिश्यू गर्भाशय के बाहर की ओर बढ़ने लगते हैं। एंडोमेट्रियोसिस के कारण भी ओवरियन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान
जीवन के अलग-अलग पड़ाव पर महिलाओं को विभिन्न हार्मोनल बदलावों से गुजरना पड़ता है। किसी भी अनियमितता की स्थिति में सतर्क रहना और नियमित जांच कराना जरूरी है। किसी भी असामान्य लक्षण की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। किसी प्रकार का हार्मोनल ट्रीटमेंट लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना और उसके खतरों समझ लेना भी जरूरी है। भूख न लगना, अकारण ही वजन कम होना, पेट में दर्द या सूजन, पाचन में समस्या और रक्तस्राव इसके लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई लक्षण लंबे समय तक बना रहे, तो डॉक्टर से मिलकर उचित जांच कराएं। लाइफस्टाइल को संतुलित और व्यवस्थित रखें।
Disclaimer: (इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।)