Saturday, April 27, 2024
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नींद में बोलने की बीमारी क्या है? जानें दिनभर की थकान और डिप्रेशन कैसे है इसका गहरा नाता

नींद में बोलने की बीमारी: कुछ लोगों को नींद में बोलने की आदत होती है। ऐसे लोगों को अपनी लाइफस्टाइल को लेकर थोड़ा सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि, ये कई बीमारियों को ओर आपको ले जा सकता है।

Pallavi Kumari Written By: Pallavi Kumari
Published on: August 20, 2023 16:00 IST
Parasomnia- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL Parasomnia

नींद में बोलने की बीमारी: क्या आप भी उन लोगों में से हैं जिन्हें नींद में बोलने की बीमारी है। अगर हां तो आपको अपने बारे में थोड़ा ज्यादा सोचने की जरुरत है। ऐसा इसलिए कि क्योंकि ये असल में आपकी सेहत का पोल खोल रहा है। ये न सिर्फ ये बता रहा है कि फिजिकली आप कितने परेशान हैं बल्कि, ये आपकी मानसिक स्थिति को भी बता रहा है। इसके अलावा नींद में बोलने की बीमारी इस ओर भी एक संकेत देती है कि आगे चलकर आप किन बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। क्यों और कैसे, जानते हैं इस बीमारी के बारे में सबकुछ।

नींद में बोलने की बीमारी क्या है-What causes sleep talking in adults in hindi

नींद में बोलने की बीमारी को पैरासोमनिया (parosmia) कहते हैं। ये एक ऐसी स्थिति है जब आप सोते हैं और अपने दिमाग और शरीर के बीच एक असंतुलित स्थिति में होते हैं। ऐसे में व्यक्ति लगभग 30 सेकेंड के लिए कुछ बोलता है और फिर सो जाता है और फिर उठकर बोलता है। आपके साथ रहने वालों को लग सकता है कि आप सपने देख रहे हैं लेकिन, साइंस इसे एक गंभीर स्थिति से जोड़कर देखता है। 

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रात को नींद में लोग क्यों बोलते हैं?

 साइंस की भाषा में इसे आरईएम स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर (REM sleep behavior disorder ) और स्लीप टेरर (sleep terrors) जैसे दो प्रकार के नींद संबंधी विकार से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे लोग नींद के दौरान चिल्लाने भी लगते हैं। आरबीडी वाले लोग अक्सर हिंसक हो सकते हैं से और ये सब इन तमाम कारणों से जुड़ा हुआ हो सकता है। जैसे कि 

-कुछ दवाओं की वजह से
-डिप्रेशन के मरीजों में
-दिनभर की थकान और तनाव के कारण
-भावनात्मक तनाव वाले लोगों में
-बुखार या बीमार होने पर
-मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने पर।

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कैसे इस स्थिति को कंट्रोल करें-Prevention Tips

अगर आप भी नींद में बात करते हैं तो आपको सबसे पहले कुछ चीजों को करना चाहिए। पहले तो मेडिटेशन करें। दूसरा, रात का खाना सोने से 2 घंटे पहले खा लें और मोबाइल से दूरी बनाएं।  कोशिश करें कि इन दौरान कुछ स्लीपिंग मेडिटेशन साउंड्स को सुनें। अगर आपको लंबे समय तक नींद नहीं आ रही है या फिर आपको रात में डर लगता है तो आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं जो आपको सही ट्रीटमेंट बताएंगे।

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)

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