
आजकल युवाओं में तनाव की समस्या सबसे ज्यादा गंभीर होती जा रही है। ये तनाव उन्हें बेचैन कर देता है। जिसकी वजह से कम उम्र में ही युवा डिप्रेशन के शिकार होने लगे हैं। खासतौर से काम करने वाले युवा यानि को नौकरी कर रहे हैं उनके अंदर ठहराव, लगन और काम के लिए पैशन बहुत कम है। जरा-जरा सी बातों पर स्ट्रेस लेने लगते हैं। हाल की में हुई एक स्टडी में भी ऐसे ही आंकड़े सामने आए हैं। जिसमें 25 साल के युवा कर्मचारियों में से 90 प्रतिशत का मन और दिमाग बेचैन पाया गया है। जिसकी वजह से कई बार अपने आप को हानि पहुंचाने तक के ख्याल इनके मन में आने लगते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है 45 साल से ज्यादा के युवा वर्कर 67 प्रतिशत चिंता और अवसाद के शिकार हो रहे हैं। इसमें से बड़ी संख्या में लोगों की काउंसलिंग की जा रही है। इन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य, चुनौतियों से लड़ने और उनके समाधान निकालने के लिए काउंसलिंग की जाती है। रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले कुछ सालों में आत्महत्या के जोखिम बढ़े हैं। वहीं ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों में स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं 15 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं। सबसे ज्यादा चिंताजनक बात ये है कि इनमें से 59 प्रतिशत लोगों में किसी न किसी तरह खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृति देखी गई है। सर्वे में करीब 30 प्रतिशत लोगों में गंभीर डिप्रेशन के लक्षण दिखाई दिए। 30% से ज्यादा लोग चिंता और डिप्रेशन से निकलने के लिए जागरुत पाए गए। वहीं 30% लोगों में सुसाइड करने के जोखिम ज्यादा पाए गए।
तवान और डिप्रेशन के लक्षण
- तनाव-अवसाद को व्यक्त करने में कठिनाई
- चिड़चिड़ापन बढ़ना
- बहुत गुस्सा आना
- व्यवहार में परिवर्तन
- काम में मन न लगना
- लोगों से दूर भागना
- बात-बात पर रोना
- खाना खाने में परेशानी
तनाव-अवसाद से बचाव कैसे करें?
तनाव और डिप्रेशन से बचना है तो सबसे पहले हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है। रात में 6-8 घंटे की नींद से कई विकारों को दूर किया जा सकता है। आपको खाने में पौष्टिक आहार और अपनी पसंद की चीजें शामिल करनी चाहिए। तनाव-अवसाद से बचे रहने के लिए योग-मेडिटेशन का सहारा लें। रोजाना कोई न कोई फिटनेस एक्टिवटी करें। जरूरत लगे तो काम से कुछ दिनों का ब्रेक लें और परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं। अपने मन की बात जरूर किसी से साझा करें।