Saturday, April 20, 2024
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Good News: मध्य प्रदेश और झारखंड के औषधीय पौघों से Corona की दवा बनाने पर CSIR कर रहा है काम, एक हफ्ते में ट्रायल संभव

सीएसआईआर के वैज्ञानिक एक वनस्पति यानी पौधों से कोरोना की दवाई बनाने में जुटे हैं। बताया जा रहा है कि इस दवा का ट्रालय एक हफ्ते में शुरू हो सकता है।

Vijai Laxmi Reported by: Vijai Laxmi @vijai_laxmi
Published on: May 10, 2020 15:08 IST
Coronavirus Vaccine- India TV Hindi
Image Source : AP Coronavirus Vaccine

कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहा है। मौतों का आंकड़ा 2 लाख पहुंचने के करीब है। मुश्किल तब और भी ज्यादा है जब न तो इसकी कोई दवा है और न ही टीका। दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना की दवा और टीका तैयार करने में सिर खपा रहे हैं। दुनिया के कई देशों में इस पर रिसर्च चल रही है। इस बीच अब सीएसआईआर के वैज्ञानिक एक वनस्पति यानी पौधों से कोरोना की दवाई बनाने में जुटे हैं। बताया जा रहा है कि इस दवा का ट्रालय एक हफ्ते में शुरू हो सकता है। सब कुछ ठीक रहा तो यह दवा दो महीने में तैयार हो सकती है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार सीएसआईआर के वैज्ञानिक मध्य प्रदेश और झारखंड में पाए जाने वाले एक पौधे पर रिसर्च कर रहे है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे कोरोना की दवाई बनाई जा सकती है। एक हफ्ते में इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार मध्य प्रदेश और झारखंड में आदिवासी इस पौधे का इस्तेमाल खांसी में करते है। और इसका ट्रायल डेंगू की दवा बनाने में पहले से ही चल रहा है। 

सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल शेखर सी मांडे के मुताबिक दवाई का क्लीनिकल ट्रायल एक हफ्ते में शुरू हो जाएगा और फिर अगले दो महीने में इसके रिजल्ट आ जाएंगे और अगर यह प्रयोग सफल रहा तो कोरिना की रोकथाम में यह दवाई अहम साबित होगा । इसके नतीजे आने में 2 महीने का वक्त लगेगा।

आदिवासियों के बीच प्रचलित है दवा 

आदिवासी लोग इस औषधीय पौधे का इस्तेमाल कई पीढ़ियों से कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस पौधे के पत्तों में ACQH नाम का एक खास पदार्थ होता है उससे ही दवाई बनाई जाएगी। बता दें कि सन फार्मास्युटिकल, इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेरिक इंजीनियरिंग एंड बायो टेक्नोलॉजी और इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन जम्मू मिलकर इस दवा पर रिसर्च कर रहे हैं। 

क्या होता है फाइटोफार्मास्युटिकल्स 

सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल शेखर सी मांडे के मुताबिक फाइटोफार्मास्युटिकल्स  मॉर्डर्न मेडिसिन की एक नई श्रेणी है। इसमें फाइटो का मतलब पौधा और फार्मास्युटिकल्स का मतलब दवा होती है। मॉर्डर्न मेडिसिन में एक प्यूरिफिाइड कंपाउड लेकर नई दवा में प्रयोग करते हैं। हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन में एक प्यूरिफाइड कंपाउंड होता है, जिससे लेकर उसका प्रयोग होता है। फाइटोफार्मास्युटिकल्स में एक प्यूरिफाइड कंपाउंड उठाने की जरूरत नहीं होती है।

यूएसएफडीए ने कई बोटनिया (फाइटोफार्मास्युटिकल्स को अंग्रेजी में बोटनिया बोलते हैं) को कई बीमारियों को लेकर अप्रूवल दिया है। भारत में पहला इन्वेस्टिगेशनल नया ड्रग (यानि जब किसी दवा का सेफ्टी ट्रायल क्लियर हो जाता है) फाइल हुआ है जिस पर हम काम कर रहे हैं, इसका    डेंगू पर काफी प्रभाव है। डेंगू पर इसका ट्रायल हो चुका है। 

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