Friday, April 26, 2024
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असम: किसानों के लिए एक साथ मिले 14 विपक्षी दल, किया बड़ा ऐलान

असम में रविवार को कांग्रेस, एआईयूडीएफ और वाम सहित कुल 14 विपक्षी दलों ने नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे किसान संगठनों द्वारा आठ दिसंबर को बुलाए गए 'भारत बंद' को 'पूर्ण समर्थन' देने की घोषणा की।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 06, 2020 21:35 IST
असम: किसानों के लिए एक साथ मिले 14 विपक्षी दल, किया बड़ा ऐलान- India TV Hindi
Image Source : PTI असम: किसानों के लिए एक साथ मिले 14 विपक्षी दल, किया बड़ा ऐलान

गुवाहाटी: असम में रविवार को कांग्रेस, एआईयूडीएफ और वाम सहित कुल 14 विपक्षी दलों ने नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे किसान संगठनों द्वारा आठ दिसंबर को बुलाए गए 'भारत बंद' को 'पूर्ण समर्थन' देने की घोषणा की। सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) ने भी किसानों के संघर्ष को अपना समर्थन दिया, लेकिन राष्ट्रव्यापी बंद के लिए हाथ मिलाने से परहेज किया। 

विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए आरोप लगाया कि केवल कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए बने इन तीन कानूनों के कारण असम के किसान भी बुरी तरह प्रभावित होंगे। तीन कानूनों को निरस्त करने की किसानों की मांग का समर्थन करते हुए राज्य के 14 विपक्षी दलों ने मंगलवार को सभी कारखानों, कार्यालयों, बैंकों, अदालतों, शैक्षिक संस्थानों और यातायात को बंद करने की अपील की।

बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर डटे हजारों किसानों के प्रतिनिधियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। यह किसान किसान कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम- 2020, कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम- 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम- 2020 का विरोध कर रहे हैं। 

किसानों की मांग है कि इन तीनों कानूनों को वापस लिया जाए। किसानों का दावा है कि ये कानून उनकी फसलों की बिक्री को विनियमन से दूर करते हैं। किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र द्वारा हाल ही में लागू किए गये कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। उनकी दलील है कि कालांतर में बड़े कॉरपोरेट घराने अपनी मर्जी चलायेंगे और किसानों को उनकी उपज का कम दाम मिलेगा। 

किसानों को डर है कि नए कानूनों के कारण मंडी प्रणाली के एक प्रकार से खत्म हो जाने के बाद उन्हें अपनी फसलों का समुचित दाम नहीं मिलेगा।ऐसे में नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का आज रविवार (6 दिसंबर) को 11वां दिन है। शनिवार को किसान नेताओं और सरकार के बीच हुई 5वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। 

शनिवार को करीब 5 घंटे चली बैठक में सरकार और किसान अपने-अपने पक्ष पर अड़े रहे लेकिन बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। फिर तय हुआ कि अब किसानों और सरकार के बीच 9 दिसंबर को बातचीत होगी। अब सबकी निगाहें अब 9 दिसंबर को सरकार के साथ होने वाली किसानों की बातचीत पर भी टिकी हैं। हालांकि, इससे पहले 8 दिसंबर को किसानों का प्रस्तावित भारत बंद है।

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