Thursday, April 25, 2024
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छूने से फैलता है ब्लैक फंगस? कुछ घंटों में ही जान ले सकता है कोरोना? वैक्सीन से कितना फायदा? डॉ रणदीप गुलेरिया से जानिए

डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि 'अभी तक जो डेटा आईसीएमआर या एनआईवी से आया है वह यही बताता है कि एक डोज चाहे वह कोवैक्सीन की हो या कोवीशील्ड की, उससे हमें पर्याप्त प्रोटेक्सन मिलती है।' इसके साथ ही उन्होंने ब्लैक फंगस पर भी जरूरी जानकारी साझा की।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: May 23, 2021 22:20 IST
AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया- India TV Hindi
Image Source : PTI AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया

नई दिल्ली: इंडिया टीवी के मेगा कॉन्क्लेव 'जीतेगा इंडिया, हारेगा कोरोना' में दिल्ली स्थित AIIMS के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कुछ हद तक दूसरी लहर में कमी आई है, केस कम हो रहे हैं, कुछ क्षेत्र हैं जहां पर महामारी की दूसरी लहर कम हो रही है, खासकर पश्चिम और मध्य भारत में। हालांकि, उन्होंने कहा कि पूर्वी और दक्षिण भारत में अब भी मामले ज्यादा हैं, वहां अगर मामले घटेंगे तो तेजी से भारत में स्थिति में सुधार होगा।

लॉकडाउन से कंट्रोल हुआ कोरोना?

डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि 'मामले घटने की सबसे बड़ी वजह लॉकडाउन ही है। हमें 3-4 चीजों पर आगे भी ध्यान देना होगा। हमें कोविड नियमों का पालन करना होगा, सब लोग मास्क लगाएं, अगर बाहर जाना जरूरी नहीं है तो नहीं जाएं, जितना हो सके घर से काम करें, कुछ हद तक अपने आप लॉकडाउन की तरह प्रतिबंध जारी रखें, खासकर उन जगहों पर जहां संक्रमण की दर ज्यादा है।'

जहां संक्रमण ज्यादा है, वहां लॉकडाउन जरूरी?

उन्होंने कहा कि 'हम देखेंगे कि ऐसा करने से 2 हफ्ते में ही मामले कम होंगे और लोगों की जान बचेगी। हमने दिल्ली में देखा कि लॉकडाउन बढ़ाया तो संक्रमण की दर घटी और मृत्यु दर में भी कमी आई। मुंबई का भी मॉडल यही है। मेरा यह मानना है कि जहां भी संक्रमण ज्यादा है वहां पर लॉकडाउन का कदम उठाना होगा।'

दूसरी लहर में ज्यादा मौतों की वजह?

उन्होंने कहा कि 'इस बार ज्यादा मौतें हुई हैं, खासकर युवा लोगों की मृत्यु दर ज्यादा रही है। इसके कई कारण हो सकते हैं, हमारे हेल्थकेयर सिस्टम पर दबाव बढ़ गया था, जिस वजह से क्वॉलिटी हेल्थकेयर नहीं मिला। कुछ लोगों ने अपने आप उपचार शुरू कर दिया और जब स्थिति खराब हुई तभी अस्पताल आए। इस बार जो नए वेरिएंट आए थे वह ज्यादा फैलाते थे और शायद उनकी वजह से ही मृत्यु दर भी ज्यादा हुई।'

कुछ घंटों में ही मौत के नजदीक ले जा सकता है कोरोना?

डॉ गुलेरिया ने कहा कि 'यह सामान्य तौर पर नहीं होता है। अगर किसी को हार्ट अटैक न हुआ हो या फेफड़ों में बहुत ज्यादा क्लॉटिंग हुई हो, तब ही ऐसा होता है। ज्यादातर लोगों में धीरे-धीरे ही ऑक्सीजन कम होती है और निमोनिया बढ़ता है। कई बार लोग शुरू के लक्ष्णों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते और जब तकलीफ ज्यादा बढ़ती है तो ही अपने लक्ष्ण बताते हैं।'

तीसरी लहर में बच्चों को खतरा?

डॉ गुलेरिया ने कहा कि 'ऐसा फिलहाल कोई डाटा नहीं है। पहली और दूसरी लहर में हमने देखा है कि बच्चे अगर संक्रमित होते हैं तो वह जल्दी ठीक हो जाते हैं। उनमें हल्के लक्ष्ण ही दिखे, अस्पताल में दोनों लहरों के दौरान वह ही बच्चे भर्ती हुए जो को-मॉर्बिड थे। पिछले एक साल का अनुभव फिलहाल यही कहता है कि अभी बच्चों को ज्यादा खतरा नहीं है।'

पढ़िए- क्या छूने से फैलता है ब्लैक फंगस? डॉ रणदीप गुलेरिया ने दी जानकारी

पढ़िए- वैक्सीन की एक डोज से कितना फायदा, क्या दूसरी डोज लगाने की जरूरत है?

डॉ गुलेलिया ने कहा कि 'जैसे-जैसे लॉकडाउन खुलेगा, स्कूल खुलेंगे, तो बच्चे कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर पाएंगे और उनमें सक्रमण फैल सकता है। हालांकि, बच्चों में लक्ष्ण कम दिखेंगे लेकिन वह संक्रमण घर तक पहुंचा सकते हैं।'

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