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आर्ट ऑफ लिविंग के सांस्कृतिक कार्यक्रम पर एनजीटी ने केंद्र से पूछे कई सवाल

35 साल पूरे होने पर यमुना किनारे आयोजित होने वाले आर्ट ऑफ लिविंग के तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम विश्व सांस्कृतिक महोत्सव को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी है।

India TV News Desk
Published : Mar 08, 2016 06:10 pm IST, Updated : Mar 08, 2016 06:12 pm IST
shree ravi shankar- India TV Hindi
shree ravi shankar

नई दिल्ली:  35 साल पूरे होने पर यमुना किनारे आयोजित होने वाले आर्ट ऑफ लिविंग के तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम विश्व सांस्कृतिक महोत्सव को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी है। श्री श्री रविशंकर के फाउंडेशन से जुड़े इस कार्यक्रम का विरोध करने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को कोई फैसला नहीं हो सका है। इस मामले पर एनजीटी ने जल संसाधन मंत्रालय और केंद्र सरकार से तीखे सवाल भी पूछे हैं। मंत्रालयों को इन सवालों के जवाब बुधवार को होने वाली सुनवाई के दौरान देने होंगे। गौरतलब है कि एनजीटी ने इस विवाद पर दिल्ली सरकार, दिल्ली विकास प्राधिकरण और ऑर्ट ऑफ लिविंग के गुरु श्री श्री रविशंकर को 11 फरवरी को नोटिस जारी किया था।

एनजीटी ने क्या पूछा:

  • क्या इस कार्यक्रम से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर किसी भी प्रकार का अध्ययन किया गया है?
  • एनजीटी ने कार्यक्रम के लिए यमुना पर प्रस्तावित पंटून पुल पर सरकार सफाई दे।
  • क्या यमुना पर पुल बनाने के लिए इजाजत दी गई थी?
  • क्या इस बात का ध्यान रखा गया कि यमुना की रक्षा कैसे की जाएगी?  

क्या है पूरा मसला:

आपको बता दें कि विश्व संस्कृति महोत्सव 11 से 13 मार्च को दिल्ली के मयूर विहार में होने वाला है। बताया जा रहा है कि यह कार्यक्रम यमुना फ्लड प्लेन पर आयोजित हो रहा है जो कि कई तरह की संवेदनशील जैविक गतिविधियों का प्रमुख स्थान है। इस कायक्रम के लिए वहां की हरियाली को जलाया गया फिर उस पर मलबा डाल क्षेत्र को समतल कर दिया गया। इससे यमुना को नुकसान होने की संभावना है। आपत्ति इसी बात को लेकर है कि आखिर डीडीए ने एनजीटी के आदेशों की अवहेलना करते हुए एक्टिव यमुना फ्लड्स प्लेन पर इस तरह के आयोजन की मंजूरी कैसे दी। जानकारी के मुताबिक दो बार इस आयोजन के ठुकराए जाने के बाद तीसरी बार इस आयोजन को मंजूरी दी गई। हैरानी की बात है कि जिस स्थान पर निर्माण कार्य किया जा रहा है वो नदीं के पिछले 10 साल के बाढ़ क्षेत्र के भीतर है जबकि एनजीटी ने 25 साल के बाढ़ क्षेत्र के भीतर किसी तरह के आयोजन को प्रतिबंधित कर रखा है। वहीं कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले लोगों की संख्या पर भी आपत्ति जताई जा रही है। कार्यक्रम की आधिकारिक वेबसाइट की माने तो इसमें 155 देशों के 35 लाख लोग शामिल होंगे जबकि इस संस्था ने कोर्ट में सिर्फ 2 से तीन लाख लोगों के हिस्सा लेने की बात कही है।  

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