Friday, April 19, 2024
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दिल्ली: जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास जुटीं महिलाएं, लगाए गए 'आजादी' के नारे

प्रदर्शनकारी महिलाओं का दावा है कि वो तब तक प्रदर्शन स्थल से नहीं हटेंगी, जब तक कि केंद्र नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को रद्द नहीं कर देता।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 23, 2020 6:27 IST
CAA- India TV Hindi
Image Source : PTI Muslim women during a dharna against Citizenship Amendment Act (CAA), National Register of Citizens (NRC) and National Population Register (NPR) near Jafrabaad metro station in New Delhi.

नई दिल्ली। नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग के बाद अब जाफराबाद में भी विरोध भड़क उठा है। शाहीन बाग की ही तर्ज पर हजारों महिलाएं जाफरादबाद मेट्रो स्टेशन पर जमा हो गईं है और वहां से गुजरने वाली सड़क को जाम कर दिया है। रातभर इस सड़क पर लोगों का हंगामा चलता रहा। हालात को देखते हुए यहां भारी संख्या में पुलिसवालों की तैनाती की कई है। आला अफसर रात भर लोगों को मनाते रहे लेकिन लोगों ने सड़क नहीं छोड़ी और इसे रात भर बंद रखा। दूसरी तरफ की रोड से गाड़ियों की आवाजाही हुई जिससे वहां से गुजरने वाले लोगों को भारी दिक्कत हुई।​

राजघाट तक मार्च की इजाजत नहीं मिली तो धरने पर बैठीं महिलाएं, लगा भारी जाम

बता दें कि यमुनापार में शास्त्री पार्क, कर्दमपुरी, श्रीराम कॉलोनी, सुंदर नगरी, चांद बाग, मुस्तफाबाद, और जाफराबाद में पिछले डेढ़ महीने से शाहीन बाग की तरह सीएए के विरोध में धरना चल रहा है। धरने पर बैठीं महिलाएं राजघाट तक मार्च निकालना चाहती थीं लेकिन पुलिस से इजाजत नहीं मिली। मार्च के मद्देनजर एतिहात के तौर पर शनिवार रात से ही जाफराबाद रोड पर पुलिस और अर्द्धसैनिक बल तैनात कर दिया गया। पुलिस तैनात होते ही जाफराबाद में तनाव का माहौल पैदा हो गया, जिसके बाद रात करीब साढ़े दस बजे धरने पर बैठी महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन की सड़क पर आ गई और मेट्रो स्टेशन के आस-पास जाम लगा दिया।

शाहीन बाग प्रदर्शन: चौथे दिन भी बेनतीजा रही बातचीत, वापस लौटीं वार्ताकार साधना

शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों से सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त वार्ताकार साधना रामचंद्रन की चौथे दिन की बातचीत भी बेनतीजा रही। इससे पहले लगातार चौथे दिन शनिवार सुबह वार्ताकार रामचंद्रन यहां पहुंचीं और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को रास्ता खोलने के लिए समझाया। प्रदर्शनकारियों ने वार्ताकार के समक्ष सात मांगे रखते हुए कहा कि जब तक सीएए वापस नहीं लिया जाता, तब तक रास्ते को खाली नहीं किया जाएगा।

सुबह 10.30 बजे यहां पहुंची साधना रामचंद्रन ने कहा, "यदि मार्ग नहीं खुला तो हम आपकी मदद नहीं कर पाएंगे। हम प्रदर्शन खत्म करने को नहीं कह रहे हैं।" उन्होंने कहा, "मैं यहां सरकार की ओर से नहीं आई हूं। हम सुप्रीम कोर्ट से कहेंगे की आपको सुरक्षा दी जाए। आपको एक पार्क दे दिया जाएगा, जहां पर आप प्रदर्शन को जारी रख सकते हैं।" हालांकि, वार्ताकार की इस बात का सभी प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में खंडन कर दिया और उनके समक्ष सात मांगे रखीं। प्रदर्शनकारियों ने कहा, "हमारी मांग है कि यदि आधी सड़क खुलती है तो सुरक्षा और एल्युमिनियम शीट चाहिए। साथ ही शाहीनबाग के लोगों और जामिया के विद्यार्थियों पर दर्ज किए गए मुकदमें वापस लिए जाने चाहिए। "

प्रदर्शनकारियों ने आगे की मांग रखते हुए कहा, "राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लागू नहीं किया जाए। केंद्रीय मंत्रियों के विवादित बयानों पर कार्रवाई होनी चाहिए। आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा राशि दी जानी चाहिए व प्रदर्शन के दौरान घायल हुए लोगों के इलाज का खर्च सरकार वहन करे। हमें दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं है, सुप्रीम कोर्ट हमारी सुरक्षा को लेकर आश्वासन दे।" वार्ताकार साधना ने प्रदर्शन स्थल से निकलते समय पत्रकारों से कहा, "यहां आने को लेकर मैं वकील संजय हेगड़े से बात करुं गी। जाहिर है 70 दिनों से सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है और जिसकी वजह से जिस रास्ते पर प्रदर्शन हो रहा है उससे आस पास के लोगों को दिक्कत हो रही है।"

इनपुट- IANS

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