Friday, March 29, 2024
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नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत से संबंधित महत्तवपूर्ण फाइल गायब: आरटीआई

नई दिल्ली: नेताजी सुभाषचंद्र बोस से संबंधित सभी जानकारियों को सार्वजनिक करने के मामले में एक और खुलासा हुआ है कि नेता जी से जुड़ी कुछ महत्तवपूर्ण फाइलें गायब हैं। इन गोपनीय फाइलों को इंदिरा

India TV News Desk India TV News Desk
Updated on: April 15, 2015 16:33 IST
- India TV Hindi

नई दिल्ली: नेताजी सुभाषचंद्र बोस से संबंधित सभी जानकारियों को सार्वजनिक करने के मामले में एक और खुलासा हुआ है कि नेता जी से जुड़ी कुछ महत्तवपूर्ण फाइलें गायब हैं। इन गोपनीय फाइलों को इंदिरा गांधी की सरकार के वक्त ही नष्ट कर दिया गया था।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन काल में नेताजी से जुड़ी कुछ गोपनीय फाइलों 43 साल पहले 1972 में ही नष्ट कर दी गई थी। इंदिरा गांधी के प्रिन्सिपल सेक्र्ट्री पी.एन. हक्सर के कहने पर नेताजी की मौत से जुड़ी फाइलों को नष्ट किया गया था।

मिशन नेताजी (Mission Netaji) संगठन की तरफ से दायर आरटीआई के जवाब में पीएमओ ने ये जानकारी दी कि 'फाइल को नष्ट करने की घटना 1972 की है और उस वक्त इंदिरा गांधी पीएम थीं। कहा जा रहा है कि कुछ फाइलों को नष्ट करने का आदेश सीधे पीएमओ से आया था।'

एक पूर्व मंत्री के मुताबिक-

नेताजी से जुड़ी नेहरू की फाइलों को इंदिरा गाँधी के सचिव पीएन हक्सर के कहने पर नष्ट किया गया था।

नेताजी पर रिसर्च करने वाले अनुज धर ने बताया कि '1972 में जब खोसला कमीशन काम कर रहा था वो नेताजी के डेथ के बारे में इनक्वायरी कर रहा था.. तो एक फाइल नष्ट की गई थी जो नेताजी के मरने से जुड़ी थी... उस इनक्वायरी के बारे में थी... तो कमाल की बात ये है कि सरकारी फाइले खासकर ऐसे सबजेक्ट पर जो एतिहासिक महत्व के हैं उन्हें नियम के अनुसार नष्ट नहीं किया जा सकता है जो कानून के खिलाफ है...वहां पर तो डबल प्रेशर था कि आपके सामने कमीशन इन्कायरी काम कर रही है ...जिस कमीशन को पता लगाना है कि नेताजी मरे हैं कि नहीं ? तो उस कमीशन को फाइल देने के बजाय ये जो फाइल सन 56 में बनी थी पंडित जी के टाइम पर ...इंदिरा सरकार ने उसको जला दिया... और तो ये खुल्लम खुल्ला धज्जियां उड़ा दी कानून का...उनको जलाने का मतलब सीधा था मुद्दों को छिपाना था.. '

सुभाषचंद्र बोस की मौत से जुड़ी फाइल को इंदिरा गांधी के सचिव पीएन हक्सर ने अनवांटेड करार दिया था। हक्सर ने अपने नोट में लिखा था, 'रिकॉर्ड रूम के बोझ को कम करने के लिए अनावश्यक फाइलों को नष्ट किया गया। ये फाइल उनमें से एक थी।'

धर ने बताया कि 'पीएम कार्यालय की फाइलें हैं...सुनने में आया है कि वो पंडित जी की खास फाइल थी...पीएन हक्सर जो उनके प्रिसिपल सेक्रेटरी थे इंदिरा जी की उनके ऑर्डर पर नष्ट की गई...मेरे ख्याल से कोई हक्सर की दुश्मनी थी नहीं बोस से...तो मैडम ने उनको कहा होगा नष्ट करने के लिए।'

साल 2000 में मुखर्जी आयोग नेताजी की मौत के मामले की जांच कर रहा था। उसने पीएमओ से एक फाइल मांगी थी, इस फाइल का नंबर था-- 12(226)/56-PM और इसका टाइटल था- "Investigation into the circumstances leading to the death of Subhas Chandra Bose".

लेकिन पीएमओ के डायरेक्टर ने आयोग से कहा कि वो फाइल नष्ट की जा चुकी है। बताया जाता है कि इस फाइल को 3 मार्च 1972 को नष्ट कर दिया गया था।

आयोग ने पीएमओ से पूछा कि उस फाइल में क्या था और उसे नष्ट क्यों किया गया। पीएमओ का जवाब आया- उस फाइल में कैबिनेट के फैसले का एक पेपर था। इसमें नेताजी की मौत से जुड़े हालात पर जांच का ब्योरा था। उसे 1972 में रूटीन तरीके से नष्ट कर दिया गया।इसके अलावा फाइल नंबर 2 (381)/60-66-PM का भी पता नहीं चल पा रहा है। इस फाइल में नेताजी के अवशेषों को भारत लाने से जुड़े दस्तावेज थे।

अनुज धर ने यह बताया कि 'जब जस्टिस मनोज कुमार मुखर्जी कमीशन काम कर रहा था तो उन्होंने इस मामले की तह में जाने की कोशिश की थी... तो उनको पता लगा कि गृहमंत्रालय और कैबिनेट सेक्रेटेटिएट दो अलग-अलग भाषा में बात कर रहे थे...प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी अलग बात बोल रहा था...पीएम कार्यालय ने कहा था कि आप जाकर कैबिनेट सेक्रेटिएट से पूछें उनके पास में शायद रिकॉर्ड होंगे....कैबिनेट सेक्रेटिएट ने साफ मना कर दिया... तो सरकारों को खुद नहीं पता कि हो क्या रहा है...तो उनका कुछ लोगों का मत ये भी था कि इन लोगों ने फाइल जलाई नहीं है इन लोगों ने छिपा दी है डर के मारे।'

नेताजी से जुड़ी कुछ फाइलों को 1969 में भी नष्ट किया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 3 देशों के दौरे के दौरान जर्मनी में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के परपोते सूर्यकुमार बोस ने मुलाकात कर नेताजी से संबंधित सभी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग की थी।

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