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11 राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने आज 11 राज्यों के मुख्य सचिवों को दो सप्ताह के भीतर यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि पांच साल पहले कानून बनने के बावजूद उन्होंने अपने यहां लोकायुक्त और उप लोकायुक्त की नियुक्ति अभी तक क्यों नहीं की।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : March 23, 2018 19:41 IST
Supreme court- India TV Hindi
Supreme court

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज 11 राज्यों के मुख्य सचिवों को दो सप्ताह के भीतर यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि पांच साल पहले कानून बनने के बावजूद उन्होंने अपने यहां लोकायुक्त और उप लोकायुक्त की नियुक्ति अभी तक क्यों नहीं की। शीर्ष अदालत ने मुख्य सचिवों को यह भी स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि 2013 में कानून बनने के बाद अभी तक इन राज्यों में भ्रष्टाचार निरोधक संस्था की नियुक्ति नहीं करने की क्या वजह हैं। 

जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आर भानुमति की पीठ ने ओडिशा के मुख्य सचिव से यह भी जानना चाहा है कि क्या राज्य मे लोकायुक्त- उप लोकायुक्त का कार्यालय काम कर रहा है। पीठ ने कहा कि कोर्ट  के पास ऐसी किसी नियुक्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। पीठ ने कहा कि उसके समक्ष पेश सामग्री से ऐसा लगता है कि जम्मू कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, पुडुचेरी, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और अरूणाचल प्रदेश ने अभी तक किसी लोकपाल, लोकायुक्त या उपलोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की है। 

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ इन11 राज्यों के मुख्य सचिव दो सप्ताह के भीतर सूचित करेंगे कि क्या लोकायुक्त- उपलोकायुक्त की नियुक्ति के लिये कदम उठाये गये हैं और यदि ऐसा है तो ये किस चरण में है। मुख्य सचिवों के हलफनामों में ये राज्य यह भी स्पष्ट करें कि लोकायुक्त- उपलोकायुक्त की नियुक्ति नहीं किये जाने की क्या वजह है।’’ 

शीर्ष अदालत ने इन राज्यों से यह भी स्पष्ट करने के लिये कहा है कि वे कितने समय के भीतर लोकायुक्त की नियुक्ति कर देंगे। इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही याचिकाकर्ता अधिवक्ता और दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता अश्चिनी कुमार उपाध्याय के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने पीठ को उन राज्यों की जानकारी दी जिन्होंने लोकायुक्त की नियुक्त की है और नहीं की है। 

शंकरनारायणन ने कहा कि 2013 में कानून बनने के बाद अनेक राज्यों ने लोकायुक्त की नियुक्ति की है लेकिन अभी भी कई राज्यों ने ऐसा नहीं किया है। पीठ ने कहा, ‘‘ हम सही आंकड़ा जानना चाहते हैं। इतने महत्वपूर्ण मामले में एक वकील से इस तरह के जवाब की हम अपेक्षा नहीं करते ।’’ पीठ ने इसके साथ ही इस मामले को 12 अप्रैल के लिये सूचीबद्ध कर दिया। शीर्ष अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें 2013 के कानून की धारा63 के अनुरूप लोकायुक्तों के प्रभावी तरीके से कामकाज के लिये पर्याप्त धन आबंटित करने का राज्यों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। 

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