Friday, April 19, 2024
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अयोध्या-काशी के बाद अब देश-दुनिया के इन मंदिरों का भी पुनरुत्थान करेंगे पीएम मोदी, ये है मास्टर प्लान

Modi Renovate Temples of the country and the world: अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर की आधार शिला रखने, काशी में बाबा विश्वनाथ के मंदिर का पुनरुत्थान करने और इंदौर में भगवान महाकाल कोरिडोर बनाने के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी की नजर देश और दुनिया के अन्य तमाम मंदिरों पर भी है।

Dharmendra Kumar Mishra Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: December 12, 2022 0:06 IST
पूजा-अर्चना में लीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)- India TV Hindi
Image Source : PTI पूजा-अर्चना में लीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

Modi Renovate Temples of the country and the world: अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर की आधार शिला रखने, काशी में बाबा विश्वनाथ के मंदिर का पुनरुत्थान करने और इंदौर में भगवान महाकाल कोरिडोर बनाने के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी की नजर देश और दुनिया के अन्य तमाम मंदिरों पर भी है। ताकि अपने देश के अलावा विदेशों में बने मंदिरों को भी पुनर्स्थापित कर भारतीय संस्कृति और धर्म का डंका बजाया जा सके। इसके लिए भारत ने विश्व में ऐसे हजारों मंदिरों की पहचान की है। प्रधानमंत्री मोदी ने इन सभी मंदिरों के कायाकल्प का विशेष प्लान बनाया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर स्वयं बता रहे हैं कि पीएम मोदी का मंदिरों के पुनरुत्थान का मास्टर प्लान क्या है?

एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि मंदिर हमारी संस्कृति और इतिहास के रखवाले हैं और मोदी सरकार का पूरा ध्यान दुनिया में भारत की समृद्ध परंपराओं के निर्माण, पुनर्निर्माण और पुनर्स्थापन पर है। रविवार को 'काशी तमिल संगमम' के आयोजन की श्रृंखला में ''समाज और राष्ट्र निर्माण में मंदिरों का योगदान'' विषय पर अपने संबोधन में विदेश मंत्री ने कहा कि ‘हमारे पीछे मंदिरों की उपेक्षा’ का युग रहा है। मगर अब "इतिहास का पहिया घूम रहा है, यह लौट रहा है, यह भारत का उदय है और मोदी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है कि दुनिया में भारतीय संस्कृति और भारतीय विरासत को उचित स्थान मिले।

कंबोडिया से लेकर बहरीन में मंदिरों का होगा कायाकल्प

मंदिरों के विश्‍व स्‍तरीय संरक्षण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत कंबोडिया में अंकोरवाट मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार कर रहा है क्योंकि भारत की सभ्यता भारत से आगे कई देशों तक विस्तृत है। जयशंकर ने कहा कि सिर्फ भारत में ही नहीं, केवल भारतीय उपमहाद्वीप में ही नहीं, बल्कि इसके बाहर भी कई क्षेत्रों में मंदिर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं उपराष्ट्रपति के साथ दुनिया के सबसे बड़े मंदिर ‘अंकोरवाट मंदिर परिसर’ को देखने गया था। आज, हम अंकोरवाट में मंदिरों का जीर्णोद्धार करा रहे हैं। जब हम भारतीय सभ्यता की पुनर्स्थापना, पुनर्निर्माण और इसके पुनरुत्थान का काम रहे हैं, तो हमारा कार्य केवल भारत तक सीमित नहीं है, हमारा कार्य पूरे विश्व में है।

जयशंकर ने कहाकि कुछ लोग जानते हैं कि मैं कई वर्षों से चीन में राजदूत रहा हूं। मैंने चीन के पूर्वी तट पर भी हिंदू मंदिरों के अवशेष देखे हैं। कोरिया और अयोध्या के बीच एक बहुत ही खास संबंध है और आज भी वहां के लोग अयोध्या के घटनाक्रम से जुड़े रहना चाहते हैं। उन्होंने बहरीन में श्रीनाथ जी मंदिर का भी उल्लेख किया और कहा, "इन सभी को हमारे लोगों ने स्थापित किया था, जब वे बाहर गए। विश्‍व स्‍तर पर मंदिरों के संरक्षण की जरूरत है और सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है कि भारतीयों की आस्था को और सशक्त किया जाए। विदेश मंत्री ने कहा कि मंदिरों के पुनरुत्थान से सिर्फ हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि विश्वभर को साथ लाने में मदद मिली है और इससे कारोबार ही नहीं बल्कि संस्कृति और आपसी संबंधों को भी मजबूती मिली है।

अमेरिका से लेकर नेपाल और श्रीलंका तक ये है विशेष प्लान
वियतनाम में किये गये कार्यों का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत के लोग जो बाहर कर रहे हैं, हम भी उसका समर्थन करें। अमेरिका में एक हजार से अधिक मंदिर हैं। विदेशों में साढ़े तीन करोड़ भारतीय और भारतीय मूल के लोग हैं, लेकिन वे जहां भी गए, वे हमारी संस्कृति को अपने साथ ले गए, वे हर दिन हमारी संस्कृति को जीते हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए हमारा भी आज उनका समर्थन करने का प्रयास है, और हम इसे अलग-अलग तरीकों से करते हैं। जयशंकर ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल में रामायण सर्किट बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये देने की प्रतिबद्धता जताई है, ताकि हम सभी को अपनी विरासत को करीब से देखने का अवसर मिले। उन्होंने कहा, "श्रीलंका में हमने मन्नार में थिरुकेतीश्वरम मंदिर का जीर्णोद्धार किया। यह मंदिर 12 साल से बंद था। जयशंकर ने अपने ट्वीट में कहा, "मोदी सरकार की सांस्कृतिक कूटनीति पूरी दुनिया के लाभ के लिए हमारी समृद्ध परंपराओं को बनाने, पुनर्निर्माण और पुनर्स्थापित करने पर केंद्रित है। यह वसुधैव कुटुम्बकम है।

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