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दिल्ली में 2000 करोड़ रुपए का क्लासरूम घोटाला, कैसे किया गया ये स्कैम? हुआ बड़ा खुलासा

दिल्ली में कथित क्लासरूम घोटाले के सामने आने के बाद हंगामा मचा हुआ है। इस क्लासरूम घोटाले की रकम 2000 करोड़ रुपए बताई जा रही है। आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ।

Reported By : Atul Bhatia Edited By : Subhash Kumar Published : Jun 20, 2025 03:13 pm IST, Updated : Jun 20, 2025 03:15 pm IST
Classroom scam exposed in Delhi- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV दिल्ली में क्लासरूम घोटाले का खुलासा।

दिल्ली में कथित क्लासरूम घोटाले के मामले को लेकर बवाल मचा हुआ है। सरकारी स्कूलों में कक्षा निर्माण में भारी घोटाले और अनियमितताओं के मामले में दर्ज FIR में पूछताछ के लिए दिल्ली पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ACB कार्यालय में पेश हुए हैं। ACB अधिकारियों ने स्वतंत्र पंच गवाह की मौजूदगी में की सिसोदिया से पूछताछ की है। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय की ओर से इस घोटाले को लेकर बड़ा खुलासा किया है। जानकारी के मुताबिक, इस क्लासरूम घोटाले की रकम 2000 करोड़ रुपये आंकी गई है।

जरूरत से तीन गुना क्लासरूम बनाए गए

ED की छापेमारी में दिल्ली के क्लासरूम घोटाले के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। ED ने 18 जून 2025 को दिल्ली-एनसीआर में 37 स्थानों पर छापेमारी की थी। ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA), 2002 के तहत की गई थी। ये मामला दिल्ली के अतिरिक्त क्लासरूम कंस्ट्रक्शन में हुए घोटाले से जुड़ा है। पूरा घोटाला करीब 2000 करोड़ रुपये का आंका गया है। जरूरत से तीन गुना क्लासरूम बनाकर घोटाले को अंजाम दिया गया है।

किन नेताओं पर लगा आरोप?

ACB द्वारा दर्ज FIR में दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया, पूर्व PWD मंत्री सत्येंद्र जैन और अन्य के खिलाफ ₹2,000 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी का आरोप है। दरअसल, साल 2015 से 2023 के बीच 2405 क्लासरूम की जरूरत थी, लेकिन इसे 12748 क्लासरूम तक बढ़ाया गया था, वो भी बिना मंजूरी के।

कैसे हुआ घोटाला?

महंगी और फर्जी निर्माण सामग्री के प्रस्तावों को जानबूझकर चुना गया। इसका मकसद करोड़ों रुपये का गबन करना था। निर्माण कार्यों में 49% तक लागत बढ़ोतरी पाई गई, बाकी पैसे का गबन किया गया। निर्माण कार्यों में डुप्लीकेट और फर्जी खर्चों का इस्तेमाल किया गया।

ED को सर्च में क्या मिला?

निजी ठेकेदारों के ठिकानों से सरकारी विभाग की मूल फाइलें और PWD अधिकारियों की नकली मुहरें बरामद हुईं। 322 बैंक पासबुक मिलीं, जो मजदूरों के नाम पर फर्जी खाते खोलकर सरकारी पैसे की हेराफेरी के लिए इस्तेमाल हुई थीं। नकली लेटरहेड, फर्जी बिल, और शेल कंपनियों से जुड़े दस्तावेज भी बरामद हुए। फर्जी कम्पनियों के नाम पर बड़े भुगतान दिखाए गए।

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