Sunday, April 28, 2024
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हलाला, एक से ज्यादा निकाह और शरिया कोर्ट पर SC करेगा सुनवाई, 5 जजों की बेंच बनाई

मुसलमानों में हलाला, एक से ज्यादा शादी और शरिया कोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की बेंच बना दी है।

Reported By : Gonika Arora Edited By : Swayam Prakash Updated on: January 20, 2023 11:33 IST
हलाला पर भी सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO हलाला पर भी सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

नई दिल्ली: मुसलमानों में हलाला, एक से ज्यादा शादी और शरिया कोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की बेंच बना दी है। बता दें कि पिछले साल 30 अगस्त को 5 जजों ने इस मामले की सुनवाई की थी लेकिन इस बीच जस्टिस इंदिरा बनर्जी और हेमंत गुप्ता रिटायर हो गए। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह मुसलमानों में बहुविवाह और निकाह हलाला की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच जजों की नयी संविधान पीठ का गठन करेगा। 

पिछली संविधान पीठ के दो जज हुए रिटायर

इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय ने प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जे.बी. पर्दीवाला की पीठ से अनुरोध किया था कि इस मामले में संविधान पीठ को नये सिरे से गठित करने की आवश्यकता है, क्योंकि पिछली संविधान पीठ के दो न्यायाधीश-न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता- सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

30 अगस्त को हुई थी मामले पर सुनवाई
पिछली संविधान पीठ ने 30 अगस्त को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) को जनहित याचिकाओं में पक्षकार बनाया था और उनसे जवाब मांगा था। तत्कालीन संविधान पीठ की अध्यक्षता जस्टिस बनर्जी कर रही थीं और जस्टिस गुप्ता, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस सुधांशु धूलिया इसमें शामिल थे। हालांकि जस्टिस बनर्जी और जस्टिस गुप्ता इस साल क्रमशः 23 सितंबर और 16 अक्टूबर को रिटायर हो गये, जिससे बहुविवाह और 'निकाह हलाला' की प्रथाओं के खिलाफ 8 याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के पुनर्गठन की जररूत पड़ी। 

बहुविवाह और हलाला को अवैध घोषित करने की मांग 
वकील अश्विनी उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका में बहुविवाह और 'निकाह हलाला' को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने का निर्देश देने का आग्रह किया है। शीर्ष अदालत ने जुलाई 2018 में उनकी याचिका पर विचार किया था और इस मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया था जो पहले से ही ऐसी ही याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी।

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