Friday, November 07, 2025
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Rajat Sharma's Blog | कफ सिरप का ज़हर: लालच और लापरवाही का ये खेल बंद हो

जांच के बाद 44 पन्नों की जो रिपोर्ट तैयार की गई उसमें लिखा है कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने में 39 तरह की गंभीर गड़बड़ियां और 325 तरह की अन्य कमियां पाई गईं।

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : Oct 08, 2025 06:09 pm IST, Updated : Oct 09, 2025 06:02 pm IST
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Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

तमिलनाडु की एक कंपनी द्वारा बनाये गये कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से अब तक मध्य प्रदेश और राजस्थान में 18 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारों ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर पांबदी लगा दी है। तमिलनाडु सरकार ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी की फैक्ट्री को सील कर दिया है। हैरानी की बात ये है कि गुजरात की दो कंपनियों के कफ सिरप Re-life, Respi-fresh TR में भी भारी गड़बड़ी मिली है। कोल्ड्रिफ सिरप पीने से जिन 18 बच्चों की मौत हुई, उन सभी बच्चों की किडनी फेल हो गई। तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।

अभी भी मध्य प्रदेश के कई बच्चे नागपुर के अस्पताल में हैं। अभी तक इस दवा का कहर मध्य प्रदेश और राजस्थान में दिखा है लेकिन इसके बाद कई राज्यों ने कोल्ड्रिफ सिरप के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है क्योंकि जांच में जो पता लगा वो रौंगटे खड़े करने वाला है। कोल्डरिफ सिरप  श्रीसेन फार्मास्यूटिकल नाम की कंपनी बनाती है। इस दवा को तमिलनाडु के कांचीपुरम में बनाया जा रहा था। जांच करने पहुंची टीम जब फैक्ट्री में पहुंचे, तो हैरान रह गए। केमिकल के ड्रम्स खुले में पड़े थे, कोई टेस्टिंग लैब नहीं थी, क्वालिटी कन्ट्रोल का कोई सिस्टम मौजूद नहीं था, trained स्टाफ नहीं था, दवा बनाने के लिए ग्राउंड वॉटर का इस्तेमाल हो रहा था। कफ सिरप बनाने के लिए खुले बाज़ार से बिना किसी जांच-परख के कैमिकल ख़रीदा गया था।

जिस जगह पर दवा बन रही थी, वहां कीड़े मकोड़े, मक्खी मच्छर और चूहों का राज था। ये सब देखकर अधिकारी सन्न रह गए। जांच के बाद  44 पन्नों की जो रिपोर्ट तैयार की गई उसमें लिखा है कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने में 39 तरह की गंभीर गड़बड़ियां और 325 तरह की अन्य कमियां पाई गईं। कफ सिरप में 0.1 परसेंट ग्लाइकॉल होना चाहिए। जबकि कोल्ड्रिफ कफ सिरप में इस केमिकल का मात्रा 48.1 परसेंट पाई गई यानी मानक से 481 गुना ज्यादा। ये केमिकल सीधे किडनी पर असर करता है। इसी तरह गुजरात में बनी री-लाइफ और respi-fresh TR सिरप में मानक से ज्यादा डाय एथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया। Re-life में इस केमिकल की मात्रा साठ गुना और respi-fresh TR सिरप में 136 गुना ज्यादा पाई गई। इसलिए अब इन दवाओं के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी गई है और बाज़ार में मौजूद ये कफ सिरप वापस कराए जा रहे हैं।

आपके मन में सवाल होगा कि आखिर इन कंपनियों को इस तरह की मिलावट करने की क्या जरूरत थी। जिस केमिकल को .01 परसेंट मिलाने से काम चल सकता है, उसे पांच सौ गुना मिलाने की क्या जरूरत थी। ये सवाल मैंने कई विशेषज्ञों से पूछा तो पता लगा कि खांसी की दवा में सॉल्वेंट के तौर पर प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल होता है, दवाओं को बनाने में काम आने वाला ये केमिकल फॉर्मा ग्रेड का होता है, महंगा आता है, कई तरह की जांच से गुजरता है, इसलिए हेराफेरी करने वाली कंपनियां फॉर्मा ग्रेड का प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल खरीदने के बजाय खुले बाजार से सस्ता केमिकल खऱीद लेती हैं। डाई-एथलीन ग्लाइकॉल भी solvent का काम करता है लेकिन इसका इस्तेमाल, इंडस्ट्रियल सॉल्वेंट के तौर पर होता है। ये सस्ता होता है, पर ज़हरीला होता है। इसका इस्तेमाल brake fluid, paint, और प्लास्टिक बनाने में सॉल्वेंट के तौर पर होता है लेकिन कोल्ड्रिफ बनाने वाली कंपनी, श्रीसेन फार्मास्यूटिकल इस केमिकल को कफ़ सिरप बनाने में इस्तेमाल कर रही थी, वो भी तय मात्रा से पांच सौ गुना ज़्यादा। इसलिए जो दवा बच्चों को दी गई, वो ज़हर साबित हुई।

जिन मासूम बच्चों की Coldrif सिरप की वजह से मौत हुई, उनके परिवार वालों की बातें सुनकर दिल दहल जाता है। किसी ने बताया कि सिरप पीने के बाद बच्चा एक घूंट पानी भी नहीं पी सका। बच्चे को बचाने के लिए पिता ने जमीन गिरवी रखकर 4 लाख रुपये का कर्जा लिया लेकिन पैसा किसी काम नहीं आया। किसी को Doctor ने बताया कि Syrup पीने के बाद उनके बच्चे की दोनों किडनी फेल हो गई हैं, इलाज के लिए पिता ने अपना Auto बेच दिया पर जब बेटे की लाश हाथ में आई तो सब्र का बांध टूट गया। ऐसे कितने सारे केस हैं, कितनी सारी दर्द भरी कहानियां हैं। ये तो साफ है कि कफ सिरप बनाने वाली कंपनी ने hygiene का ध्यान नहीं रखा, गंदगी में मक्खी-मच्छरों के बीच दवा के नाम पर ज़हर बनाया। जिस केमिकल के इस्तेमाल की सीमा शून्य दशमलव 1% से भी कम थी, उसकी 500 गुना मात्रा सिरप बनाने में इस्तेमाल हुई, सिर्फ इसीलिए कि ये केमिकल सस्ता है। जिसने भी ये पाप किया, उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए। दवा बनाने में लापरवाही और लालच का ये खेल बंद होना चाहिए।

सबरीमला मंदिर से सोने की चोरी: दोषियों को गिरफ्तार करो

केरल के विश्व प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर के दरवाजों पर चढ़ा साढ़े चार किलो सोना चोरी हो गया। सबरीमला के अयप्पा मंदिर के द्वारपालकों की गोल्ड प्लेटिड मूर्तियों को फिर से सोने की पॉलिशिंग के नाम पर चेन्नई भेजा गया लेकिन मूर्तियों में लगा सोना चुराकर तांबे की प्लेटिंग कर दी गई। ये मामला तब सामने आया, जब केरल हाई कोर्ट ने सबरीमला की संपत्तियों का सही-सही ब्यौरा जमा करने का आदेश दिया। रिटायर्ड जस्टिस KT शंकरन की निगरानी में सबरीमला मंदिर की सभी संपत्तियों का वज़न किया गया तो द्वारपालकों की मूर्ति का वज़न साढ़े चार किलो कम निकला। पता ये चला कि 2019 में त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड ने 2019 में सबरीमला मंदिर के द्वारपालकों की तांबे की मूर्तियों पर लगी गोल्ड प्लेटिंग को पॉलिशिंग के लिए चेन्नई भेजा था। इस काम की ज़िम्मेदारी उन्नीकृष्णन पोट्टी नाम के शख़्स को दी गई थी।

जब ये मूर्तियां पॉलिश होने के बाद चेन्नई से सबरीमला मंदिर वापस आईं तो इनका वज़न 4.5 किलो कम हो गया था। देवास्वोम बोर्ड के अधिकारियों को इस बात की जानकारी थी,  फिर भी उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया। जब छह महीने में ही मूर्तियों की पॉलिश फीकी पड़ने लगी तो देवास्वोम बोर्ड ने एक बार फिर से ये मूर्तियां उन्नीकृष्णन के हवाले कर दी। लेकिन इस साल फिर से द्वारपालों की मूर्तियों की चमक फीकी पड़ गई तो देवास्वोम बोर्ड ने द्वारपालकों की मूर्ति के पैनल ही हटा दिए। इसकी शिकायत हाई कोर्ट से की गई। हाईकोर्ट ने कहा कि मामला बिल्कुल साफ है, मंदिर का सोना चोरी हुआ है। हाईकोर्ट ने केरल की वामपंथी सरकार को कड़ी फटकार लगाई  और मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाने का आदेश दिया।

तिरुवनंतपुरम में कांग्रेस ने पिनराई विजयन की सरकार के ख़िलाफ़ प्रोटेस्ट किया। विधानसभा में शोर-शराबा हुआ। कांग्रेस की अगुवाई में यूडीएफ के विधायकों ने चर्चा कराने की मांग की। प्रतिपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने आरोप लगाया कि सबरीमला मंदिर से सोना चुराने के मामले में सरकार के मंत्री और क़रीबी अधिकारी शामिल हैं इसीलिए सरकार ये मामला दबाने में जुटी है। विवाद बढ़ा तो केरल सरकार ने देवास्वोम बोर्ड के डिप्टी कमिश्नर  बी. मुरारी बाबू को सस्पेंड कर दिया। मुरारी बाबू 2019 में सबरीमला मंदिर के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफ़िसर थे और उन्होंने ही द्वारपालकों की मूर्तियों के वज़न को लेकर ग़लत रिपोर्ट सौंपी थी। BJP ने कहा कि इस मामले की जांच सेट्रंल एजेंसी को सौंपी जाए।

अगर केरल हाईकोर्ट अपनी तरफ से कार्रवाई न करती, तो सबरीमला से गायब हुए सोने के बारे में पता ही नहीं चलता। सबसे दिलचस्प बात ये है कि जिस व्यक्ति पर सोना चोरी करने का आरोप लगा है, उसने कई साल पहले मंदिर के बोर्ड को e-mail के जरिए लिखकर कहा था कि उसके पास जो बचा हुआ सोना है उसे वो एक शादी के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। ये वही व्यक्ति है जिसे मूर्तियों पर सोना चढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई थी। पूरा मामला चौंकाने वाला है। अब एक पूर्व जज से कहा गया है कि अब वो मंदिर की सारी कीमती संपत्तियों की सूची  बनाएं और मंदिर में जो अनियमितताएं हो रही हैं, उन्हें सामने लाया जाय। उम्मीद करनी चाहिए कि इस पूरी जांच से मंदिर के सोने और बहुमूल्य सामान पर बुरी नजर रखने वालों पर लगाम लगेगी। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 07 अक्टूबर, 2025 का पूरा एपिसोड

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