Friday, December 13, 2024
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Rajat Sharma's Blog | डॉक्टर की नृशंस हत्या: दरिंदों को ऐसी सज़ा मिले कि सबकी रूह कांप उठे

पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर का कहना है कि एक से ज्यादा लोग इस अपराध में शामिल थे। इस केस में ये भी लगा कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को बचाने की कोशिश हुई।

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : Aug 14, 2024 18:30 IST, Updated : Aug 15, 2024 15:49 IST
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Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

ममता बनर्जी को कलकत्ता हाईकोर्ट से बहुत ज़ोर का झटका लगा। डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के केस को हाईकोर्ट ने CBI के हवाले कर दिया। कोलकाता पुलिस को आदेश दिया है कि वो इस केस से जुड़े सारे कागज़ात CBI को फौरन सौंप दे। CBI ने बिना देर किए इस दिल दहलाने वाले केस की जांच शुरू कर दी है। हाईकोर्ट का ये फैसला सिर्फ इसलिए ममता बनर्जी की सरकार के लिए झटका नहीं है कि इस केस की जांच CBI के हवाले कर दी। ममता बनर्जी के लिए ये इसलिए ज्यादा बड़ी परेशानी है क्योंकि हाईकोर्ट ने ये संदेह भी जाहिर किया कि जिस तरह से कोलकाता पुलिस जांच कर रही है, उससे सबूतों के नष्ट होने का खतरा है। कोर्ट को तमाम सवालों का ममता की पुलिस के पास कोई जवाब नहीं था। कोर्ट ने पूछा कि आखिर पुलिस ने शुरू में इसे आत्महत्या का मामला किस आधार पर कहा? कोर्ट ने पूछा कि पुलिस ने एक आरोपी को पकड़ कर कैसे मान लिया कि लड़की के साथ दरिंदगी करने वाला, हत्या करने वाला एक ही शख्स था? पुलिस तमाम लोगों से पूछताछ करती रही, लेकिन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से पूछताछ क्यों नहीं की? हाईकोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने जन आक्रोश के कारण इस्तीफा दिया तो बिना देर किए उसी दिन सरकार ने उसे दूसरे मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल कैसे बना दिया? कोर्ट ममता बनर्जी की सरकार से इस कदर खफा था कि उसे कहना पड़ा कि अगर अगले दो घंटे के अंदर प्रिंसिपल को छुट्टी पर नहीं भेजा गया, तो अदालत को ये काम करना पड़ेगा।

रेप-हत्या की शिकार डॉक्टर के माता-पिता ने इस जघन्य हत्याकांड में अपनी इकलौती बेटी को खोया है। उन्होने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की थी। इस मामले में कई PIL भी दायर की गई थीं। हाईकोर्ट में सारी अर्जियों पर एक साथ सुनवाई की। कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस शिवज्ञानम् की खंडपीठ ने कहा कि पुलिस पांच दिनों से इस मामले की जांच कर रही थी, लेकिन अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची। कोलकाता पुलिस ने कहा कि एक शख्स की गिरफ्तारी की है, 35 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए हैं। लेकिन कोर्ट ने पूछा क्या इन 35 लोगों में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का बयान लिया गया है? क्या पुलिस ने प्रिंसिपल संदीप घोष को पूछताछ के लिए बुलाया? जबाव था, नहीं। कोर्ट ने कहा कि जिस कॉलेज में लड़की के साथ रेप के बाद हत्या हुई, उस कॉलेज के प्रिंसिपल से ही पुलिस ने पूछताछ नहीं की तो जांच कैसी हो रही है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं हैं। हैरानी की बात ये है कि कोर्ट ने पुलिस से केस डायरी मांगी तो पुलिस वो भी नहीं दे पाई। अदालत ने पूछा कि लड़की के शरीर पर चोट के निशान थे, खून निकल रहा था, फिर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने से पहले पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला क्यों कहा? इस पर पुलिस के पास कोई जवाब नहीं था। अदालत ने कहा कि अगर अब ये केस पुलिस के पास रहा तो इस बात की पूरी संभावना है कि सबूत मिटा दिए जाएंगे, इसलिए ये मामला तुरंत सीबीआई को ट्रांसफर किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने आदेश दिया कि पुलिस शाम तक इस मामले की केस डायरी सीबीआई को सौंपे और बुधवार तक केस के सभी जरूरी कागज़ात सीबीआई को दे। हाईकोर्ट ने कहा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। जन आक्रोश के कारण डॉक्टर संदीप घोष ने इस्तीफा दिया लेकिन उसके फौरन बाद सरकार ने उन्हें दूसरे मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया। ये फैसला करके सरकार क्या संदेश देना चाहती है? कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर संदीप घोष को फौरन छुट्टी पर भेजा जाए। अगर अगले दो घंटे में उन्हें छुट्टी पर नहीं भेजा जाता तो अदालत इसके लिए आदेश जारी करेगी।  हाईकोर्ट ने कहा कि कोलकाता पुलिस का जो रवैया है, उसे देख कर लगता है कि सबूत नष्ट हो सकते हैं। हाईकोर्ट ने ये शक क्यों जाहिर किया, इसका सबूत भी मंगलवार को मिल गया। जैसे ही हाईकोर्ट का फैसला आया, उसके कुछ ही देर के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज से हैरान करने वाली तस्वीरें आईं। जिस सेमिनार हॉल में डॉक्टर की हत्या हुई, उसके पास ही दीवारों को तोड़ने का काम शुरू हो गया। सेमीनार हॉल के करीब डॉक्टर्स के लिए टॉयलेट बना है। उसके बगल में रेजीडेंट डॉक्टरों के लिए रेस्ट रूम है। इसी रूम की दीवारों पर मंगलवार को हथौड़ा चला दिया गया।

चूंकि सेमीनार हॉल में लेडी डॉक्टर की लाश मिली थी, लाश पर खरोंच के निशान थे, मुंह और नाक से खून निकल रहा था, इसलिए इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि टॉयलेट में भी कुछ सबूत हों। वैसे भी क्राइम स्पॉट को जांच पूरी होने तक सील किया जाता है लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने मंगलवार को आनन-फानन में हथौड़ा चलवा दिया। इसीलिए अब ये आरोप लगाए जा रहे हैं कि ये सीबीआई के पहुंचने से पहले ही सबूतों को नष्ट करने की कोशिश हो सकती हैं। कोर्ट ने पूछा, पुलिस इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंची कि इस जघन्य हत्याकांड को सिर्फ एक व्यक्ति ने अंजाम दिया। ये सवाल इसलिए जरूरी हैं क्योंकि लाश जिस हालत में मिली थी, उसे देखकर कोई भी व्यक्ति बता सकता था कि ये आत्महत्या का नहीं, हत्या का केस है। जो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई है, उसे पढ़ कर रौंगटे खड़े हो जाते हैं। रेजीडेंट डॉक्टर के गले पर कट का निशान था। उसकी रेप के बाद गला दबा कर हत्या की गई थी। डॉक्टर की गर्दन की हड्डी टूटी हुई थी। उसके मुंह पर जोरदार हमला किया था जिसके कारण उसके मुंह और नाक से खून निकला और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पढ़ने के बाद डॉक्टर सुवर्णो गोस्वामी ने जो दावा किया गया, वो इस बात को साबित करने के लिए काफी है कि डॉक्टर के साथ हैविनयत करने में एक नहीं, एक से ज्यादा अपराधी शामिल थे। डॉक्टर सुवर्णो गोस्वामी ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में लेडी डॉक्टर की बॉडी से एक से ज्यादा व्यक्तियों का सीमेन (वीर्य) मिला है।

हाईकोर्ट के फैसले पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने संतोष जाहिर किया है। IMA की टीम ने स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात कर पूरे देश में डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। मंत्री की अपील के बाद डॉक्टरों ने अपनी देशव्यापी हड़ताल खत्म कर दी। कोलकाता में डॉक्टर के साथ जो हैवानियत हुई, जिस तरह की दरिंदगी हुई, उसके बाद पुलिस से उम्मीद की जा रही थी कि वो ऐसे केस के अपराधी को पकड़ने में जान लगा देगी। ऐसा जुल्म, ऐसा पाप देखकर, जिसका खून न खौले, वो खून नहीं, पानी है। लेकिन हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद लगा कि कोलकाता पुलिस इस केस को सुलझाने के बजाये उलझाने में लगी है। पहले इसे आत्महत्या का मामला साबित करने की कोशिश की, फिर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया। सारा केस एक ही अपराधी के इर्दगिर्द बनाने की कोशिश हुई। जबकि पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर का कहना है कि एक से ज्यादा लोग इस अपराध में शामिल थे। इस केस में ये भी लगा कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को बचाने की कोशिश हुई।

बाकी बातें तो पुलिस की लापरवाही और पुलिस की असंवेदना मानी जा सकती है, लेकिन प्रिंसिपल का ट्रांसफर पुलिस का फैसला नहीं हो सकता। जाहिर है ये एक राजनीतिक निर्णय था। इसीलिए ममता बनर्जी की सरकार पर भी सवाल उठे। बेहतर होगा कि राजनीतिक दल अब इस मामले में राजनीति न करके CBI की जांच का इंतजार करें। बस जरूरत इस बात की है कि CBI इस केस को युद्ध स्तर पर सुलझाए, डॉक्टर बेटी को इंसाफ मिले, दरिंदों को ऐसी सजा मिले कि देखने-सुनने वालों की रूह कांप जाए। यही इंसानियत का तकाज़ा है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 13 अगस्त, 2024 का पूरा एपिसोड

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