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'डंकी' एजेंट पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, कहा- भारतीय पासपोर्ट की छवि खराब करते हो; नहीं दी अग्रिम जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने "डंकी" एजेंट को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे लोग भारतीय पासपोर्ट की छवि खराब करते हैं।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Jun 16, 2025 20:07 IST, Updated : Jun 16, 2025 20:15 IST
सुप्रीम कोर्ट
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति को "डंकी" रूट से अमेरिका भेजने का झांसा देकर कथित तौर पर ठगने वाले एक आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे लोग भारतीय पासपोर्ट की छवि खराब करते हैं। जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और मनमोहन की पीठ ने सोमवार को कहा, "आप जैसे लोगों की वजह से भारतीय पासपोर्ट का अनादर होता है।" शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि कुछ लोगों के ऐसे कृत्य भारतीय पासपोर्ट के लिए बदनामी का कारण बनते हैं।

क्या है डंकी रूट?

बता दें कि "डंकी रूट" या "डंकी जर्नी" के जरिए प्रवासी नागरिक अवैध तरीके से किसी देश तक पहुंचते हैं। खासकर डंकी रूट से भारतीय नागरिक अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोप के अन्य विकसित देशों में अवैध रूप से प्रवेश करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस प्रक्रिया में मानव तस्करों का उपयोग करना और विभिन्न देशों से होकर गुजरना शामिल है, जिसमें अक्सर कानूनी आव्रजन प्रक्रियाओं को दरकिनार करने के लिए कठोर और खतरनाक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। "डंकी" शब्द पंजाबी मुहावरे "डुंकी" पर आधारित है, जिसका अर्थ एक स्थान से दूसरे स्थान पर कूदना होता है।

आरोपों को बताया बहुत गंभीर

मामले के तथ्यों का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि आरोपी ने न केवल व्यक्ति को ठगा, बल्कि उसे अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए अमानवीय परिस्थितियों में अमेरिका से सटे कई देशों की यात्रा भी करवाई। पीठ ने इन आरोपों को "बहुत गंभीर" बताया और हरियाणा के ओम प्रकाश की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। यह याचिका पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें उसे इस मामले में राहत देने से मना कर दिया गया था।

क्या है पूरा मामला?

एफआईआर के अनुसार, प्रकाश मुख्य आरोपी का सहयोगी था, जो एक एजेंट के रूप में काम कर रहा था और उसने शिकायतकर्ता को 43 लाख रुपये के भुगतान पर वैध माध्यम से उसे अमेरिका भेजने का आश्वासन दिया था। मुख्य आरोपी ने शिकायतकर्ता को सितंबर 2024 में दुबई भेजा और वहां से विभिन्न देशों में, फिर पनामा के जंगलों में और फिर मैक्सिको भेजा। 1 फरवरी को मुख्य आरोपी के "डोंकर्स/एजेंटों" ने उसे अमेरिकी सीमा पार कराई। शिकायतकर्ता को अमेरिकी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जेल में डाल दिया गया और 16 फरवरी को भारत भेज दिया गया। (इनपुट- भाषा)

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