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केदारनाथ में गड्ढों में डाला जा रहा कई टन अशोधित कचरा, RTI से हुआ खुलासा

उत्तराखंड सरकार द्वारा एक सवाल के जवाब में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान क्षेत्र में पैदा हुए अशोधित कचरे में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2022 में 13.20 टन कचरा, 2023 में 18.48 टन कचरा और इस साल अब तक 17.50 टन कचरा पैदा हुआ।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Nov 08, 2024 09:11 pm IST, Updated : Nov 08, 2024 09:11 pm IST
kedarnath dham- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO केदारनाथ धाम में अशोधित कचरे में लगातार वृद्धि हुई है।

प्रसिद्ध हिमालयी धाम केदारनाथ के चारों ओर गड्ढों में कई टन अशोधित कचरा डाले जाने से पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र को लेकर पर्यावरण प्रेमियों में चिंता पैदा हो गई है। उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित एक पर्यावरणविद द्वारा सूचना का अधिकार (RTI) के तहत ली गई जानकारी के अनुसार, केदारनाथ में 2022 से 2024 के बीच पैदा हुए कुल 49.18 टन अशोधित कचरे को मंदिर के निकट दो गड्ढों में भरा गया।

2024 में अब तक 17.50 टन कचरा पैदा हुआ

उत्तराखंड सरकार द्वारा एक सवाल के जवाब में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान क्षेत्र में पैदा हुए अशोधित कचरे में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2022 में 13.20 टन कचरा, 2023 में 18.48 टन कचरा और इस साल अब तक 17.50 टन कचरा पैदा हुआ। इसके अलावा, पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में इस अवधि में 23.30 टन अकार्बनिक कचरा भी पैदा हुआ।

RTI कार्यकर्ता अमित गुप्ता के सवाल के जवाब में केदारनाथ नगर पंचायत के लोक सूचना अधिकारी ने बताया कि हालांकि, इस सारे कचरे को पुनर्चक्रित कर लिया गया है। गुप्ता ने कहा, ''आरटीआई से प्राप्त हुए आंकड़े कूड़ा उत्पन्न होने की मात्रा और उसे अशोधित छोड़ दिए जाने, दोनों की दृष्टि से चौंकाने वाले हैं। इसने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि पारिस्थितकीय रूप से संवेदनशील केदारनाथ में कूड़ा प्रबंधन की कोई प्रणाली नहीं है।'' उन्होंने कहा, ''मंदिर 12,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है जहां हिमनद भी हैं। क्षेत्र की पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता शक से परे है।

PM मोदी ने भी मन की बात में किया था जिक्र

केदारनाथ में उचित कूड़ा प्रबंधन के अभाव को पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में भी स्थान मिला था। फिर भी अधिकारियों द्वारा प्लास्टिक कूड़े को मैदान तक लाने और उसे पुनर्चक्रित करने के लिए धरातल पर कुछ नहीं किया गया।'' पर्यावरणविद ने कहा कि मंदिर के पास स्थित दोनों गड्ढे लगभग पूरे भर चुके हैं और अगर सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो 2013 जैसी त्रासदी को टालना असंभव होगा। उन्होंने बताया कि आरटीआई के जवाब में दावा किया गया है कि इस अवधि के दौरान गैरजिम्मेदाराना तरीके से कूड़े का निस्तारण किए जाने पर न तो कोई शिकायत दर्ज की गयी और न ही कोई कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि इससे स्थिति और चिंताजनक हो जाती है। गुप्ता ने कहा, ''केदारनाथ में कूड़े की स्थिति को लेकर मैं खुद पिछले दो वर्षों से संबंधित अधिकारियों को पत्र लिख रहा हूं। केवल मेरे द्वारा ही कम से कम आधा दर्जन शिकायतें दाखिल की गयी हैं।''

मंदाकिनी में सीधे ही बहाया जा रहा अशोधित कचरा

उन्होंने कहा, ''राष्ट्रीय हरित अधिकरण और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने भी मेरी शिकायतों का संज्ञान लिया है और अधिकारियों को पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील हिमालय में स्थित पवित्र स्थल को अशोधित कचरे से मुक्त करने के लिए केदारनाथ में पर्याप्त अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र स्थापित करने के निर्देश दिए हैं।''

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने भी रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन को पत्र लिखकर उनसे हिमालयी धाम के निकट बह रही मंदाकिनी नदी में बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा है। गंगा मिशन ने ये निर्देश गुप्ता द्वारा आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर दाखिल एक शिकायत पर दिए हैं जिसमें कहा गया है कि केदारनाथ में अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र की कमी के कारण गंगा की सहायक नदी मंदाकिनी में अशोधित कचरा सीधे ही बहाया जा रहा है जिससे उसमें प्रदूषण बढ़ रहा है।

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