Friday, December 26, 2025
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जब 1915 के हरिद्वार कुंभ में शामिल हुए महात्मा गांधी, आत्मकथा में खुद बताया कैसा रहा अनुभव

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी साल 1915 में हरिद्वार के कुंभ में शामिल हुए थे। हालांकि इस दौरान उन्होंने यहां पर क्या अनुभव किया, इस बारे में अपनी आत्मकथा में बताया है।

Edited By: Amar Deep
Published : Jan 28, 2025 02:25 pm IST, Updated : Jan 28, 2025 02:25 pm IST
1915 के हरिद्वार कुंभ में शामिल हुए महात्मा गांधी।- India TV Hindi
Image Source : PTI/FILE 1915 के हरिद्वार कुंभ में शामिल हुए महात्मा गांधी।

देशभर से श्रद्धालु इस बार महाकुंभ में स्नान के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं। प्रयागराज में हर तरफ श्रद्धालुओं का जत्था देखा जा सकता है। हालांकि कुंभ का इतिहास हजारों साल पुराना है। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी कुंभ का स्नान कर चुके हैं। अपनी आत्मकता में महात्मा गांधी ने कुंभ के दौरान हुई घटनाओं का जिक्र किया है। महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा में साल 1915 में आयोजित कुंभ का जिक्र किया है। उस समय कुंभ का आयोजन हरिद्वार में किया गया था। महात्मा गांधी भी हरिद्वार के महाकुंभ में शामिल हुए थे। हालांकि उन्होंने आत्मकथा में इस बात की भी जिक्र किया है कि वह उस समय इतने ज्यादा धार्मिक नहीं थे।

ट्रेन के डिब्बे में नहीं थी छत

महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वह कुंभ में शामिल होने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन गुरुकुल में मौजूद महात्मा मुंशी राम से भेंट करने के लिए वह उत्सुक थे और इसलिए वह हरिद्वार गए भी थे। अपनी आत्मकथा में उन्होंने लिखा है कि पंडित हृदय नाथ कुंजरू के नेतृत्व में गोखले सोसायटी के स्वयंसेवकों का एक बड़ा दल कुंभ में सेवा के लिए हरिद्वार जा रहा था। इसी में महात्मा गांधी से भी जुड़ने का आग्रह किया गया। रंगून से वापसी में महात्मा गांधी इसमें शामिल भी हो गए। हालांकि महात्मा गांधी अपनी यात्रा को काफी कष्टप्रद बताया था। उन्होंने लिखा, “कभी-कभी डिब्बों में लाइट नहीं होती थी। हमें माल या मवेशियों के लिए बने डिब्बों में ठूंस दिया जाता था। इन डिब्बों में छत नहीं थी।"

कुंभ में गंदगी ने किया दुखी

वहीं कुंभ में पहुंचने पर महात्मा गांधी वहां की गंदगी को देखकर बहुंत व्यथित हुए। उन्होंने देखा कि लोग रास्तों को और गंगा के किनारों को गन्दा करने में तनिक भी नहीं हिचकते थे। नित्यकर्म के लिए लोग किसी भी जगह पर, रास्तों पर ही बैठ जाते थे। महात्मा गांधी इस घटना को जीवन भर नहीं भूल सके और उन्हें कुंभ से यह सीख मिली कि सफाई व्यवस्था की ओर विशेष ध्यान देना होगा।

महाकुंभ 2025 में पुख्ता इंतजाम

बता दें कि इस बार प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में सरकार ने 45 करोड़ लोगों के पहुंचने की संभावना जताई है। इसे लेकर तमाम तरह की तैयारियां भी की गई हैं। वहीं महाकुंभ में सफाई को लेकर विशेष ध्यान रखा जा रहा है। इस बार के महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। वहीं महाकुंभ में सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। यहां चप्पे-चप्पे पर पुलिस की टीमें निगरानी कर रही हैं। पिछले 17 दिनों में महाकुंभ में 15 करोड़ से ज्यादा लोग स्नान कर चुके हैं।

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