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Women's Day: सावित्री बाई फुले से लेकर मदर टेरेसा तक, हर भारतीय को पढ़नी चाहिए इन 5 महिलाओं की कहानी

महिलाएं समाज की नींव होती हैं, जो परिवार से लेकर कार्यस्थल और सामाजिक बदलाव तक हर स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारत में महिलाओं ने सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उदाहरण के लिए, मदर टेरेसा जिन्होंने अपना जीवन गरीबों, बीमारों और मरते हुए लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Mar 07, 2025 20:52 IST, Updated : Mar 07, 2025 20:52 IST
savitribai phule mother teresa
Image Source : FILE PHOTO सावित्री बाई फुले और मदर टेरेसा

महिलाएं समाज की नींव होती हैं, जो परिवार से लेकर कार्यस्थल और सामाजिक बदलाव तक हर स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारतीय इतिहास महिलाओं की उपलब्धियों से भरा पड़ा है। वे समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के कल्याण के लिए काम करती रही हैं और सामाजिक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले से लेकर मदर टेरेसा तक, महिलाओं ने बड़े पैमाने पर समाज में बदलाव के बडे़ उदाहरण स्थापित किए हैं।

देश की पहली महिला शिक्षिका थीं सावित्री बाई फुले

savitribai phule

Image Source : FILE
सावित्री बाई फुले

सावित्री बाई फुले सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक हैं। महाराष्ट्र के सतारा में जन्मी सावित्री बाई ने महिलाओं और बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया। उन्होंने विधवाओं के उत्थान के लिए भी अथक प्रयास किए। एक जमाने में जब महिलाओं को घर की चारदीवारी में कैद रखा जाता था, सावित्रीबाई फुले ने समाज के रूढ़िवादी मान्यताओं को चुनौती देते हुए नारी सशक्तिकरण का बिगुल बजाया। महज नौ वर्ष की उम्र में विवाह बंधन में बंधी सावित्रीबाई ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर समाज सुधार के लिए कई बड़े काम किए। उन्होंने सिर्फ औरतों के लिए ही नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए भी आवाज उठाई जिन्हें समाज में कमतर समझा जाता था। उन्होंने जाति-पाति, छुआछूत और विधवाओं के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ खड़े होकर बात की।

मदर टेरेसा हमेशा रहेंगी प्रेरणा

mother teresa

Image Source : FILE PHOTO
मदर टेरेसा

मदर टेरेसा का नाम उन महान शख्सियत में गिना जाता है, जिन्होंने दया और निस्वार्थ भाव से अपना पूरा जीवन दूसरों की सेवा में ही लगा दिया था। उनके मन में हमेशा सबके लिए अपार प्रेम रहा। इसी प्रेम भाव के कारण, मदर टेरेसा जनमानुष की सेवा करने के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं। मात्र 18 साल की उम्र से ही भौतिक चीजों का त्याग करके मदर टेरेसा ने अपने जीवन का उद्देश्य तय कर लिया था। वह भारत की नहीं थी, लेकिन जब वे भारत पहली बार आयीं, तो यहां के लोगों से प्रेम कर बैठीं और यहीं पर अपना पूरा जीवन बिताने का निर्णय कर लिया था। उन्होंने भारत के लिए अपना पूरा जीवन न्यौछावर कर दिया। मरीजों और अनाथों की सेवा में अपनी जिंदगी समर्पित करने वाली मदर टेरेसा को 25 जनवरी, 1980 को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था।

अहिल्याबाई होल्कर ने समाजसेवा में किया बेहतर काम

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Image Source : FILE PHOTO
अहिल्याबाई होल्कर

माता अहिल्याबाई होल्कर ने अपने ज्ञान, साहस और नेतृत्व क्षमता से समाज और राष्ट्र की सेवा की। उन्होंने शिक्षा के प्रसार के लिए कई स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की। उन्होंने गरीबों और असहाय लोगों की मदद के लिए कई सामाजिक कार्यक्रम भी चलाए। उनकी समाज सेवा का उद्देश्य केवल दान करना नहीं था, बल्कि लोगों को आत्मनिर्भर बनाना भी था। माता अहिल्याबाई का जीवन महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने सादगी और शिव भक्ति के साथ अपना जीवन व्यतीत किया। साथ ही, सती प्रथा जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ संघर्ष किया और समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य किया।

विजयालक्ष्मी पंडित ने महिलाओं के अधिकारों के लिए किया संघर्ष

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विजयलक्ष्मी पंडित

विजयलक्ष्मी पंडित पहली महिला थी जिन्होंने भारतीय महिला शक्ति की समाज में एक नई पहचान बनाई थी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उस दौर में जब महिलाएं पर्दे के पीछे रहा करती थी, तब कुछ महिलाओं ने अपनी जान की बाजी लगाकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी। इसमें जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित का नाम प्रमुख रूप से शामिल है। महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ने में विजयलक्ष्मी पंडित की अहम भूमिका रही। उन्होंने महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए कई संघर्ष किए। 1956 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम बनाने में उन्होंने काफी प्रयास किया था। इसी के बाद महिलाओं को अपने पति और पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त हो सका था। 1952 में चीन जाने वाले सद्भावना मिशन का नेतृत्व भी उन्होंने किया था।

देश की पहली महिला गवर्नर थीं सरोजिनी नायडू

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Image Source : FILE PHOTO
सरोजिनी नायडू

भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने में महिलाओं का योगदान अमूल्य रहा है। सरोजिनी नायडू ने साहित्य जगत में अपनी छाप छोड़ी। वब स्वतंत्रता सेनानी, कवयित्री और देश की पहली महिला गवर्नर थीं। वह बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में अच्छी थीं। पढ़ाई के साथ-साथ सरोजिनी नायडू कविताएं भी लिखती रहीं। 1914 में इंग्लैंड में वह पहली बार गांधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर अपना जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने गांधी जी के अनेक सत्याग्रहों में भाग लिया और 'भारत छोड़ो' आंदोलन में जेल भी गईं। देश की आजादी के बाद वह गवर्नर बनने वाली पहली महिला थीं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के गवर्नर का पदभार संभाला था।

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