Thursday, May 09, 2024
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सरकार की आर्थिक नीति दिशाहीन, अल्पसंख्यक चिंतित :अरुण शौरी

नई दिल्ली: अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा सरकार की आर्थिक नीति दिशाहीन है, वहीं सामाजिक माहौल अल्पसंख्यकों के बीच

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Updated on: May 02, 2015 14:11 IST
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सरकार की आर्थिक नीति दिशाहीन, अल्पसंख्यक चिंतित :अरुण शौरी

नई दिल्ली: अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा सरकार की आर्थिक नीति दिशाहीन है, वहीं सामाजिक माहौल अल्पसंख्यकों के बीच अत्यंत चिंता पैदा कर रहा है।

पत्रकार से नेता बने 73 वर्षीय अरुण शौरी ने कहा कि मोदी का एक साल का शासन आंशिक रूप से अच्छा है, प्रधानमंत्री के रूप में विदेश नीति में उनकी ओर से किया गया बदलाव अच्छा है, लेकिन अर्थव्यवस्था में किये गये वादे पूरे नहीं हुए।

उन्होंने मोदी सरकार का एक साल पूरा होने से पहले हैडलाइन्स टुडे पर करण थापर को दिये विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘सरकार नीतियों से ज्यादा चिंतित सुखिर्यों में रहने को लेकर रहती है। हालात ऐसे हैं कि एक जिगसॉ पजल के कई टुकड़े इस तरह से बेतरतीब पड़े हैं कि उन्हें एक साथ जोड़ने के बारे में दिमाग में कोई बड़ी तस्वीर साफ नहीं है।’

इन दिनों भाजपा में सक्रिय भूमिका नहीं निभा रहे शौरी ने कहा कि वादों के बावजूद पूर्व प्रभावी करों और उत्पादन के लिए प्रोत्साहनों पर विदेशी निवेशकों की आशंकाओं पर जमीन पर काम नहीं दिखाई दिया है। उन्होंने कहा, ‘निवेशकों को स्थिरता और पूर्वानुमान की क्षमता चाहिए।’ शौरी ने कहा कि जानेमाने बैंकर दीपक पारेख द्वारा जमीनी हालात पर जताई गयी चिंता को आगाह करने के तौर पर लिया जाना चाहिए।

जब उनसे पूछा गया कि क्या मोदी सरकार ने भारत को विकास के रास्ते पर बढ़ाने के लिए पर्याप्त प्रयास किये हैं तो उन्होंने कहा कि सबकुछ अतिशयोक्ति है। उन्होंने कहा, ‘इस तरह के दावे खबरों में बने रहने के लिए हैं लेकिन इनमें दम नहीं है।’ उन्होंने कर संबंधी मुद्दों को संभालने के तरीके की भी आलोचना की जिसकी वजह से विदेशी निवेशक दूरी बना रहे हैं।   

शौरी ने कहा कि ईसाई संस्थानों पर हमलों की घटनाओं और ‘घर वापसी’ तथा ‘लव जिहाद’ जैसे अभियानों के मद्देनजर सामाजिक मोर्चे पर अल्पसंख्यकों के बीच अत्यंत चिंता की स्थिति है। उन्होंने दक्षिणपंथी संगठनों की गतिविधियों और भाजपा के कुछ सांसदों व नेताओं के बयानों के मद्देनजर बने सामाजिक तनाव से जुड़े मुद्दों पर मोदी की ‘चुप्पी’ की निंदा की।

उन्होंने कहा, ‘जब सानिया मिर्जा चैंपियनशिप जीतती हैं तो आप ट्वीट करते हैं या जन्मदिन पर किसी को बधाई देते हैं लेकिन नैतिक सवालों से जुड़े मसलों पर आप यह नहीं करते। लोगों को संदेह होता है कि वह चुप क्यों हैं।’ चर्च पर हमलों की पृष्ठभूमि में बाहरी महसूस करने संबंधी पूर्व आईपीएस अधिकारी जूलियो रिबेरो की टिप्पणी का जिक्र करते हुए शौरी ने कहा कि जब इस कद के लोग इस तरह के बयान देते हैं तो साफ है कि चीजें बहुत दूर चली गयी हैं।

‘लव जिहाद’ और मुरादाबाद की हिंसा की घटना के संदर्भ में मुस्लिम युवकों के अलग थलग पड़ने की बात करते हुए शौरी ने कहा, ‘अगर 100 मुस्लिम युवक मिलकर आते हैं और कहते हैं कि हमें यहां न्याय नहीं मिल रहा और आईएसआई सही है तो हमें समस्या होती है।’ शौरी ने सवालों के जवाब में कहा कि मोदी, अमित शाह और अरुण जेटली पार्टी चला रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘इन्होंने विपक्ष को नाखुश किया है और भाजपा के सदस्यों को भी भयभीत किया है। वे गलतियों के लिए जिम्मेदार हैं और वे सुप्रीम कोर्ट भी हैं। तीनों नेता उचित प्रतिक्रिया नहीं ले रहे और कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया जा रहा।’ शौरी ने कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मुलाकात में मोदी द्वारा पहने गये अपने नाम की कढ़ाई वाले विवादास्पद सूट का भी विषय उठाया और कहा, ‘यह समझ से बाहर की और बड़ी गंभीर भूल थी। मुझे समझ नहीं आता कि उन्होंने सूट को लिया क्यों और फिर उसे पहना क्यों। आप गांधीजी का नाम लेकर इस तरह की चीजें नहीं पहन सकते।’

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