Friday, April 19, 2024
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ममता बनर्जी के आवास पर काली पूजा में शामिल होने का बेसब्री से इंतजार है: धनखड़

विभिन्न मुद्दों को लेकर पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार के साथ वाकयुद्ध में शामिल रहे राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निमंत्रण पर रविवार को उनके आवास पर आयोजित होने वाली काली पूजा में शामिल होंगे।

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: October 26, 2019 23:34 IST
Jagdeep Dhankhar- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Jagdeep Dhankhar

कोलकाता/बारासात: विभिन्न मुद्दों को लेकर पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार के साथ वाकयुद्ध में शामिल रहे राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निमंत्रण पर रविवार को उनके आवास पर आयोजित होने वाली काली पूजा में शामिल होंगे। राज्यपाल ने कहा कि उन्हें और उनकी पत्नी को मुख्यमंत्री के कालीघाट स्थित आवास पर सामारोह में शामिल होने का बेसब्री से इंतजार है। उन्होंने कहा कि जब वह रविवार को बनर्जी से मुलाकात करेंगे तो उनसे आग्रह करेंगे कि वह उन्हें भी साम्प्रदायिक सौहार्द फैलाने के अपने प्रयास में शामिल करें जो वह पिछले 30 वर्षों से भ्रातृ द्वितीया या भाई दूज पर अपने आवास पर कर रही हैं। 

धनखड़ ने साम्प्रदायिक सौहार्द की तुलना मानव शरीर में पीयूष ग्रंथी से की और कहा कि ‘‘यदि उसमें कोई गड़बड़ी होती है तो शरीर में दिक्कतें शुरू हो जाती हैं।’’ धनखड़ ने उत्तर 24 परगना जिले के बारासात में एक काली पूजा पंडाल का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि 1978 से मुख्यमंत्री के कालीघाट स्थित आवास पर हर साल पूजा का आयोजन होता आया है और इसके लिये आमंत्रण मिलने से वह बहुत अभिभूत हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर बताया है कि मैं और मेरी पत्नी भाई दूज के अवसर पर उनके घर आना चाहते हैं। उत्तर बंगाल की अपनी यात्रा से लौटकर मुख्यमंत्री ने वापस पत्र लिखा और मुझे और मेरी पत्नी को उनके घर पर होने वाली काली पूजा में सम्मिलित होने के लिये आमंत्रित किया।’’ धनखड़ ने बारासात में पत्रकारों से कहा, ‘‘हम लोग उनका आमंत्रण मिलने से बहुत खुश हैं और उत्सुकता से पूजा में शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं। आशा है मुझे किसी और सवाल का जवाब देने की आवश्यकता नहीं है।’’ 

राजभवन द्वारा यहां जारी एक बयान में कहा गया कि बनर्जी ने 24 अक्टूबर को धनखड़ को लिखे अपने पत्र में कहा कि ‘भातृ द्वितीया’ या ‘भाई दूज’ उन अवसरों में से एक है जब वह शांति और सद्भाव का संदेश फैलाने के लिए अन्य समुदायों से मिलती हैं। यह त्योहार 29 अक्टूबर (मंगलवार) को मनाया जाएगा। उसमें कहा गया, ‘‘सांप्रदायिक सद्भाव का मुद्दा राज्यपाल के दिल के बहुत करीब है। देश में, हम सभी को सांप्रदायिक सद्भाव के लिए काम करने की आवश्यकता है। राज्यपाल इस मुद्दे पर बनर्जी के साथ बातचीत भी करेंगे।’’ शहर के मध्य में एक काली पूजा पंडाल का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल ने कहा, ‘‘उन्होंने (मुख्यमंत्री) यह भी लिखा है कि पिछले 30 वर्षों से वह साम्प्रदायिक सौहार्द के कार्य में लगी हुई हैं। मैं बनर्जी के साम्प्रदायिक सौहार्द के कार्यों में शामिल होना चाहता हूं। मैं कल उनसे उसमें मुझे भी शामिल करने का अनुरोध करूंगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय संविधान का सार साम्प्रदायिक सौहार्द में निहित है। साम्प्रदायिक सौहार्द मानव शरीर में पीयूष ग्रंथी की तरह है और यदि इसमें कोई समस्या हो तो पूरा शरीर प्रभावित होने लगता है।’’ 

इस बीच, शुक्रवार को उस समय एक विवाद उत्पन्न हो गया जब तृणमूल कांग्रेस के एक नेता एवं बारासात क्लब के मुख्य संरक्षक ने धनखड़ को आमंत्रित किये जाने के निर्णय को लेकर पद छोड़ दिया। तृणमूल कांग्रेस संचालित बारासात नगर निगम के अध्यक्ष सुनील मुखर्जी ने कहा कि वह क्लब के निर्णय को लेकर नाखुश थे क्योंकि ‘‘राज्यपाल का राज्य सरकार के प्रति पूर्वाग्रह है।’’ 30 जुलाई को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में शपथ लेने वाले धनखड़ का तृणमूल सरकार के साथ कई मुद्दों पर टकराव रहा है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य प्रदीप भट्टाचार्य ने राज्यपाल की ‘‘मिलनसार व्यक्ति’’ के तौर पर प्रशंसा की और उस तरीके की आलोचना की जिस तरह से कुछ लोगों द्वारा उन्हें राजनीतिक आधार पर निशाना बनाया जाता है। उन्होंने किसी व्यक्ति या राजनीतिक पार्टी का नाम लिये बिना कहा कि धनखड़ को उचित सम्मान, सहयोग और उनकी सभी तरह की सहायता की जानी चाहिए।

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